वीर अभिनंदन को दुबारा विमान उड़ाते हुये कौन नहीं देखना चाहता, लेकिन उसके लिए मिग-21 ही क्यों?

हमनें वैसे भी इस पुराने विमान की वजह से कई वायुसेना के पायलटों को खो दिया है...

मिग 21

PC: IndiaTimes

मंगलवार को वायुसेना ने वायुसेना दिवस (Indian Air Force Day) मनाया। इस अवसर पर देश के कई हिस्सों में कार्यक्रम आयोजित किए गए थे। उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद स्थित हिंडन एयरबेस पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान वायुसेना के जवानों ने लड़ाकू विमानों के साथ करबत दिखाया। हिंडन एयरफोर्स स्टेशन पर आयोजित एयर शो में पहली बार लड़ाकू हेलीकॉप्टर अपाचे और हैवी लिफ्ट हेलीकॉप्टर चिनूक ने अपनी ताकत दिखाई लेकिन इस शो के दौरान सबसे प्रमुख आकर्षण के केंद्र में थे वीर चक्र विजेता विंग कमांडर अभिनंदन वर्थमान , जिन्होंने पाकिस्तान के F-16 विमान को उसके घर में घुसकर मार गिराया था। उन्होंने वायुसेना के कार्यक्रम के दौरान आसमान में तीन मिग विमानों के फॉर्मेशन का नेतृत्व किया जिसपर लोगों ने सबसे अधिक तालियाँ बजाईं।

लेकिन सवाल यह है कि मिग 21 फाइटर जेट की लगातार हो रही दुर्घटना और क्रैश की खबरों के बावजूद इसे लगातार प्रयोग क्यों किया जा रहा है। वायु सेना में होने वाले प्लेन क्रैश और कैजुअल्टी में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी Mig विमानों की है। इसमें से भी MiG-21 का नाम सबसे ज्यादा खराब है। अभिनंदन अच्छे पायलट हैं लेकिन मिग 21 को भी “फ्लाइंग कोफीन” के नाम से भी जाना जाता है, ये बात हमेशा याद रखनी चाहिए।

रूस और चीन के बाद भारत MiG-21 का तीसरा सबसे बड़ा ऑपरेटर है। 1964 में इस विमान को पहले सुपरसॉनिक फाइटर जेट के रूप में भारतीय वायु सेना में शामिल किया गया था। भारत ने रूस से इस विमान को यहीं पर असेंबल करने का अधिकार और तकनीकी हासिल की थी। तब से लेकर अब तक इस विमान ने 1971 के भारत-पाक युद्ध, 1999 के कारगिल युद्ध समेत कई अहम मौकों पर अहम भूमिका निभाई। रूसी-मूल का मिग- 21 बाइसन भारत के छह फाइटर जेट्स में से एक है। ये सिंगल इंजन, सिंगल सीट मल्टी-रोल फाइटर/ग्राउंड अटैक एयरक्राफ्ट है। एयरफोर्स की वेबसाइट के मुताबिक मिग-21 बाइसन उनकी रीढ़ की हड्डी है। इसकी अधिकतम गति 2230 किलोमीटर प्रति घंटे की होती है और इसमें 23mm डबल बैरल कैनन (तोप) लगी होती है और इसमें चार R-60 कम दूरी तक मार करने वाली मिसाइल भी होती है। वर्ष 1950 से अभी तक मिग-21 के लगभग एक दर्जन संस्करण आए हैं जिनमें से कई को इंडियन एयरफोर्स के बेड़े में शामिल किया गया है। इनमें टाइप-77, टाइप-96 और BIS-बाइसन इसका सबसे अपग्रेडेड संस्करण है। IAF के 100 से ज़्यादा मिग- 21 को बाइसन में अपग्रेड किया गया है।

