‘हम डराने-धमकाने वाली राजनीति नहीं करते’, संजय राउत के बेतुके बोल पर चौटाला का वार

संजय राउत, दुष्यंत चौटाला

भारत में चुनावों के बाद राजनीति बेहद रोचक हो जाती है और जब किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत न मिले तो यहां का राजनीतिक माहौल और भी मजेदार हो जाता है। गठबंधन बनाने को लेकर पार्टियों की अपनी-अपनी शर्तें होती हैं, इस बीच सास-बहू के झगड़े जैसा दृश्य देखने को मिलता है।

ऐसा ही अभी हरियाणा और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों के बाद देखने को मिल रहा है। हरियाणा में 10 सीट पाने वाले दुष्यंत चौटाला की JJP ने भाजपा के साथ आकर सरकार बना ली है तो वहीं महाराष्ट्र में खींच-तान जारी है। वहां भाजपा की सहयोगी दल शिवसेना नाटक कर रही है। इसी बीच शिवसेना के संजय राउत ने हरियाणा में जेजेपी और बीजेपी के बीच हुए गठबंधन पर निशाना साधाते हुए तंज़ कसा था कि यहां कोई दुष्यंत नहीं है जिसके पिता जेल में हैं। इसका जवाब दुष्यंत ने बड़े शानदार तरीके से दिया। उन्होंने कहा कि वह किसी को डरा धमकाकर गठबंधन नहीं करते।

दरअसल, भाजपा और शिवसेना के बीच सत्ता में 50-50 फार्मूले को लेकर खींच-तान जारी है। एक तरफ शिवसेना 50-50 के फार्मूले पर अड़ी हुई है तो वहीं भाजपा इसे नकार रही है। इसी बीच महाराष्ट्र में सरकार बनाने पर शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने कहा, ‘हमारे पास विकल्प है, लेकिन विकल्प का इस्तेमाल कर पाप नहीं करना चाहते हैं। शिवसेना सत्ता की भूखी नहीं है। इस प्रकार की राजनीति से शिवसेना ने हमेशा से अपने को दूर रखा है।’ राउत ने आगे कहा, ‘यहां कोई दुष्यंत नहीं है, जिसके पिता जेल में हैं। यहां हम हैं जो नीति, धर्म और सत्य की राजनीति करते हैं। कांग्रेस कभी बीजेपी के साथ नहीं जाएगी।’

इसी पर पलटवार करते हुए दुष्यंत चौटाला ने कहा, ‘संजय राउत जी को तो पता है कि दुष्यंत चौटाला कौन हैं? मेरे पिताजी आज से जेल में नहीं हैं पिछले 6 सालों से हैं। संजय राउत जी ने कभी उनका हालचाल नहीं पूछा। अजय सिंह चौटाला अपनी सजा पूरी करके ही बाहर आएंगे उससे पहले नहीं।’

दुष्यंत चौटाला ने आगे कहा, मैं संजय राउत जी से कहूंगा इस तरह के बयान से उनका कद नहीं बढ़ता है। उनकी पार्टी भारतीय जनता पार्टी के साथ बहुत लंबे समय से चल रही है। हमारी पार्टी का गठन 11 महीने पहले हुआ है और 11 महीने में हमने धोखा देकर, किसी से लड़ाई लड़कर आगे-पीछे हटकर, डरा धमका कर आगे बढ़ने की मंशा नहीं रखी।

चौटाला ने कहा कि ईमानदार राजनीति के तहत जैसे 11 महीने में हमने काम किया है वैसे ही आगामी 5 साल प्रदेश के हित में काम करेंगे जो भी महाराष्ट्र का निर्णय होगा वह भारतीय जनता पार्टी का अंदरूनी मामला होगा।

अपने इस बयान से दुष्यंत चौटाला ने स्पष्ट बता दिया है कि अगर कोई उनके ऊपर लांछन लगाएगा तो उसे करारा जवाब देंगे। गौरतलब है कि शिवसेना भाजपा की सबसे पुरानी सहयोगी पार्टियों में से एक है लेकिन 17 नवंबर 2012 को बाला साहब ठाकरे की मृत्यु के बाद सब कुछ बादल सा गया है। वर्ष 2014 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में उद्धव ठाकरे की अगुआई में सीट बंटवारे के मुद्दे पर शिवसेना और भाजपा का 25 साल पुराना गठबंधन टूट गया था और दोनों ने स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ा था। उसके बाद से ही इन दोनों पार्टियों के बीच सास-बहू की तरह तना-तनी बनी रहती है।

शिवसेना अक्सर ही भाजपा को नीचा दिखने की कोशिश करती रहती है ताकि उनकी प्रासंगिकता बनी रहे। इसी पर वॉर करते हुए दुष्यंत चौटाला ने शिवसेना को यह याद दिलाया कि वह सत्ता लिए शिवसेना की तरह अपनी सहयोगी पार्टी को डराते-धमकाते नहीं हैं। उनके कहने का मतलब साफ था कि वह चाहते हैं कि शिवसेना अपने काम से मतलब रखे। चौटाला का यह बयान शिवसेना की अवसरवादी राजनीति का भी खुलासा करता है। भाजपा महाराष्ट्र में 105 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी है, इसके बावजूद भी शिवसेना 50-50 के फॉर्मूले पर अड़ी हुई है। जबकि हरियाणा में दुष्यंत चौटाला ने जनादेश को स्वीकार किया और भाजपा के साथ बिना किसी नोक-झोक के सरकार बनाई। शिवसेना को भी यह समझना चाहिए कि बेतुके बयान से उस पर ही प्रश्नचिन्ह खड़े होते हैं।

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