दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पहले टेस्ट मैच में अपने HIT Man रोहित शर्मा एक बार फिर फुल फ़ॉर्म में थे। अपने सीमित टेस्ट करियर में मध्यवर्ग में खेल रहे क्रिकेटर रोहित शर्मा को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ विशाखापट्टनम में चल रहे प्रथम टेस्ट मैच में टॉप ऑर्डर में मयंक अग्रवाल के साथ ओपनिंग करने के लिए भेजा गया, और आते ही उन्होने अपने बल्ले से आपने आलोचकों को मुंहतोड़ जवाब दिया।
फाफ डुपलेसी के टीम के गेंदबाजों की धज्जियां उड़ाते हुये पहली ही पारी में रोहित शर्मा ने 6 छक्कों सहित उन्होने 176 रन ठोंक दिये, और दूसरी पारी में उन्होने 7 छक्कों सहित ताबड़तोड़ 127 रन ठोंक दिये। इस प्रकार से उन्होंने टेस्ट मैच में वसीम अकरम के पिछले विश्व रिकॉर्ड को भी तोड़ दिया, जहां उन्होने एक मैच में कुल 12 छक्के जड़े थे। इसके साथ ही साथ रोहित शनिवार को टेस्ट ओपनर के तौर पर अपनी पदार्पण मैच की दोनों पारियों में शतक जड़ने वाले पहले क्रिकेटर भी बने। जिस तरह से उन्होने बल्लेबाजी से अपना कौशल दिखाया, उससे इस खेल के विशेषज्ञ भी काफी प्रभावित हुए होंगे।
परंतु एक प्रश्न अभी भी उठता है, जो बल्लेबाज़ बिना किसी समस्या के शतक पर शतक ठोंक सकता है, उसे इतने दिनों तक अनदेखा क्यों किया गया। भारतीय टीम के लिए वनडे क्रिकेट के संकटमोचक माने जाने वाले रोहित शर्मा अक्सर टेस्ट टीम से दूर ही रखे गए हैं। भारत में 100 से ऊपर का औसत होने के बाद भी रोहित शर्मा को टेस्ट टीम में शामिल नहीं किया जाता था। जिस तरह केएल राहुल को खेलने का अवसर मिला है, उन्हे उतने अवसर भी नहीं मिले।
केएल राहुल बतौर खिलाड़ी भारत के लिए अधिकतर असफल ही रहे हैं। यदा कदा उन्होने भले ही कुछ अच्छी पारियाँ खेली हो, परंतु टीम के लिए उनका योगदान लगभग शून्य रहा है। जब उन्हे टीम से बाहर का रास्ता दिखाया, तो रोहित शर्मा को याद किया गया और उन्होने इस अवसर का सदुपयोग करने में ज़रा भी विलंब नहीं किया। वे भले ही कुछ देशों में असफल रहे हों, परंतु इसका अर्थ यह नहीं है कि वे अच्छे टेस्ट प्लेयर नहीं है। रोहित के लिए एक कथन अब भी सर्वमान्य है, “फ़ॉर्म इज़ टेम्परेरी, क्लास इज़ परमानेंट” यानि प्रदर्शन तो अस्थायी है, परंतु शैली स्थायी रहती है।
अब टीम प्रबंधन को उन्हे लंबे समय तक के लिए अपने साथ टेस्ट टीम में रखना चाहिए। साथ ही कप्तान विराट कोहली को यह भी समझना होगा कि व्यक्तिगत दिक्कतों के कारण टीम सेटअप को कोई नुकसान नहीं होना चाहिए, क्योंकि वे देश का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, और यहाँ पर वे अपना व्यक्तिगत हित सर्वोपरि नहीं रख सकते।
वैसे भी अब अगले साल टी-20 विश्व कप शुरू होने वाला है, और ऐसे में यह कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि इस खेल के सबसे छोटे प्रारूप के लिए रोहित शर्मा को कमान सौंपी जाये। उन्होने इस खेल में अपना कौशल सिद्ध करते हुये अपनी मुंबई इंडियंस टीम को चार बार आईपीएल में जीत दिलवाई है। कुछ तो बात होगी जो रोहित विश्व के सबसे कठिन प्रारूप में से एक टी20 लीग में इतने सफल हैं। दोनों खिलाड़ियों की योग्यता को देखते हुये विभाजित कप्तानी काफी उपयोगी भी है, जहां रोहित टी20 की कमान संभालें और टेस्ट एवं वनडे में विराट कोहली कप्तानी करें।
यह किसी से नहीं छुपा है कि कोहली अपनी भावनाओं को मुखर रूप से मैदान पर प्रदर्शित करते हैं। एक अहम रन चेज के दौरान एक बाउंडरी मिलने पर वे जोश में fist pump करने लगते हैं। आक्रामकता एक निश्चित सीमा में सही है, परंतु विपरीत परिस्थिति में विराट कोहली आवश्यकता से ज़्यादा आक्रामक हो जाते हैं, जो टीम के लिए हानिकारक होता है। खेल के लिए उनका जोश निस्संदेह अच्छा है, पर टीम के कप्तान होने के नाते उन्हे संयम भी बरतना चाहिए। दबाव में पड़े खिलाड़ी के कंधे पर हाथ रखकर उसे ये भरोसा दिलाना चाहिए, जिसके लिए रोहित जाने भी जाते हैं। रोहित अपने प्रमुख खिलाड़ियों पर पूर्ण विश्वास रखते हैं, जिसका प्रमाण आईपीएल 2019 में दिखता है, जब खराब फ़ॉर्म से जूझने के बाद भी कीरोन पोलार्ड पर रोहित ने अपना विश्वास बनाए रखा। इसी के कारण पोलार्ड ने उनका विश्वास कायम रखा और आईपीएल जितवाने में एक अहम भूमिका भी निभाई। कोहली को भी रोहित की कप्तानी से कुछ सीख लेनी चाहिए।
भारतीय टीम के लिए कोहली एक अच्छे कप्तान रहे हैं, परंतु अगर ध्यान से देखे तो विराट एक ही फॉर्मूला का उपयोग करने के आदि हो चुके हैं, जिसका दुष्परिणाम 2019 के आईसीसी विश्व कप के सेमीफ़ाइनल में देखने को मिला था, जब प्रबल दावेदार होने के बावजूद भारत को न्यूज़ीलैंड के हाथों हार का मुंह देखना पड़ा था।
एक कुशल कप्तान होने के लिए विराट अगर रोहित से कुछ टिप्स लें, तो वे निम्नतम नहीं कहलाएंगे और इससे मेन इन ब्लू का काफी फ़ायदा भी होगा। इसके अलावा विराट कोहली को रोहित शर्मा के लिए टेस्ट टीम में जगह रखनी चाहिए, क्योंकि रोहित शर्मा एक करिश्माई खिलाड़ी हैं, जो समय-समय पर मैच जीताऊ पारी भी खेलते आए हैं। यदि वे समय रहते ढल गए, तो टेस्ट मैच में उन्हे भारतीय टीम का कायाकल्प करने में ज़्यादा समय नहीं लगेगा।