लेकिन इस विमान से होने वाली दुर्घटना भी अब आम बात हो चुकी है। न्यूज़18 की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 1963 से 2015 तक मिग- 21 के कुल 210 हादसे हुए हैं। वहीं अगर मिग विमानों के कुल हादसों की बात करें तो अब तक 1970 से लेकर वर्ष 2012 तक भारत ने 872 विमानों के अपने मिग लड़ाकू बेड़े के आधे से अधिक को खो दिया था। राज्यसभा में चर्चा के दौरान तत्कालीन रक्षा मंत्री एके एन्टनी ने खुलासा किया था कि “19 अप्रैल, 2012 तक 482 मिग विमानों की दुर्घटनाएं हो चुकी हैं।” एंटनी ने यह भी बताया था कि इन दुर्घटनाओं में 171 पायलटों, 39 नागरिकों और अन्य सेवाओं के आठ व्यक्तियों की जान चली गई। वर्ष 2010 और 2013 के बीच लगभग 14 मिग-21 दुर्घटनाग्रस्त हो गए थे। वहीं 2015-2018 के दौरान कुल 24 IAF विमान हादसों की शिकार हुईं, जिनमें 39 सैन्यकर्मी शहीद हो गए।

यानि 1971 और 2012 के बीच प्रति वर्ष औसतन 12 दुर्घटनाएं हुईं थी। इन विमानों को 1980 के दशक के मध्य तक सेवानिवृत्त होना था, लेकिन एक आधुनिक मल्टी-मोडर रडार, बेहतर एवियोनिक्स और संचार प्रणालियों के साथ आधुनिक लड़ाकू जेट बाइसन मानक में अपग्रेड किए गए। 11 दिसंबर, 2013 को भारत की दूसरी पीढ़ी के सुपरसोनिक जेट फाइटर, मिग-21 एफएल को 50 वर्षों तक सेवा में रहने के बाद सेवानिवृत्त कर दिया गया था। लेकिन अभी भारतीय वायु सेना मिग 21 बिसन का अपग्रेड प्रयोग करता है।

भारत दुनिया का आखिरी देश है जो अभी भी मिग 21s को उड़ा रहा है। ऐसे में यह आलोचना लाज़मी है कि पुरानी पीढ़ी के इन विमानों को ज़बर्दस्ती काम में लाए जाने की वजह से ही ये हादसों का शिकार हो रहे हैं और देश को बार-बार अपने अनमोल पायलटों को खोना पड़ रहा है। जैसे-जैसे किसी भी जेट की उम्र बढ़ती है वैसे-वैसे उसके सिस्टम में कमियाँ आनी शुरू हो जाती हैं और साथ ही पायलट के लिए भी वह खतरनाक हो जाता है। प्रत्येक विमान का अपना जीवनकाल होता है और मिग 21 का दो दशक पहले ही समाप्त हो चुका था।

मिग-21 अपने उच्च गति की लैंडिंग और canopy design के कारण रनवे की कम दृश्यता की वजह से फाइटिंग करने के लिए एक जोखिम भरा विमान है। चूंकि यह एकल इंजन वाला विमान है, इसलिए पक्षियों से यह अधिक प्रभावित होता हैं। भारतीय पर्यावरणीय परिस्थितियां भी इस विमान के लिए अलग हैं जो इस विमान को भी प्रभावित करते हैं।

वायु सेना के कई अफसर भी इसे पायलट के लिए घातक बता चुके हैं। अब भारत सरकार को दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए इसे जल्द से जल्द रिटायर कर देना चाहिए। 21वीं सदी में क्लोज कॉम्बैट की भूमिका और अनुकूल परिदृश्यों में मिग विमान भले ही कितने ही कारगर क्यों न रहा हो, लेकिन अब मिग-21 और मिग-27 विमानों के विरासत वाले बेड़े को फौरन बदले जाने की जरूरत है। निकट भविष्य में होने वाली इनकी क्षमता में कमी के कारण भारतीय वायु सेना को 5वीं जेनरेशन फाइटर्स हासिल करने के लिए सरकार पर दबाव बनाने को मजबूर किया है। भारतीय वायुसेना द्वारा राफेल प्राप्त किए जाने और देश में निर्मित तेजस का समावेशन किए जाने को किसी स्पष्ट ऑपरेशनल क्षमता में परिवर्तित होने में वक्त लगेगा।

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