हरियाणा में एक चुनावी सभा के दौरान एक रिपोर्टर ने जननायक जनता पार्टी के नेता दुष्यंत चौटाला से पूछा था कि भाजपा के 75 पार मिशन पर आपकी क्या राय है? तो इसके जवाब में चौटाला ने कहा था कि जनता अब की बार भाजपा को 75 पार नहीं, बल्कि जमुना पार कराके छोड़ेगी। आज जब चुनावी नतीजे सबके सामने आ रहे थे, तो हर बीतते पल के साथ उनकी कही यह बात सत्यापित होते जा रही थी। सुबह 2 बजे के रुझानों के अनुसार भारतीय जनता पार्टी को महज़ 36 सीटों पर बढ़त मिल रही थी, जबकि कांग्रेस 34 सीटों पर आगे चल रही थी। वहीं JJP को भी 10 से 12 सीटें मिल सकती है, जिसकी वजह से वह किंगमेकर की भूमिका में आ सकती है। इन सबके बावजूद अगर भारतीय जनता पार्टी फिर भी किसी तरह हरियाणा में सरकार बनाने में सफल होती है, तो भी भारतीय जनता पार्टी का प्रदर्शन संतोषजनक तो नहीं माना जाएगा। वहीं, दूसरी ओर हरियाणा से सटी दिल्ली में भी अगले साल चुनाव होने वाले हैं, ऐसे में इस बात के पूरे आसार हैं कि भाजपा को दिल्ली में भी शिकस्त खानी पड़ सकती है।
इस साल के लोकसभा चुनावों में हरियाणा में सभी 10 की 10 सीटें भारतीय जनता पार्टी के खाते में गयी थीं। यही कारण है कि इन चुनावों में भाजपा ने उस हद तक चुनाव प्रचार नहीं किया जिसके लिए वह जानी जाती है। जमीनी स्तर पर भारतीय जनता पार्टी ने अपने बूथ टू बूथ प्रचार के फॉर्मूले का प्रयोग नहीं किया, और न ही उन्होंने इन दोनों राज्यों के लिए अपने स्टार प्रचारकों का सही से इस्तेमाल किया। इसके अलावा भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवारों ने भी अपने वोटर्स से जुड़ने का प्रयास नहीं किया। वहीं, हर बार की तरह भाजपा ने इन चुनावों में पीएम मोदी का सही से इस्तेमाल नहीं किया। चुनाव प्रचार के आखिरी हफ्ते में पीएम मोदी ने सिर्फ 4 रैलियां की। यह दर्शाता है कि भाजपा हरियाणा में अपनी जीत को लेकर अति-उत्साहित थी। हालांकि, बड़ा सवाल यह है कि क्या भाजपा यही गलती दिल्ली में दोहराती दिखाई दे रही है?
अगर ध्यान दें तो दिल्ली में चुनावों को लेकर भारतीय जनता पार्टी अभी सुस्त ही दिखाई दे रही है। लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को दिल्ली की सभी 7 सीटों पर जीत हासिल हुई थी, लेकिन इसका मतलब यह बिलकुल नहीं है कि भाजपा को दिल्ली के विधानसभा चुनावों में भी बराबर नतीजे ही देखने को मिलेंगे। लोकसभा चुनावों में मोदी फ़ैक्टर ने काम किया था, हालांकि विधानसभा चुनावों में लोग स्थानीय मुद्दों पर ज़्यादा वोट करते हैं। दिल्ली में एक तरफ जहां सत्ताधारी आम आदमी पार्टी आक्रामक चुनाव प्रचार अभियान चला रही है, तो वहीं भाजपा की चुनावी रणनीति बिलकुल भी स्पष्ट नहीं है। इतना ही नहीं, भाजपा ने अब तक किसी सीएम चेहरे का भी ऐलान नहीं किया है। यानि एक तरफ जहां अरविंद केजरीवाल जैसे नेता मैदान में हैं तो वहीं विपक्ष में अब तक कोई चेहरा ही सामने नहीं आ पाया है, जो भारतीय जनता पार्टी के लिए बड़ा घातक साबित हो सकता है।
भाजपा को हरियाणा से सीख लेकर तुरंत दिल्ली में बड़े पैमाने पर चुनाव प्रचार करने की आवश्यकता है। इसके अलावा भाजपा को जल्द से जल्द दिल्ली में अपने सीएम चेहरे को घोषित करने की ज़रूरत है, ताकि भाजपा उस चेहरे के माध्यम से लोगों से जु़डने की कोशिश कर सके। हरियाणा चुनाव भारतीय जनता पार्टी के लिए खतरे की घंटी की तरह है और भारतीय जनता पार्टी को अभी सावधान होकर दिल्ली में अपनी चुनावी रणनीति पर काम करने की जरूरत है।