रोजर फेडरर को टक्कर देने के बाद सुमित नागल ने जीता ATP चैलेंजर, साथ ही कई कीर्तिमान रचे

सुमित नागल

भारत में नए टेनिस खिलाडी सुमित नागल का उदय

टेनिस जगत में भारत के एक नए टेनिस खिलाड़ी सुमित नागल का उदय हो चुका है। वह लगातार एक के बाद एक दमदार प्रदर्शन कर देश का नाम ऊंचा कर रहे हैं। एक नया कीर्तिमान स्थापित करते हुए उन्होंने रविवार को ब्यूनस आयर्स एटीपी चैलेंजर का खिताब अपने नाम किया। इस टूर्नामेंट में सुमित नागल को सातवीं वरीयता दी गई। उन्होंने अर्जेंटीना के वर्ल्ड नंबर-166 और इस टूर्नामेंट के 8वीं वरीय फेकुंडो बैगनिस को 6-4, 6-2 से हराया। इस सीजन में यह किसी भारतीय का पहला एटीपी चैलेंजर टाइटल है।

नागल इस खिताब को जीतने वाले एशिया के पहले खिलाड़ी भी बन गए हैं। इस खिताब के साथ ही सुमित नागल को रैंकिंग में 26 स्‍थान का फायदा हुआ है। वह 135वें स्‍थान पर पहुंच गए हैं। जो उनके करियर की सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग है। सुमित नागल के करियर का यह दूसरा चैलेंजर खिताब है। इससे पहले उन्होंने 2017 में बेंगलुरु चैलेंजर खिताब जीता था।

सुमित नागल इस साल दुनिया भर में उस समय छा गए थे, जब यूएस ओपन के पहले ही दौर में उन्होंने 20 बार के ग्रैंड स्‍लैम विजेता रहे रोजर फेडरर को मुकाबले के पहले सेट में मात दी थी। हालांकि यूएस ओपन के पहले दौर में फेडरर ने नागल को 6-4, 1-6, 2-6, 4-6 से हराया था। नागल फेडरर के खिलाफ एक सेट जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी भी हैं।

20 बार ग्रैंड स्लैम चैंपियन के खिलाफ एक सेट भी जीतना अपने आप में एक उपलब्धि है और इसी जीत ने सभी का ध्यान उनकी तरफ आकर्षित किया। वर्ष 24 वर्षीय सुमित नागल इस दशक में ग्रैंड स्लैम एकल मुख्य ड्रा में शामिल होने वाले केवल पांचवें भारतीय खिलाड़ी बन गए थे।

आखिर सुमित नागल क्यों है इतने खास?

नागल से पहले सोमदेव देववर्मन, युकी भांबरी, साकेत माइनेनी और प्रजनेश गुन्नेस्वरन ही ऐसे हैं, जिन्होंने टेनिस ग्रैंड स्लैम में खेला है। इस वर्ष उन्होंने 350वे रैंक से शुरुआत की थी लेकिन उन्हें कुछ समय तक चोट के कारण बाहर रहना पड़ा था। युवा मामलों और खेल मंत्री किरेन रिजिजू ने भी सुमित नागल बधाई देते हुए ट्विट किया।

सुमित नागल टेनिस के उभरते हुए सुपरस्टार्स में से एक हैं और यही समय है कि ऑल इंडियन टेनिस एसोसिएशन (एआईटीए) इस नए सुपरस्टार को विशेष मदद यानि विश्व स्तर का प्रशिक्षण प्रदान कर एक वर्ल्ड क्लास खिलाड़ी बनाए। निश्चित रूप से नागल में नई ऊंचाइयों तक पहुंचने के लिए प्रतिभा भी रखते हैं, लेकिन शीर्ष -100 एटीपी रैंकिंग में आने के लिए और इसे लंबे समय रहने के लिए प्रतिभा के साथ-साथ समझदारी की भी आवश्यकता होती है। भारत में नागल जैसे खिलाड़ियों का उदय समय-समय पर होता रहता है लेकिन वे भारत में टेनिस के खराब प्रबंधन का शिकार होकर फिर से शून्य पर आ जाते हैं।

