इन पांच चेहरों में से कोई एक बन सकता है दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री

2020 में जनवरी माह से लेकर फरवरी तक दिल्ली के विधानसभा चुनाव होने लगभग तय है। इस वर्ष लोकसभा चुनाव में सभी 7 सीटों पर पुनः विजयी होने के पश्चात अब भाजपा का ध्यान केजरीवाल सरकार को परास्त कर दिल्ली क्षेत्र में अपनी सरकार स्थापित करने पर है। हाल ही में एक साक्षात्कार के दौरान वर्तमान गृह मंत्री अमित शाह ने संकेत दिये कि भाजपा आगामी विधानसभा चुनावों के लिए एक मुख्यमंत्री उम्मीदवार चुन सकते हैं। आइये देखें कुछ ऐसे उम्मीदवारों को, जो भाजपा के लिए प्रभावी मुख्यमंत्री उम्मीदवार बन सकते हैं –

विजय गोयल

भाजपा से राज्यसभा सांसद एवं केन्द्रीय मंत्री विजय गोयल दिल्ली भाजपा के सबसे अनुभवी नेताओं में से एक हैं। 1996 में दिल्ली सदर लोकसभा क्षेत्र से सांसद के तौर पर चुने गए विजय गोयल पिछले दो दशक से दिल्ली में सक्रिय है। हाल ही में वे लाइमलाइट में आए जब उन्होंने वर्तमान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पानी बिल माफ स्कीम के विरुद्ध मोर्चा खोला, जिसके अंतर्गत केजरीवाल सरकार ने पानी के बकाया बिलों को माफ करने का वादा किया था।

विजय गोयल ने कहा था, ‘सबको पता है कि चार महीनों में चुनाव हैं और इसलिए वे बसों और मेट्रो में मुफ्त सवारी की बात कर रहे हैं। अब पानी के बिलों का बकाया माफ करने की स्कीम के साथ वे लोगों के वोट खरीदना चाहते हैं’। विजय गोयल अपने विशाल अनुभव के साथ भाजपा के लिए मुख्यमंत्री उम्मीदवार के तौर पर एक भरोसेमंद दावेदार के तौर पर नज़र आते हैं। मोदी-शाह के साथ उनके संबंध उतने खास नहीं हैं। इसके अलावा भाजपा महाराष्ट्र और त्रिपुरा की भांति दिल्ली में युवा चेहरे को पेश करना चाहेंगे, जो विजय गोयल की दावेदारी के विपरीत भी जा सकता है।

गौतम गंभीर

ये भी भाजपा के लिए एक प्रबल दावेदरों में से एक माने जा रहे हैं। पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर ने राजनीति के क्षेत्र में शानदार पदार्पण करते हुए इस वर्ष पूर्वी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र में काँग्रेस उम्मीदवार अरविंदर सिंह लवली को 1.71 लाख वोट के शानदार अंतर से हराते हुए लोकसभा सांसद बने। एक स्टार क्रिकेटर होने के साथ-साथ वे एक यूथ आइकॉन भी हैं और दिल्ली के युवा वर्ग में काफी लोकप्रिय भी हैं। इसके अलावा इनके साथ इनकी आयु भी भाजपा के समीकरणों के अनुरूप है, क्योंकि ये केवल 38 वर्ष के हैं। इनकी युवा और जोशीली छवि के साथ इनका मुखर स्वभाव भी स्पष्ट झलकता है। इनके राष्ट्रवादी स्वभाव के कारण ये दिल्ली के चुनावों के लिए एक प्रभावी उम्मीदवार बन सकते हैं।

इनके लिए केवल एक परिस्थिति प्रतिकूल है, और वो है दिल्ली भाजपा में के कार्यकाल में इनका कम अनुभव होना। इन्हीं कारणों से किरण बेदी को उम्मीदवार बनाने के कारण भाजपा दिल्ली का विधानसभा चुनाव 2015 में हार गयी थी, क्योंकि स्थानीय कैडर इतनी आसानी से एक नए उम्मीदवार के साथ सामंजस्य नहीं बैठा पाए थे।

डॉ॰ हर्ष वर्धन

इस पद के लिए वे सबसे सशक्त उम्मीदवारों में से एक दिखाई दे रहे हैं। इन्होंने कई विभागों में केन्द्रीय मंत्री का पद संभाला है। 2013 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में इनका मुख्यमंत्री बनना लगभग तय था, परंतु सीटों की कमी के कारण आप – काँग्रेस के अवसरवादी गठबंधन ने बाज़ी मार ली। केंद्र सरकार में भी इनका अनुभव अच्छा रहा है। फ़िलहाल ये स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री, विज्ञान और तकनीक मंत्री का पदभार संभाल रहे हैं। इन्होंने हाल ही में चाँदनी चौक लोकसभा क्षेत्र में 228145 वोटों के अंतर से विजय प्राप्त की थी। अपनी प्रशासनिक कुशलता के कारण ये भाजपा के सबसे प्रबल मुख्यमंत्री उम्मीदवार बन सकते हैं। परंतु दुविधा यह है कि विजय गोयल की भांति इनकी आयु इनके इसी स्वप्न के आड़े आती है।

मनोज तिवारी 

मनोज तिवारी को 2016 में भाजपा की दिल्ली इकाई का प्रमुख बनाया गया था, और उन्होंने यह पद तीन वर्षों से संभाले रखा है। इससे स्पष्ट होता है कि भाजपा उन्हें आगे की जिम्मेदारियों के लिए तैयार कर रही है।  इसके अलावा मनोज तिवारी लगातार दो बार नई दिल्ली के लोकसभा क्षेत्रों में विजय प्राप्त की है। ऐसे में यदि मनोज तिवारी को दिल्ली के चुनावों में भाजपा के उम्मीदवार बनाया जाता है, तो किसी को कोई आश्चर्य नहीं होगा। ये पूर्वांचली समुदाय में काफी लोकप्रिय भी हैं। इससे भाजपा को दिल्ली चुनाव में काफी समर्थन भी मिल सकता है। परंतु मनोज तिवारी को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि पूर्वांचलियों का समर्थन लेने में भाजपा का पारंपरिक पंजाबी वोट बेस न गायब हो जाये।

मीनाक्षी लेखी

इस पद के लिए मीनाक्षी लेखी एकमात्र लोकप्रिय महिला उम्मीदवार हैं। अपने वक्तव्य के कारण ये काफी चर्चा में रही है। ये भाजपा की राष्ट्रीय प्रवक्ता भी रही हैं। लोकसभा चुनाव से पहले मीनाक्षी लेखी ने राहुल गांधी को आड़े हाथों लिया था और उनके ‘चौकीदार चोर है’ बयान के कारण उन्हें सुप्रीम कोर्ट के चक्कर भी लगवाए। मीनक्षी लेखी ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की थी कि राफेल डील पर कैसे राहुल गांधी कोर्ट के बयानों का दुरुपयोग कर अपना चुनाव प्रचार कर रहे हैं। इसके अलावा वे केन्द्रीय नेतृत्व की चहेती भी हैं, और इसी कारण से वे दिल्ली के मुख्यमंत्री के लिए एक सशक्त उम्मीदवार बन सकती हैं।

खैर चेहरे तो कई हैं लेकिन अब भाजपा को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे दिल्ली के मुख्यमंत्री के लिए एक ऐसा उम्मीदवार चुने, जो न केवल सशक्त हो, अपितु जनता के बीच लोकप्रिय भी हो।

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