उइगर मुसलमानों ने आज से 5 साल पहले लिया था शी जिनपिंग से पंगा, आज उसी की सज़ा भुगत रहे हैं

उइगर

चीन में जारी उइगर मुसलमानों पर अत्याचार के बारे में तो आप सभी को पता ही होगा। हालांकि, चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी की उइगर मुसलमानों के खिलाफ योजना का अब बड़ा खुलासा हुआ है। दरअसल, न्यूयॉर्क टाइम्स अखबार को चीनी सरकार के कुछ गुप्त दस्तावेज हाथ लगे हैं जिसमें कुल मिलाकर 403 पेज हैं। इनमें से 200 से अधिक पेजों में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के उइगर मुसलमानों को लेकर कुछ भाषण लिखित हैं, जिनसे यह स्पष्ट होता है कि उइगर मुसलमानों के खिलाफ चीनी राष्ट्रपति की निजी दुश्मनी है और वो उइगर मुसलमानों पर अत्याचारों से सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं। उनके एक भाषण से यह भी स्पष्ट होता है कि अपने अधिकारियों के साथ एक बैठक में उन्होंने उइगर मुसलमानों से बिना किसी रहम के निपटने की बात कही थी।

इन दस्तावेजों में इस बात का उल्लेख है कि शिंजियांग प्रांत में रहने वाले उइगर परिवारों में से कई बच्चे अब परीक्षा देकर जब वापस अपने घरों में लौट रहे हैं, तो उन्हें अपने परिवार वाले ही नहीं मिल रहे हैं और चीनी अधिकारियों की ओर से उन्हें यह बताया गया है कि उनके परिवार वालों को शिक्षा के लिए स्कूलों में भेजा गया है। इसके साथ ही बच्चों को धमकी भी दी गयी है कि उनके बर्ताव का असर उनके परिवारजनों द्वारा स्कूल में बिताए जा रहे समय पर पड़ेगा।

इसके अलावा इन दस्तावजों से यह भी स्पष्ट है कि चीनी राष्ट्रपति की इन उइगर मुसलमानों से निजी दुश्मनी है। दरअसल, शी जिनपिंग के राष्ट्रपति बनने के महज़ एक वर्ष बाद ही जब वे शिंजियांग प्रांत के दौरे पर गए थे, तो उनके दौरे के आखिरी दिन 2 उइगर उग्रवादियों ने उरुमकी में एक स्टेशन के बाहर सूसाइड बम से हमला किया था। इस हमले में 80 लोग बुरी तरह घायल हो गए थे। इसके अलावा उनके दौरे से महज कुछ हफ्तों पहले कुछ उइगर उग्रवादियों ने उरुमकी में एक अन्य रेलवे स्टेशन को निशाना बनाया था, जिसमें उन्होंने चाकू से हमला कर 31 लोगों को मार गिराया था और 150 लोगों को घायल कर दिया था। हमलों का यह सिलसिला शी जिनपिंग के दौरे के बाद भी चलता रहा और उनके दौरे के 1 महीने के बाद उरुमकी के एक सब्जी बाज़ार में धमाका किया गया जिसमें 40 लोगों की मौत हो गयी थी। इसके बाद से उइगर मुसलमान चीनी सरकार के निशाने पर आ गए थे। दस्तावजों के मुताबिक, शी जिनपिंग के आने से पहले कम्युनिस्ट पार्टी के नेता उइगर मुसलमानों द्वारा किए जा रहे इन हमलों को इतनी गंभीरता से नहीं लेते थे। हालांकि, शी जिनपिंग ने अपने एक भाषण में अधिकारियों को कहा ‘हमें भी उनसे निपटने के लिए उन्हीं का तरीका अपनाना होगा और उनके लिए हमारे दिल में कोई दया की भावना नहीं होनी चाहिए’।

बता दें कि शिंजियांग प्रांत के उरुमकी इलाके में ऐसी आतंकी घटनाएँ कोई नई बात नहीं है, बल्कि वर्ष 2009 में भी इस इलाके में उग्र घटनाओं की संख्या में वृद्धि देखने को मिली थी। तब चीन के तत्कालीन राष्ट्रपति हू जिंताओ ने उइगर मुसलमानो के विद्रोह को कुचल दिया था। हालांकि, उनका यह भी मानना था कि शिंजियांग प्रांत में विकास करके वे लोगों को सही रास्ते पर ला सकते हैं। बाद में जब शी जिनपिंग सत्ता में आए, तो उन्होंने बंदी गृह बनाकर उइगर मुसलमानों का कथित इलाज़ ढूंढने का तरीका निकाला, और तभी से उइगर मुस्लिमों पर अत्याचार की खबरें चीन से आती रहती हैं।

