टीम इंडिया के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली जल्द भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड यानी बीसीसीआई के बॉस की कुर्सी संभालने जा रहे हैं। दस महीने के लिए बीसीसीआई अध्यक्ष चुने जाते ही दादा सौरव गांगुली ने अपने आक्रामक तेवर जाहिर कर दिए हैं कि वे बीसीसीआई को कहां ले जाने की सोच रखते हैं। इसी कड़ी में सौरव गांगुली ने भारतीय टीम को अपना प्लान सुना दिया है कि वे ICC जैसे बड़े टूर्नामेंट जीतने पर अधिक ध्यान देंगे। साथ ही उन्होंने मौजूदा कप्तान विराट कोहली को भी फरमान सुना दिया है।
दरअसल, कोलकाता के दमदम हवाई अड्डे पर पत्रकारों से बात करते हुए सौरव गांगुली ने कहा, ‘हमें अब बड़े टूर्नमेंट्स जीतने पर ध्यान लगाना होगा। मैं जानता हूं कि ये लोग हर टूर्नामेंट नहीं जीत सकते लेकिन यह भी सच है कि टीम ने कई बड़े टूर्नामेंट में नाकामी भी झेली है।’
पूर्व भारतीय कप्तान ने आगे कहा, ‘मौजूदा टीम मेरे समय की टीम से काफी बेहतर है। इस टीम में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। इन्हें मानसिक रूप से तैयार होने की आवश्यकता है। हम वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में पहुंचे, लेकिन चैम्पियन नहीं बने। विराट को इस दिशा में बात करनी होगी और ये काम बोर्डरूम में नहीं हो सकता। मैं जानता हूं कि कोहली चैम्पियन खिलाड़ी हैं। वे चीजों को जरूर बदलेंगे।’
भारत ने आखिरी बार महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में 2013 की चॅम्पियन्स ट्रॉफी जीती थी। उस समय महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में भारत ने मेजबान इंग्लैंड को चैम्पियंस ट्रॉफी के फाइनल में हराया था। अगर हम भारत के प्रदर्शन को देखें तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि भारत ने प्रदर्शन तो अच्छा किया है लेकिन किसी भी आईसीसी टूर्नामेंट में जीत हासिल नहीं कर सकी है। यह ध्यान देने वाली बात है कि भारत तब से अब तक ICC के 5 बड़े हाई प्रेशर नॉकआउट मैचों में हार चुका है। भारतीय टीम को वर्ष 2015 और 2019 वर्ल्ड कप, 2014 और 2016 टी-20 वर्ल्ड कप, 2017 चैम्पियंस ट्रॉफी में हार का सामना करना पड़ा था। इसी पर प्रिंस ऑफ कोलकाता सौरव गांगुली ने कहा है, “बड़े टूर्नामेंटों में टीम इंडिया का अच्छा प्रदर्शन है, लेकिन सेमीफाइनल और फाइनल में उस तरह का प्रदर्शन करने में टीम नाकाम हो रही है। इसके लिए विशेष योजना तैयार करनी होगी।
भारत जब भी किसी बड़े टूर्नामेंट के नॉकआउट में होता है तब विराट का भी प्रदर्शन नीचे गिर जाता है तथा वह प्रेशर में आ जाते है। इसका असर उनकी कप्तानी पर भी देखने को मिलता है जिससे नुकसान टीम को ही होता है।
अब जब दादा यानि सौरव गांगुली भारतीय क्रिकेट के बॉस यानि BCCI अध्यक्ष घोषित होने वाले हैं तब ऐसे वह जरूर भारतीय टीम और कप्तान से इस बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे और इसे सुलझाने का प्रयास करेंगे। सौरव गांगुली अपने आक्रामक कप्तानी और निर्णायक व्यक्तित्व के लिए जाने जाते है। वह ऐसे कप्तान के रूप में फेमस रहे हैं जो अपने खिलाड़ियों को मैच जिताऊ बना देता है। बता दें कि फिक्सिंग की चोट खाई भारतीय टीम वर्ष 2001 में बिखरने के कगार पर थी, उस समय गांगुली को कप्तानी सौंपी गयी। टीम चयन के दौरान क्षेत्रवाद का भी खूब बोलबाला था। इन हालातों में भी सौरव गांगुली ने उस समय जौहरी का काम किया और वीरेंद्र सेहवाग, युवराज सिंह, जहीर खान, हरभजन सिंह, आशीष नेहरा, गौतम गंभीर, एमएस धोनी जैसे मैच जिताने वाले नायाब खिलाड़ियों को मौका दिया। इन युवाओं को तराश कर उनमें खुल कर खेलने का विश्वास भर दिया। इन सभी खिलाड़ियों ने आगे चल कर दादा के वर्ष 2003 के अधूरे सपने को 2011 के आईसीसी विश्वकप जीत कर पूरा किया। रिटायरमेंट के बाद दादा बीसीसीआई के क्रिकेट एड्वाइजरी कमेटी और टेक्निकल कमेटी के चेयरमैन भी रह चुके हैं। बतौर बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष की भूमिका में उन्होंने राज्य में नए प्रतिभाओं को खोजने का काम भी किया है। इन्हीं कारणों से उन्हें खेल की बारीकियों के साथ एड्मिनिसट्रेशन का भी दांव पेंच बखूबी आता है। आज बीसीसीआई जिस हालात में है उसी हालात में भारतीय टीम का अनुशासन भी है। इस हालात में बीसीसीआई को एक मजबूत बोर्ड अध्यक्ष की जरूरत थी जो अब सौरव गांगुली के रूप में मिल चुकी है। सौरव ने भी निराश न करते हुए विराट को एक कड़ा संदेश देने के साथ स्पष्ट कर दिया है कि दादा की नजर ICC ट्रॉफी पर है और वह उससे कम में नहीं मानने वाले है।