रिलायंस रिटेल ने विकास में HUL को पछाड़ा तो HUL ने खेला आरोप-प्रत्यारोप का खेल

रिलायंस HUL

हिंदुस्तान यूनिलीवर और रिलायंस रिटेल, ये दोनों कंपनियां यूं तो भारत में ही अपना कारोबार कर रही हैं और दोनों कंपनियां रिटेल क्षेत्र में भी बड़े खिलाड़ी हैं। दोनों ही कंपनियां एक ही तरह के आर्थिक वातावरण में काम कर रही हैं, लेकिन ग्रामीण बाज़ारों की अर्थव्यवस्था को लेकर इन दोनों के विचार मेल नहीं खा रहे। एक तरफ जहां HUL का दावा है कि आर्थिक मंदी के चलते जुलाई-सितंबर तिमाही में ग्रामीण भारत में उसके व्यापार पर बेहद नकारात्मक असर पड़ा है, तो वहीं रिलायंस रिटेल का कहना है कि उसे इसी दौरान ग्रामीण भारत में उम्मीद से ज़्यादा मुनाफा हुआ है। ऐसे में यहां प्रश्न यह उठता है कि HUL के आकड़ों में आने वाली गिरावट का कारण देश में आर्थिक मंदी है या फिर स्वयं HUL को अपनी नीतियों के कारण व्यापार में कमी देखने को मिल रही है?

दरअसल, इस वित्तीय वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में रिलायंस का कुल राजस्व 40 हज़ार करोड़ रुपए को पार कर गया, जो कि रिटेल क्षेत्र के एक अन्य बड़े खिलाड़ी फ्यूचर ग्रुप के साल भर के संभावित राजस्व 36 हज़ार करोड़ से भी ज़्यादा है। वहीं कंपनी का EBITDA (Earning Before Interest, Tax, Depreciation and Amortization) साल दर साल (YoY) के आधार पर 67 प्रतिशत बढ़ा। कंपनी के मुनाफे में सबसे बड़ी हिस्सेदारी फैशन, ग्रोसरी और इलेक्ट्रॉनिक्स के सामान ने निभाई। वहीं दूसरी ओर HUL का EBITDA दूसरी तिमाही में 16 फीसदी बढ़ा और कर पूर्व लाभ में सालाना 7 फीसदी की बढ़ोतरी हुई और इस अवधि में राजस्व 6.7 फीसदी की उछाल के साथ 9,852 करोड़ रुपये रहा। दूसरी तिमाही में वॉल्यूम की रफ्तार स्थिर बनी रही यानी अप्रैल-जून की तरह 5 फीसदी पर स्थिर रही।

हालांकि, दूसरे क्वार्टर में कंपनी के बुरे प्रदर्शन का सारा जिम्मा HUL के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक संजीव मेहता ने देश में कथित तौर पर आई आर्थिक मंदी पर मढ़ दिया। उन्होंने कहा ‘पिछले तीन महीने में एफएमसीजी बाजार की रफ्तार तेजी से घटी है, जिसकी अगुवाई ग्रामीण इलाके की मंदी ने की। हालांकि, सरकार ने मांग बढ़ाने के लिए कई नीतिगत पहल की है, लेकिन ग्रामीण इलाके में आय के हस्तांतरण पर नजर रहेगी’।

अगर रिलायंस रिटेल के आंकड़ों पर नज़र डाली जाए, तो संजीव मेहता के इन दावों में दम नहीं दिखाई देता। रिलायंस ने इसी तिमाही में अच्छा प्रदर्शन कर यह स्पष्ट कर दिया है कि अगर सही रणनीति से बाज़ार पर पकड़ बनाने पर फोकस किया जाये, तो बाज़ार में अच्छे परिणाम देखने को अवश्य मिल सकते हैं। रिलायंस रिटेल का दावा है कि विभिन्न इलाकों में उसकी बढ़त की रफ्तार जारी है। रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने शुक्रवार को कहा था, ‘हमारे दो तिहाई स्टोर भारत में हैं और हम टियर-2, टियर-3 और टियर-4 बाजारों में आउटलेट जोड़ रहे हैं। अपनी मौजूदगी के विस्तार के जरिए हम बाजार के बड़े मौके हासिल करना जारी रखे हुए हैं’। इसके अलावा विश्लेषकों का मानना है कि रिलायंस ग्राहकों की जरूरतों के मुताबिक अपने उत्पादों में बदलाव करता है जिसके कारण वह ग्राहकों की पहली पसंद बनकर उभरा है। इतना ही नहीं, रिलायंस बड़ी आक्रामकता के साथ ग्रामीण भारत में अपनी पहुंच को बढ़ा रहा है जिसके कारण उसके उत्पादों की बाज़ार तक पहुंच बड़ी आसान हो गई है।

बता दे कि रिलायंस रिटेल ने दूसरी तिमाही में 337 नए स्टोर खोले हैं और इसी के साथ दूसरी तिमाही में कंपनी की कुल स्टोर की संख्या बढ़कर 10,901 हो गई है। रिलायंस रिटेल की प्रतिद्वंदी फ्यूचर ग्रुप की अगर बात की जाये तो उसके पास देशभर में सिर्फ 2 हज़ार आउटलेट ही मौजूद है। स्पष्ट है कि रिलायन्स की आक्रामक बाज़ार नीति की बदौलत ही उसके राजस्व में इतना बड़ा उछाल देखने को मिल रहा है। इससे यह भी साफ है कि HUL जैसी कंपनियों को आर्थिक मंदी को दोष देने को छोड़कर अपनी बाज़ार नीति में बड़े बदलाव करने की आवश्यकता है।

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