एस जयशंकर ने CNNs, NYTs, और WSJs को छोड़ अमेरिकी थिंक टैंक को दिया महत्व

एस जयशंकर

30  मई 2019, वो दिन जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोबारा देश के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी,  उस वक्त सबकी निगाहें नए मोदी मंत्रिमंडल पर टिकी हुई थीं। जब पीएम मोदी के नए मंत्रिमंडल का ऐलान हुआ, तो उसमे कुछ चौंकाने वाले नाम भी शामिल थे जिसमें एस जयशंकर का नाम सबसे खास रहा था। एस जयशंकर को मोदी कैबिनेट में विदेश मंत्रालय का जिम्मा सौंपा गया था जिसने हर किसी को हैरत में डाल दिया था। आज मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल को लगभग 4 महीने पूरे हो चुके हैं और इस दौरान उन्होंने अपने आप को इस पद के लिए सबसे योग्य व्यक्ति साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।

वैश्विक मुद्दों पर भारत के रुख को दृढ़ता से सबके सामने रखना हो, या दुनिया के किसी भी कोने में भारत विरोधी गतिविधियों का मुंहतोड़ जवाब देना हो, देशहित को सर्वोपरि रखने में वे अब तक उम्मीदों पर खरे ही उतरे हैं। यही हमें तब भी देखने को मिला जब विदेश मंत्री पिछले दिनों तीन-दिवसीय अमेरिकी दौरे पर अमेरिका के वॉशिंगटन शहर में थे, यहां उन्होंने भारत के रुख को सबके सामने रखने का एक अनौखा तरीका अपनाया। उन्होंने भारत की बात को दुनिया के सामने रखने के लिए मीडिया को इंटरव्यू देने का पारंपरिक तरीका नहीं अपनाया बल्कि अमेरिका के शक्तिशाली थिंक टैंक्स के साथ बातचीत की, और लगभग सभी मुद्दों पर अपने विचारों को खुलकर सबके सामने रखा।

कहा जाता है कि वॉशिंग्टन डीसी में इतने थिंक टैंक्स है जितने कुछ देशों के पास युद्धक टैंक भी नहीं होते हैं। ये थिंक टैंक्स बहुत शक्तिशाली माने जाते हैं और अमेरिकी प्रशासन पर इनका अच्छा-खासा प्रभाव माना जाता है। ये थिंक टैंक इतने शक्तिशाली होते हैं कि इनका सिर्फ अमेरिका की विदेश नीति पर ही नहीं, बल्कि कई बाहरी देशों की विदेश नीति पर भी इनका प्रभाव होता है। खास बात यह रही कि अपने अमेरिकी दौरे के दौरान एस. जयशंकर उन सभी प्रमुख थिंकटैंकों से रूबरू हुए जो अमेरिकी विदेश नीति को बहुत हद तक तय करने वाले ‘चाणक्य’ माने जाते हैं। भारत द्वारा इस तरह की डिप्लोमेटिक एंगेजमेंट पिछले दो दशकों से नहीं दिखाई गई थी, लेकिन एस जयशंकर ने अपने अनुभवों की मदद से ऐसा करने में सफलता पायी है। ऐसा इसलिए, क्योंकि एस जयशंकर वर्ष 2013 से वर्ष 2015 के बीच अमेरिका में भारतीय राजदूत रह चुके हैं और इन सभी प्रभावशाली थिंक टैंक्स से वे काफी परिचित हैं। यहां तक कि खुद अमेरिकी विशेषज्ञ भी इस बात को मान चुके हैं कि एस जयशंकर दुनिया के सबसे बढ़िया राजनयिकों में से एक हैं।

इन थिंक टैंक्स के माध्यम से एस जयशंकर ने कश्मीर से लेकर, अफ़ग़ानिस्तान और ईरान तक, हर मुद्दे पर भारत के रुख को स्पष्ट किया। अभी पाक पूरी दुनिया में कश्मीर मुद्दे पर भारत को घेरता आया है और वहां भारत द्वारा लगाई गई कथित पाबंदियों की आड़ में अपना एजेंडा चलाता आया है, ये अलग बात है कि वो इसमें कभी सफल नहीं हुआ है। अब जयशंकर ने भी इन थिंक टैंक्स के माध्यम से पाक के इस एजेंडे को पूरी तरह से धराशायी कर दिया है। जयशंकर ने वाशिंगटन में कहा कि ‘ज्‍यादातर पाबंदियां इसलिए लगाई गई हैं ताकि लोगों के जान-माल का नुकसान न हो। सरकार ने कश्‍मीर घाटी को लेकर पिछले अनुभवों को ध्‍यान में रखते हुए ही सभी फैसले लिए हैं। अगर आप ध्‍यान देंगे तो पता चलेगा कि घाटी में 2016 में इंटरनेट और सोशल मीडिया का लोगों को भड़काने के लिए किस तरह इस्‍तेमाल किया गया था’। इसके अलावा जयशंकर ने पाक पीएम इमरान खान के बारे में भी कई बाते कहीं।

अपनी बात रखने के लिए जयशंकर ने किसी एजेंडावादी मीडिया प्लेटफार्म को इंटरव्यू देना उचित नहीं समझा, क्योंकि ऐसे मीडिया संगठनों का भारत-विरोधी रुख किसी से छुपा नहीं है। उन्होंने सीधे तौर पर अमेरिका के थिंक टैंक्स के साथ बात करना ठीक समझा जहां से अमेरिका की विदेश नीति को चलाया जाता है। वहीं, दूसरी ओर पाक पीएम इमरान खान ने कश्मीर पर अपना एजेंडावादी ज्ञान बांटने के लिए अमेरिका के अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स को चुना था, और इस अखबार के माध्यम से पूरी दुनिया को न्यूक्लियर जंग की धमकी दी थी।

वास्तव में विदेश मंत्री एस जयशंकर के नेतृत्व में भारत ने कूटनीति के स्तर को नया आयाम दिया है। अपने अमेरिकी दौरे के दौरान वे काफी व्यस्त रहे। इससे पहले यूएन आम सभा के दौरान जयशंकर अमेरिका में 42 देशों के विदेश मंत्रियों से मिले थे, 36 द्विपक्षीय बातचीत की, 7 बहुपक्षीय बैठकें कीं और 3 कार्यक्रमों को भी संबोधित किया था। इसके अलावा पीएम मोदी ने भी अपने दौरे के दौरान कई द्विपक्षीय मुलाकातें की थीं। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में भारतीय कूटनीति बेहद सक्रिय और आक्रामक दिखाई दे रही है, और यही कारण है कि वैश्विक पटल पर भारत का रुतबा आये दिन बढ़ता ही जा रहा है।

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