‘धान का कटोरा’ से मशहूर ये जिला बदहाली से विकास की ओर बढ़ रहा है

पिछले साल इलाहाबाद का नाम पुनः प्रयागराज करने और फैजाबाद का नाम अयोध्या करने के बाद उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने पूर्वी छोर के जिले चंदौली का नाम पंडित दीनदयाल नगर करने का फैसला लिया है। आधिकारिक सूत्रों ने गुरूवार को बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चंदौली में जल्द ही नए मेडिकल कॉलेज का शिलान्यास करने जायेंगे जहां वह चंदौली जिले का नाम बदलने का ऐलान कर सकते हैं।

वाराणसी के बगल में और बिहार की सीमा पर स्थित चंदौली संसदीय क्षेत्र बड़े-बड़े दिग्गजों की जन्मभूमि रही है। पंडित कमला त्रिपाठी का जन्म स्थान और राजनैतिक कर्मभूमि भी रही तो मौजूदा केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की जन्मभूमि रही है। इसके बावजूद चंदौली काफी पिछड़ा हुआ जिला है। अब इस जिले का नाम पंडित दिनदयाल रहने से शायद सभी का ध्यान इस क्षेत्र पर जाएगा। इस जिले का नाम पंडित दीनदयाल उपाध्याय इसलिए रखा रहा जा रहा है क्योंकि उनकी 11 फरवरी 1968 को संदिग्ध परिस्थितियों में मुगलसराय रेलवे स्टेशन के यार्ड में मृत्यु हो गई थी।

बता दें कि वर्ष 1997 में तत्कालीन मायावती सरकार के कार्यकाल में चंदौली जिला अस्तित्व में आया था। इससे पहले यह वाराणसी जिले का हिस्सा हुआ करता था। जब चंदौली जिला बनाया गया था तो इसमें केवल 3 तहसीलें चकिया, चंदौली और सकलडीहा सम्मिलित थीं। फिर सपा सरकार के मुख्यमंत्री अखिलेश सिंह यादव ने इस जनपद में दो तहसील का और गठन किया और नौगढ़ व मुगलसराय को तहसील का दर्जा देकर पांच तहसीलें बना दीं। चंदौली के जिलाधिकारी नवनीत सिंह चहल ने पत्रकारों को बताया कि जिला प्रशासन ने चंदौली का नाम बदलने की अनुशंसा कर दी है। अब राज्य सरकार को तय करना है कि कब उस जिले का नाम परिवर्तन करना है, यह उसके अधिकार क्षेत्र का मामला है।

बता दें कि 2011 की जनगणना के अनुसार चंदौली की जनसंख्या करीब 20 लाख (1,952,756) है जिसमें 10 लाख (1,017,905) से ज्यादा पुरुष और साढ़े 9 लाख (934,851) महिलाएं हैं। यहां पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की एक बड़ी आबादी रहती है।

जनगणना 2011 के अनुसार इस जिले में अनुसूचित जाति की आबादी 4,46,786 है जबकि अनुसूचित जनजाति लोगों की आबादी 41,725 है। लिंगानुपात देखा जाए तो यहां पर प्रति 1,000 पुरुषों पर 918 महिलाएं हैं। इस जिले की साक्षरता दर राष्ट्रीय औसत दर से ज्यादा है। 71.48 फीसदी आबादी यहां साक्षर है जिसमें 81.72 फीसदी पुरुष और 60.35 फीसदी महिलाएं शामिल हैं।

