27 अक्टूबर को जब देश में दिवाली का त्योहार मनाया जा रहा था, तब अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने एक प्रेस ब्रीफ़ का आयोजन किया और दुनिया के मोस्ट वांटेड आतंकवादी अबू बकर अल बगदादी की मौत की खबर पूरी दुनिया तक पहुंचाई। बगदादी दुनिया के सबसे खूंखार आतंकवादी संगठन ISIS का चीफ़ था, और वह अमेरिका, रूस और सीरिया की सरकार के निशाने पर था। हालांकि, बगदादी के मारे जाने की घटना कोई मामूली घटना नहीं थी। राष्ट्रपति ट्रम्प का खुद आकर वह घोषणा करना अपने आप में इस बात का सबूत था कि अमेरिका बगदादी की मौत का भरपूर प्रचार-प्रसार करना चाहता था और इतना ही नहीं, अमेरिका ने बगदादी की मौत को जिन शब्दों से वर्णित किया, वे सही मायनों में एक आतंकी की मौत के साथ न्याय करने वाले थे। इसी के साथ ही अमेरिका ने दुनिया के बाकी देशों को भी आतंकियों के साथ सलूक करने को लेकर एक कड़ा संदेश दिया है।
बगदादी की मौत की घोषणा करते हुए ट्रम्प ने कहा कि बगदादी आत्मघाती जैकेट पहनकर सुरंग में घुसा और दौड़ने लगा। इस दौरान उसने अपने तीन बच्चों को ढाल बनाकर रखा था। राष्ट्रपति ट्रंप के मुताबिक बगदादी अमेरिकी सैनिकों को निशाना बनाने के लिए किसी भी वक्त अपने आत्मघाती जैकेट में विस्फोट कर सकता था, इसलिए उसके पीछे यूएस स्पेशल ऑपरेशन फोर्सेज के ट्रेंड कुत्तों को लगाया गया। बाद में उसने सुरंग में ही अपने आप को विस्फोट से उड़ा दिया। इस ऑपरेशन के बाद राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि अपनी जिंदगी में खौफ का पर्याय बन चुका बगदादी आखिरी वक्त में कुत्तों की मौत मरा और वो बेहद डरपोक था। बाद में ऑपरेशन में शामिल एक कुत्ते की तस्वीर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ट्विटर पर साझा भी की। उन्होंने कुत्ते के नाम का खुलासा नहीं किया और तारीफ में कहा कि बगदादी को मारने में इस कुत्ते ने अच्छा काम किया।
We have declassified a picture of the wonderful dog (name not declassified) that did such a GREAT JOB in capturing and killing the Leader of ISIS, Abu Bakr al-Baghdadi! pic.twitter.com/PDMx9nZWvw
— Donald J. Trump (@realDonaldTrump) October 28, 2019
हालांकि, यह जानना बेहद दिलचस्प है कि आखिर अमेरिका हाथ धोकर बगदादी के पीछे क्यों पड़ा था? अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा था कि वह कई सालों से अमेरिकी सुरक्षा बलों के रेडार पर था और वह बार-बार अपनी लोकेशन बदल रहा था। अमेरिका के इस ऑपरेशन का सबसे बड़ा कारण था अमेरिकी नागरिक कायला मुलर की मौत। मुलर अमेरिकी राज्य एरिजोना की मानवीय कार्यकर्ता थीं जिन्हें आईएस के आतंकियों ने कैद कर लिया। उन्हें बुरी तरह प्रताड़ित किया गया और संगठन के मुखिया बगदादी तक ने कई बार यौन शोषण किया। बाद में वर्ष 2015 में आईएस की हिरासत में हीमुलर मौत हो गयी थी। यही कारण है कि अमेरिका ने बगदादी को मारने के लिए चलाये गए ऑपरेशन का नाम भी कायला मुलर के नाम पर ही रखा। यह दर्शाता है कि अमेरिका के लिए उनके एक नागरिक की जान की कीमत भी कितनी मायने रखती है। यही हमें तब देखने को मिला था जब तुर्की ने अमेरिकी पैस्टर को जासूसी के आरोप में कैद कर लिया था। बदले में अमेरिका ने तुर्की पर इतने कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए कि तुर्की को उस अमेरिकी नागरिक को रिहा करने पर मजबूर होना पड़ा था। अमेरिकी प्रशासन का यही रुख हमें इस बार देखने को मिला।
इसके अलावा राष्ट्रपति ट्रम्प जब से सत्ता में आए हैं, इस्लामिक आतंकवाद के खिलाफ वे काफी मुखर रहे हैं। अपने इसी रुख को और मजबूत करने के लिए उन्होंने ISIS के चीफ़ को मारने की खबर पूरी दुनिया के सामने रखी। इसके बाद अमेरिकी सेना के जॉइंट चीफ ऑफ स्टाफ के चेयरमैन मार्क मिली ने मीडिया को बताया कि, ‘बगदादी के शव को डीएनए टेस्टिंग के लिए सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया। इसके बाद उसके शव का निपटारा किया गया। इस काम को पूरी तरह नियमों के तहत अंजाम दिया गया।’ बता दें कि इससे पहले आतंकवादी ओसामा बिन लादेन के साथ भी अमेरिका ने यही सलूक किया था। बगदादी की मौत ने अमेरिका और राष्ट्रपति ट्रम्प के इस्लामिक आतंकवाद के विरुद्ध अभियान में चार चांद लगाने का काम किया है। इसे आप चुनावों से जोड़कर भी देख सकते हैं। अगले वर्ष अमेरिका में चुनाव होने वाले हैं और राष्ट्रपति ट्रम्प अपने पुनर्निर्वाचन को लेकर उत्साहित दिखाई दे रहे हैं। ऐसे में उन्होंने इस अंदाज में आतंकवादी के मारे जाने की घोषणा कर अपने वोटर बेस को खुश करने की कोशिश भी की है।
अगर भारत जैसा देश चाहे तो अमेरिका से सीख लेकर अपने विरुद्ध काम करने वाले आतंकवादियों के साथ भी ठीक यही सलूक कर सकता है। आज हाफिज़ सईद और मौलाना मसूद अज़हर जैसे आतंकवादी पाकिस्तान में मौज की जिंदगी बिता रहे हैं और उन्हें पाकिस्तानी सरकार की शय हासिल है। हालांकि, पिछले कुछ सालों में भारतीय सेना ने पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक और एयरस्ट्राइक कर सबको यह दिखा दिया है कि भारत अपने दुश्मनों को खत्म करने के लिए अब सीमा पार करने से भी नहीं हिचकिचाएगा। ऐसे में अब हम भारतीय सुरक्षा बलों से यह उम्मीद कर सकते हैं कि आने वाले समय में वह अंतर्राष्ट्रीय दबाव की मदद से, या अपनी सैन्य शक्ति की मदद से भारत के मोस्ट वांटेड आतंकियों को उनके अंजाम तक पहुंचाने में कामयाब हो जाए।