बता दें कि मुसलमान पुरुषों को परिवार से दूर कर उन्हें डिटेंशन कैंप्स में भेजा जाता है, जहां उनको शिक्षा देने के नाम पर उन्हें प्रताड़ित किया जाता है। ऐसी खबरें आती रही हैं कि, उइगर शिवरों में इस्लाम के प्रति घृणा फैलाने, इस्लाम के खिलाफ निबंध लिखने और इस्लामिक मान्यताओं के खिलाफ भड़काने जैसी तमाम शिक्षाएं दी जाती हैं। यहां तक कि, उन्हें सूअर का मांस खाने और शराब पीने के तक लिए मजबूर किया जाता है जोकि मुस्लिम धर्म में वर्जित माना जाता है। इसे चीन मुसलमानों को कथित रुप से ‘री-एजुकेट’ किए जाने का नाम देता आ रहा है। चीनी सरकार का यह मानना है कि उसने सभी लोगों को पूरी धार्मिक स्वतन्त्रता दी हुई है। हालांकि, यह भी सच्चाई है कि उसने पिछले कुछ समय से मुस्लिमों पर बेतहाशा पाबंदी लगाई हुई है। संयुक्त राष्ट्र और अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक, चीऩ के नजरबंदी शिविरों में मुस्लिम उइगर अल्पसंख्यक समुदाय से करीब 10 लाख से ज्यादा लोगों को शिविरों में बंधक बनाकर रखा गया है। इस दौरान उनपर कम्युनिस्ट प्रोपेगेंडा का राग अलापने और इस्लाम की आलोचना करने के लिए दबाव बनाया जाता है। पिछले वर्ष संयुक्त राष्ट्र संघ की टीम ने चीन का दौरा किया था। इस टीम ने चीन में मुसलमानों की स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा था कि ये समझ के बाहर है कि उइगर समुदाय के लोगों को चीऩ ने री एजुकेशन कैंप में क्यों रखा है?”

अभी कुछ दिनों पहले आई कुछ मीडिया रिपोर्टस में इस बात का खुलासा भी हुआ था कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने उइगर परिवारों में राष्ट्रवाद बढ़ाने के लिए एक जोड़ी बनाओ और परिवार बनाओ नामक योजना की शुरुआत की है जिसके तहत एक गैर-उइगर चीनी पुरुष रिश्तेदार बनकर उइगर महिलाओं के साथ रहता है और दिनभर उनपर नज़र रखता है। इसके अलावा रात में उइगर महिलाओं को इन कथित रिशतेदारों के साथ सोने पर भी मजबूर किया जाता है। उइगर पुरुषों को बंदी बनाकर उइगर महिलाओं को अन्य चीनी पुरुषों के साथ सोने पर मजबूर करने से यह स्पष्ट है कि चीन उइगर मुसलमानों का सफाया करने की नीति पर काम कर रहा है। अदालतों में उइगर मुसलमानों को न्याय भी नहीं मिलता है और उन्हें कम्युनिस्ट पार्टी की तानाशाही का शिकार होना पड़ता है। उइगर मुसलमान हमेशा इस डर में जीते हैं कि ना जाने कब उन्हें सरकार का कोई शख्स उठाकर ले जाए और परिवार और बच्चों से दूर कहीं नजरबंद कर दे। उन्हें यह तक नहीं पता होता कि वे कहां हैं, कब छूटेंगे और अपने परिवार से फिर कभी मिल भी पाएंगे या नहीं। हालांकि, इन सब के बावजूद दुनिया के इस्लामॉक राष्ट्रों के साथ-साथ यूएन मानवाधिकार संगठन तक, सबने इसपर चुप्पी साध रखी है। अगर अभी दुनिया ने चीन के इन अत्याचारों के खिलाफ एक स्वर में आवाज़ नहीं उठाई, तो वह दिन दूर नहीं जब चीन से उइगर मुसलमानों का नामो-निशान पूरी तरह मिट जाएगा।

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