भारत और भारतीय सेना के खिलाफ सिखों को भड़काने पर एक सिख ने पाकिस्तान की खोली पोल

करतारपुर कॉरिडोर

PC: Hindustantimes

भारत और पाकिस्तान के बीच कल यानि 9 नवंबर को ऐतिहासिक करतारपुर कॉरिडोर की शुरुआत होने वाली है जिसके बाद भारत की ओर से सिख श्रद्धालु पाकिस्तान में स्थित करतारपुर साहेब गुरुद्वारे के दर्शन कर सकेंगे। यूं तो यह पूरी तरह एक धार्मिक कार्यक्रम है, लेकिन पाकिस्तान इस प्रोजेक्ट की आड़ में अपने खालिस्तानी एजेंडा को प्रमोट करता आया है। इस कॉरिडोर के शुरू होने से पहले ही पाकिस्तान कई बार अपने खालिस्तानी मंसूबों को सबके सामने प्रदर्शित कर चुका है, और उसकी पूरी कोशिश है कि कैसे भी करके भारतीय सिंखों में अलगाव की भावना को पैदा किया जा सके। इसी कड़ी में अब पाकिस्तान ने करतारपुर साहेब गुरुद्वारा के परिसर में एक बम को स्थापित किया है जिसके साथ यह लिखा गया है कि वर्ष 1971 के युद्ध के समय भारतीय वायुसेना ने इस पवित्र स्थल को निशाना बनाने की कोशिश की थी।

बता दें कि इस बम को गुरुद्वारे के परिसर में एक शो केस में रखा गया है। शोकेस के बगल में ही रखे एक बोर्ड पर बम के बारे में जानकारी दी गई है। इसका शीर्षक है : वाहे गुरुजी का चमत्कार। नीचे लिखा है, ‘भारतीय वायु सेना ने 1971 की लड़ाई के दौरान गुरुद्वारा साहिब पर यह बम गिराया था। लेकिन वाहेगुरुजी की कृपा से उसके गलत इरादे नाकामयाब हुए। बम श्री खू साहिब (पवित्र कुआं) में गिरा और दरबार साहिब सुरक्षित रहा। यहां पर यह जिक्र करना भी जरूरी है कि ये वही पवित्र कुआं है जिससे श्री गुरु नानक देव जी अपने खेतों की सिंचाई किया करते थे।’ झूठे तथ्य सहित इस बोर्ड को लगाने का पाकिस्तान का एक ही मकसद है कि कैसे भी करके भारतीय सिखों में भारत-विरोधी भावनाओं को बढ़ावा दिया जाए और खालिस्तानी एजेंडे को आगे बढ़ाया जाये। इससे पहले पाकिस्तान ने करतारपुर कॉरिडोर के स्वागत संगीत की वीडियो में भी अपने खालिस्तानी एजेंडे के नमूने को पेश किया था। उस वीडियो में खालिस्तानी आतंकवादी भिंडरावाले समेत 3 आतंकवादियों की तस्वीर भी शामिल थी।

करीब 4 मिनट के उस वीडियो में 3 मिनट 30 सेकेंड पर खालिस्तानी आतंकवादियों की तस्वीर नजर आ रही थी। इसके अलावा उस वीडियो में एक पोस्टर भी दिख रहा था, जिसपर खालिस्तानी आतंकियों की तस्वीर छपी हुई थी और उसपर ‘खालिस्तान 2020’ लिखा था। इस विडियो के सामने आने के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान सरकार के सामने कड़े शब्दों में अपना विरोध जताया था। हालांकि, ऐसा लगता है कि पाकिस्तान पर इसका कोई असर नहीं हुआ और अब एक बार फिर उसने भारत-विरोधी गतिविधि को अंजाम दिया है।

बता दें कि यह तथ्य बिलकुल झूठा है कि भारतीय वायुसेना ने वर्ष 1971 के युद्ध में पवित्र करतारपुर साहेब गुरुद्वारे को निशाना बनाया था। करतारपुर साहेब से भारतीय वायुसेना को कोई सुरक्षा खतरा नहीं था और ना ही भारतीय वायुसेना के पास इस जगह हमला करने की कोई वजह थी। हालांकि, अपने आप को सिखों का हितैषी दिखाने की कोशिश कर रहे पाकिस्तान से आज यह सवाल पूछना जरूरी है कि उसके यहाँ मौजूद सिख आबादी कहाँ लापता होती जा रही है। पाकिस्तान ने जिस तरह योजनाबद्ध तरीके से अपने यहाँ अल्पसंख्यक समुदाय को गायब किया है, उसके आंकड़े सबके सामने हैं। वर्ष 2002 में पाकिस्तान में सिक्खों की संख्या 40 हज़ार थी, जो अब वर्ष 2019 में घटकर सिर्फ 8 हज़ार रह गयी है। सिखों की इस कम होती आबादी का आखिर कौन ज़िम्मेवार है?

वहीं भारत में सिखों के विकास की कहानी पूरी दुनिया ने देखी है। सिखों के पास अपनी पंजाबी भाषा में लिखने और पढ़ने के अधिकार है, जो कि पाकिस्तान में नहीं है। सिख इस देश के सर्वोच्च सैनिक पदों से लेकर सरकारी पदों तक पहुंच चुके हैं और देश की सेवा कर चुके हैं।

हालांकि, इस सबके बावजूद पाकिस्तान को इस बात का यकीन है कि वह भारतीय सिखों को अपने जाल में फँसाने में कामयाब हो जाएगा। पाकिस्तान के इस एजेंडे को देखते हुए जहां एक तरफ भारतीय समुदाय को सतर्क रहने की आवश्यकता है, तो वहीं भारतीय सरकार को भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान के इस एजेंडे को एक्सपोज करने की कोशिश करनी चाहिए।

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