PM मोदी ने साउथ और भारत के अन्य हिस्सों के फ़िल्मी सितारों को किया अनदेखा!

PC: Outlookhindi

क्या भारतीय फिल्म उद्योग केवल बॉलीवुड तक ही सीमित है ? क्या साउथ फिल्म इंडस्ट्री, या गुजराती या मराठी सिनेमा का इसमें कोई योगदान नहीं है और यदि है तो उनके साथ देश के प्रधानमंत्री द्वारा पक्षपाती रुख क्यों अपनाया गया? आप सोच रहे होंगे हम ये सवाल क्यों कर रहे हैं और कब हमारे प्रधानमंत्री ने ऐसा किया?

दरअसल, महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के उपलक्ष्‍य में दिल्ली में आयोजित ‘चेंज विदिन’ कार्यक्रम में बॉलीवुड की तमाम हस्तियाँ शामिल हुईं और प्रधानमंत्री मोदी से भेंट की। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने ‘चेंज विदइन’ थीम का एक सांस्कृतिक वीडियो भी जारी किया। इस कार्यक्रम में पीएम मोदी ने शाहरुख खान और आमिर खान सहित बॉलीवुड अभिनेताओं और फिल्म निर्माताओं से बातचीत की। परन्तु इस कार्यक्रम में अन्य सिनेमा उद्योग के सितारों की अनदेखी किया जाना सवालों के घेरे में हैं। कुछ लोग इस कार्यक्रम में पीएम मोदी की उपस्थिति की सराहना भी कर रहे हैं, परन्तु कुछ लोगों को पीएम मोदी की इस कार्यक्रम पर आपत्ति जताई है जो न्यायिक भी है।

प्रधानमंत्री  मोदी ने इस कार्यक्रम से जुड़ी एक पोस्ट भी शेयर की और लिखा, “हमारा फिल्म एवं मनोरंजन उद्योग काफी विविध और जीवंत है। इसका अंतरराष्ट्रीय स्तर पर असर भी काफी है। हमारी फिल्में, संगीत और नृत्य लोगों और समाज को काफी अच्छी तरह से जोड़ता भी है”। परन्तु ये कार्यक्रम कैसे जीवंत है और कैसे इसमें विविधता है, जब दक्षिण सिनेमा से लेकर, मराठी, गुजराती सिनेमा के कलाकार कार्यक्रम में थे ही नहीं?

प्रधानमंत्री मोदी द्वारा शेयर की गयी तस्वीर को देखकर तो यही लगता है कि केवल बॉलीवुड का एक विशेष वर्ग ही पूरे भारतीय फिल्म उद्योग का प्रतिनिधित्व करता है। यदि पीएम मोदी ने फिल्म और मनोरंजन उद्योग की बात की थी, तो उन्हें केवल बॉलीवुड के कुछ चुनिन्दा हस्तियों से ही नहीं अपितु भारतीय फिल्म उद्योग के उत्कृष्ट कलाकारों से भी मिलना चाहिए था।

क्या बाहुबली जैसे फिल्मों के रचयिता एसएस राजामौली भारतीय फिल्म उद्योग का हिस्सा नहीं है? दक्षिण के सुपरस्टार कहे जाने वाले रजनीकान्त क्यों शामिल नहीं थे ? क्या ‘सैराट’ जैसी फिल्में बनाने वाले नागराज मंजुले भारतीय फिल्म उद्योग का भाग नहीं? यदि ऐसा नहीं है, तो उनके स्थान पर केवल बॉलीवुड के कुछ चुनिन्दा फिल्म हस्तियों को ही क्यों प्रधानमंत्री मोदी से मिलने के लिए चुना गया?

इसी बात पर दक्षिण भारतीय फिल्म उद्योग से जुड़े कुछ हस्तियों ने अपनी आपत्ति भी जताई। दक्षिण भारत की मशहूर अभिनेत्री खुशबू सुंदर ने अपनी आपत्ति जताते हुए ट्विटर पर एक के बाद एक कई ट्वीट पोस्ट किए –

इस थ्रेड में खुशबू सुंदर ने बताया कि कैसे दक्षिण भारतीय फिल्मों ने भारतीय फिल्म उद्योग के उत्थान में एक अहम योगदान निभाया है। एक ट्वीट में उन्होंने ये भी कहा है, “दक्षिण भारतीय सिनेमा विश्व भर में भारत का प्रतिनिधित्व करता है। सबसे उत्कृष्ट प्रतिभा दक्षिण भारत से निकलती है सबसे बड़े सुपरस्टार दक्षिण भारत से आते हैं। सबसे उत्कृष्ट टेक्नीशीयन भी दक्षिण भारत से आते हैं। तो फिर दक्षिण भारतीय फिल्म उद्योग को निमंत्रण क्यों नहीं मिला? ऐसा भेदभाव क्यों?”

