तुर्की ने भारत के मामले में टांग अड़ायी, और अब भारत ने तुर्की को नानी याद दिलाई

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(PC: Financial Express)

तुर्की, जो कल तक कश्मीर मुद्दे पर भारत को अपना एजेंडा से भरपूर ज्ञान बांच रहा था, अब वह खुद ही सीरिया की संप्रभुता की धज्जियां उड़ाते हुए वहां अपनी फौज भेजकर कुर्द लड़ाकों पर हमला कर रहा है। ये वही कुर्द लड़ाके हैं जिन्होंने सीरिया में ISIS के खात्मे में अपनी अहम भूमिका निभाई थी। इन कुर्द लड़ाकों को अमेरिका का साथी भी माना जाता है, वहीं तुर्की की आँखों में ये खूब खटकते हैं। हालांकि, तुर्की की इस कार्रवाई से सीरिया में एक बार फिर बड़े पैमाने पर मानवीय संकट पैदा हो गया है। यही कारण है कि दुनियाभर के देश अब तुर्की की आलोचना कर रहे हैं। वहीं सही मौका देखकर अब भारत ने भी इस मामले पर खुलकर तुर्की की निंदा की है और तुर्की को सीरिया की संप्रभुता का सम्मान करने की बात कही है।

दरअसल, तुर्की की तरफ से पूर्वोत्तर सीरिया के इलाकों में किये जा रहे हमले पर भारत ने न केवल कड़ा ऐतराज जताया है बल्कि उसे सीरिया के आंतरिक मामलों में दखलअंदाजी करार दिया है। 10 अक्टूबर को इस मामले पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा ‘हम पूर्वोत्तर सीरिया में तुर्की के एकतरफा सैन्य हमले पर गहरी चिंता जाहिर करते हैं। तुर्की का कदम क्षेत्र में स्थिरता और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को कमजोर कर सकता है। इस कदम से मानवीय संकट पैदा होने की संभावना है।’

मंत्रालय ने आगे कहा, ‘हम तुर्की से अपील करते हैं कि वह सीरिया की क्षेत्रीय अखंडता व संप्रभुता का सम्मान करे और संयम बरते। हम बातचीत और चर्चा के माध्यम से मुद्दे के शांतिपूर्ण समाधान की अपील करते हैं।’

गौरतलब है कि बीते दिनों अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सीरिया से अमेरिकी सेना को वापस बुलाने का ऐलान किया था। मंगलवार-बुधवार से ही सीरिया के कुछ क्षेत्रों से अमेरिकी सेना वापस आने लगी और तुरंत सीरिया की सेना ने वहां मौजूद कुर्दिश के लड़ाकों पर हमला बोलना शुरू कर दिया। तुर्की वैसे तो वहां पर आतंकवाद को खत्म करने की बात कहकर सीरिया में अपनी फौज भेज रहा है, लेकिन असल में तुर्की ISIS के खिलाफ लड़ाई में अहम भूमिका निभाने वाले कुर्द लडाकों पर हमला करना चाहता है, और खुद तुर्की के राष्ट्रपति भी इस बात को कह चुके हैं।

हालांकि, तुर्की के इन कदमों पर भारत की इतनी कड़ी प्रतिक्रिया आना भारत की कूटनीति में बड़े बदलाव की ओर इशारा करता है। अभी तक भारत तुर्की को लेकर कूटनीतिक तौर पर इतना सक्रिय नहीं था। अब भारत ने खुलकर तुर्की का विरोध करके यह साफ कर दिया है कि भारत के खिलाफ एजेंडा चलाने वालों को वह कड़ी भाषा में जवाब देने से पीछे नहीं हटेगा। अभी तक भारत ऐसे अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर अपनी कोई प्रतिक्रिया नहीं देता था। भारत का यही मानना था कि जो मुद्दे उससे सीधे तौर पर नहीं जुड़े होते हैं, उसपर वह कोई प्रतिक्रिया नहीं देगा, लेकिन अगर भारत को विश्व में एक सुपरपावर का दर्जा चाहिए तो यह जरूरी है कि वह हर बड़े मुद्दे पर अपनी बात को आगे रखे। अब भारत ने समय के साथ अपनी कूटनीति में बड़ा बदलाव किया है जिसका स्वागत किया जाना चाहिए।

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