इसका उदाहरण सोमदेव वर्मन के रूप में देखा जा सकता है। एक समय में भारतीय टेनिस के सबसे शानदार उभरते खिलाड़ियों में से एक, सोमदेव देववर्मन को 31 साल की उम्र में टेनिस के खराब प्रबंधन और चोटों के कारण रिटायर होना पड़ा। सोमदेव एटीपी वर्ल्ड टूर की दो स्पर्धाओं, यानि 2009 चेन्नई ओपन और 2011 में दक्षिण अफ्रीका ओपन में उपविजेता रहे थे।

भविष्य में नागल के सामने क्या समस्याएँ आ सकती है?

ऐसे ही युकी भांबरी भी एक अच्छे प्रतिभाशाली खिलाड़ी थे जो अब टेनिस जगत में कही खो चुके हैं। वे दुनिया के नंबर एक जूनियर खिलाड़ी थे और उन्होंने जूनियर ऑस्ट्रेलियन ओपन चैंपियन खिताब भी जीता था। अगर वह किसी अच्छे देश में वह खेल रहे होते तो अब तक उस देश की टेनिस फेडरेशन उन्हें अच्छा कोच प्रदान कर उनकी देख रेख करता लेकिन एआईटीए ने क्या किया? कुछ भी नहीं। प्रतिभा को नई उच्चाई तक लेजाने के लिए एआईटीए के पास किसी प्रकार का कार्यक्रम ही नहीं है।

कोई भी एक खिलाड़ी जो शीर्ष 50 रैंकिंग में आते हैं उसका वार्षिक व्यय लगभग 2,00,000- 5,00,000 डॉलर है। वह इन 2 मिलियन में से 0.75 से $ 1.5 मिलियन डॉलर कोच पर खर्च कर देते हैं, बाकी का रुपया फिजियो, यात्रा, भोजन और उपकरण के लिए खर्च किया जाता है। एक भारतीय खिलाड़ी को वित्तीय सहायता के लिए लंबी लड़ाई लड़नी पड़ती है। इस विषय पर नागल ने कहा,‘‘ कोहली की संस्था अच्छा खर्च कर रही है लेकिन यह टेनिस खिलाड़ी के सभी खर्चों को पूरा नहीं करता। शीर्ष 100 खिलाड़ियों को कोच, फिटनेस, फिजियो की जरूरत होती है।

सुमित नागल से देश को कई उम्मीदें हैं

नागल अपने साथी खिलाड़ियों से इसलिए अलग हैं क्योंकि अप्रैल से जून तक उन्होंने चैलेंजर सर्किट पर आठ टूर्नामेंट खेले और पांच सेमीफाइनल और एक क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई। उन्होंने भारत के बाहर लगातार चैलेंजर स्तर के टूर्नामेंट खेले हैं। यदि भारत को टेनिस जगत में अपनी जगह बनानी है और ग्रैंड स्लैम में अधिक खिलाड़ियों को प्रतिस्पर्धा करते देखना है, तो उसे अपने खिलाड़ियों को मदद करने की आवश्यकता है अन्यथा प्रशासनिक उदासीनता उभरते खिलाड़ियों का भविष्य खत्म कर देगी।

खेल मंत्रालय को टेनिस टूर्नामेंट की मेजबानी करने के लिए फंड और बुनियादी ढांचा बनाने पर भी ध्यान देना चाहिए। यह निश्चित ही एक कठिन काम है, लेकिन फिलहाल हमारे पास सुमित नागल के रूप में एक चमकता सितारा है और हमें पूरी उम्मीद है, वह आने वाले दिनों में टेनिस की कसौटी पर खरा उतरेंगे और देश को इस बार से भी ज्यादा गौरवान्वित करेंगे। सुमित नागल को भी अपने टूर्नामेंट के चुनाव को लेकर सावधान रहने की आवश्यकता है।

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