थाईलैंड के ‘स्वस्दी मोदी’ कार्यक्रम ने मचाई धूम, चीन के दांत खट्टे करने का पूरा प्लान तैयार

मोदी

(PC: ANI)

पीएम मोदी इन दिनों थाइलैंड के दौरे पर हैं जहां उन्होंने सबसे पहले ‘स्वस्दी पीएम मोदी’ कार्यक्रम को संबोधित किया। इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में भारतीय मूल के लोगों ने शिरकत की, और अमेरिका में हाऊडी मोदी कार्यक्रम के बाद भारतीय मूल के लोगों के साथ पीएम मोदी का यह पहला संवाद था। इस दौरान उन्होंने भारत और थाइलैंड के सांस्कृतिक सम्बन्धों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि थाईलैंड के कण-कण और जन-जन में अपनापन नजर आता है। इसी दौरान उन्होंने थाइलैंड और भारत के बीच केनेक्टिविटी बढ़ाने वाले सभी प्रोजेक्ट्स पर भी प्रकाश डाला। पीएम मोदी ने कहा कि वे भारत के नॉर्थ ईस्ट को साउथ ईस्ट एशिया के लिए एक गेटवे के रूप में विकसित करने का काम कर रहे हैं।

इस दौरान फिर एक बार पीएम मोदी ने भारत-म्यांमार-थाईलैंड हाईवे प्रोजेक्ट को सबसे सामने रखा। उन्होंने कहा कि एक बार यदि यह ट्राईलेटरल हाइवे बनकर तैयार हो गया, तो इससे भारत के साथ-साथ पूरे साउथ-ईस्ट एशिया में आर्थिक समृद्धि आएगी। उन्होंने कहा-

‘हम नॉर्थ-ईस्ट इंडिया को साउथ ईस्ट एशिया के गेटवे के तौर पर विकसित कर रहे हैं। इससे भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी और थाइलैंड की एक्ट वेस्ट पॉलिसी को ताकत मिलेगी। एक बार भारत-म्यांमार-थाईलैंड हाईवे शुरू हो जाएगा, तो तीनों देशों के बीच कनेक्टिविटी आसान होगी, व्यापार बढ़ेगा और ट्रेडिशन को भी नई ताकत मिलेगी।

गौरतलब है कि भारत, म्यांमार और थाइलैंड को जोड़ने वाले 1360 किमीं. लंबे इस हाईवे को तीन देश मिलकर बना रहे हैं। भारत इस हाईवे के दो सेक्शन का निर्माण करेगा। इसके क्लेवा-यांग्यी (Kalewa-Yagyi) रोड सेक्शन के निर्माण के लिए भारत सरकार ने 193.16 करोड़ रुपए जारी किए हैं। भारत के नॉर्थ ईस्ट को शुरू ही भारत सरकारों द्वारा नकारा जाता रहा है। पिछली सरकारों के सुस्त रवैये का ही यह परिणाम है कि ना तो कभी नॉर्थ ईस्ट भारत के अन्य हिस्सों के साथ घुल-मिल पाया और ना ही वह अन्य हिस्सों के भांति विकास कर पाया। भारत, म्यांमार और थाईलैंड के बीच कनेक्टिविटी बेहतर होने से इन देशों की एक दूसरे के देश के बाज़ारों तक पहुँच काफी आसान हो जाएगी और इसका सीधा फायदा इन देशों की अर्थव्यवस्था को होगा। लोग सड़क के माध्यम से इन देशों की यात्रा कर पाएंगे जिससे भारत के नॉर्थ ईस्ट को एक बेहतर टूरिस्ट डेस्टिनेशन के रूप में भी विकसित किया जा सकता है।

इन देशों में भारत द्वारा इनफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने की वजह से वहां ना सिर्फ भारत का प्रभुत्व बढ़ेगा बल्कि इन देशों में चीन के प्रभाव को भी कम किया जा सकेगा। बता दें कि म्यांमार और थाईलैंड, दोनों ही देश चीन के महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट बीआरआई का भी हिस्सा हैं, और चीन इन दोनों ही देशों में निवेश कर रहा है। चीन इन देशों के बाज़ारों तक अपनी पहुँच को आसान बनाना चाहता है। हालांकि, अब भारत ने भी चीन को टक्कर देने के लिए कमर कस ली है।

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