खुशबू के बाद साउथ मेगास्टार चिरंजीवी की बहू और एक्टर राम चरण की पत्नी उपासना कोनिडेला ने इन्स्टाग्राम पर एक पोस्ट करते हुए कहा, “’प्यारे नरेंद्र मोदी जी, भारत के दक्ष‍िणी हिस्से में रहने वाले हम लोग आपका गुण गाते हैं और बतौर प्रधानमंत्री आपको पाकर बहुत गर्व महसूस करते हैं। सम्मान के साथ कह रहे हैं कि हमें लगता है कि कार्यक्रम में लीडिंग पर्सनैलिटीज और कल्चरल आइकन का प्रतिनिधित्व केवल बॉलीवुड तक सीमित रहा। साउथ फिल्म इंडस्ट्री को पूरी तरह नजरअंदाज किया गया। मैं अपनी भावनाओं को दर्द के साथ साझा कर रही हूं। उम्मीद है इसे सही दिशा में लिया जाएगा।’

इस तरह की आपत्ति जताया जाना केवल अन्य फिल्म उद्योग के प्रतिनिधित्व तक ही सीमित नहीं है। पीएम मोदी से मिलने पहुंचे सितारों में कुछ ऐसे लोग भी थे, जिन्होंने केवल एक कुत्सित और पक्षपाती विचारधारा को बढ़ावा देकर सदैव सनातन धर्म पर हमले करने के साथ-साथ मोदी सरकार को घेरने का प्रयास किये हैं। दरअसल,  उनसे मिलने वाले हस्तियों में राजकुमार हिरानी भी शामिल थे, जिन्होंने न केवल अपनी फिल्मों में सनातन धर्म का मज़ाक उड़ाया, अपितु उन्होंने संजय दत्त के विवादास्पद जीवन को बड़े ही पक्षपाती रूप से ‘संजू’ में दिखाया।

इसके अलावा पीएम मोदी ने शाहरुख खान और आमिर खान से भी मुलाक़ात की, ये वही लोग हैं जिन्हें कल तक भारत में बढ़ रही असहिष्णुता खाये जा रही थी। आमिर खान ने तो यहां तक कह दिया था कि उनकी पत्नी ने उनसे पूछा कि कहीं उन्हें देश तो नहीं छोड़ना पड़ेगा? अब हमारा एक सवाल आमिर खान से तो बनता ही है, वो यह कि क्या अब उनकी पत्नी को देश में डर नहीं लगता?

इसके अलावा इस कार्यक्रम के दौरान फिल्म जगत की महिला सितारों ने पीएम मोदी के साथ फोटो खिंचाई। फोटो खींचवाना तो ठीक था परन्तु इस दौरान निर्माता एकता कपूर ने जिस तरह से व्यवहार किया, वह न केवल बेतुका था, अपितु काफी आपत्तिजनक भी था। जब इस कार्यक्रम में बॉलीवुड के अवसरवादी, पक्षपाती दिग्गजों को महत्व दिया गया तो गुजरती, मराठी, दक्षिण सिनेमा के सितारों को क्यों अनदेखा किया गया?

पीएम मोदी अक्सर बॉलीवुड के सितारों से मिलते रहे हैं और सिनेमा के जरिए जन-जन तक देश के विकास और महत्वपूर्ण मुद्दे पहुँचाने पर चर्चा करते रहे हैं, जिसमें जनवरी में हुई बैठक काफी लोकप्रिय भी रही थी। परंतु इस बार के कार्यक्रम में कुछ अनचाहे व्यक्तियों की उपस्थिति एवं साउथ फिल्म इंडस्ट्री का उचित प्रतिनिधित्व न होने से इस बैठक से अनजाने में ही सही, परंतु प्रधानमंत्री मोदी ने एक गलत संदेश भेजा है। वास्तव में उन्हें भारतीय सिनेमा उद्योग के सभी सितारों को महत्व देकर इस पक्षपाती रुख से बचना चाहिए था।

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