देश के 250 सबसे पिछड़े जिलों में शुमार वाराणसी जैसे बड़े महानगर के करीब होने का दंश चंदौली ने इस कदर झेला कि अशिक्षा, स्वास्थ्य, बेरोजगारी और गरीबी के मुद्दों में यह जिला काफी पिछड़ता चला गया। वर्ष 2009 में देश के सबसे ज्यादा पिछड़े और अविकसित 250 जिलों में चंदौली 34 वें स्थान पर था। Backward Regions Grant Fund (BRGF)  के नाम पर 5000 करोड़ पाने के बाद भी यह अभी तक आगे नहीं बढ़ सका है। 1997 में बसपा की मायावती सरकार में चंदौली को जिला घोषित किया गया लेकिन जिला बनने के बाद 22 साल बाद भी जिलाधिकारी कार्यालय आधा-अधूरा पड़ा है। डीएम और एसपी किराए के भवनों में रह रहे हैं। 85 फीसदी कार्यालय अभी भी निजी भवनों में किराए पर चल रहे हैं।

देश में ‘धान का कटोरा’ के नाम से पहचान बनाने वाला चंदौली चावल की खेती के लिए मशहूर है। पंडित कमलापति त्रिपाठी जब प्रदेश के मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने यहां नहरों का जाल बिछाया था। उसी समय लोग धान की खेती करने के लिए प्रेरित हुए। मौजूदा समय में दो लाख 43 हजार 501 कृषि क्षेत्र में करीब 65 फीसदी हिस्से में धान की खेती होती है।

वर्तमान में, बिजली, भंडारण, सिंचाई और पशु चिकित्सा सेवा जैसी सुविधाओं में से प्रत्येक का विकास या तो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी भी शहर या जिले के विकास को बढ़ावा देते हैं। यह जिला अपने एक खास तरह के शुगर फ्री चावल के लिए भी महशूर है। अब जब नाम बदल जायेगा तो सभी की निगाहें इस ओर होंगी तब जिले में जरी-जरदोजी के बाद शुगर फ्री को बढ़ावा मिलेगा। वर्तमान समय से शुगर फ्री चावल की काफी डिमांड है। जिले में इसके उत्पादन को बढ़ावा दिया जाएगा। इसका निर्यात बड़े पैमाने पर होगा। इसके लिए प्रदेश सरकार की ओर से शुगर फ्री चावल की ब्रांडिंग, एक्सपोर्ट व माकेर्टिंग में मदद भी मिलेगी। इससे जिले के हजारों किसान को आर्थिक रूप से नया रोजगार मिलेगा। साथ ही आर्थिक रूप से मजबूती भी मिलेगी।

जिले में राजकीय मेडिकल कॉलेज करीब 365 करोड़ की लागत से बनेगा। सैयदराजा क्षेत्र के बरठी कमरौर में मेडिकल कॉलेज के नाम जमीन अभिलेख में दर्ज हो गई है। जल्द ही धनराशि स्वीकृत होते ही कार्यदायी संस्था राजकीय निर्माण निगम कार्य शुरू कर देगा। मेडिकल कॉलेज से चंदौली के अलावा आसपास के जिलों और बिहार के समीपवर्ती जिले के लोगों को काफी सहूलियत होगी। जिले में मेडिकल कॉलेज के निर्माण का मुद्दा पांच साल चल रहा है। हालांकि, अब मेडिकल कॉलेज के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है।

वर्ष 2014 में भाजपा के महेंद्रनाथ पांडे के इस लोकसभा क्षेत्र से चुने जाने के बाद इस क्षेत्र के विकास में तेजी आई है। बता दें कि वह उत्‍तर प्रदेश भाजपा के अध्‍यक्ष भी हैं। वह केंद्र सरकार में मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री रहे हैं। इस बार भी वह कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री पद पर चुने गए है। इस क्षेत्र का नाम अब पंडित दिन दयाल नगर रखे जाने से कितनी जल्दी इसकी काया पलट होती है यह देखने वाली बात हो गई लेकिन एक चीज़ स्पष्ट है कि इससे इस जिले में हो रहे परिवर्तन राष्ट्रीय परिदृश्य में जरूर आ जाएगा।  यह संसदीय क्षेत्र पिछले साल उस समय चर्चा में आया था, जब यहां के सांसद व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की पहल पर मुगलसराय शहर के रेलवे स्टेशन का नाम पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर रखा गया।

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