पराली जलाने वाले तीन राज्यों पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश को सुप्रीम कोर्ट ने जमकर फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने 100 रूपए प्रति क्विंटल प्रोत्साहन राशि देने का आदेश जारी किया है। कोर्ट ने इन राज्यों को आईना दिखाते हुए कहा कि आपकी कमी और लापरवाही की वजह से ही अभी भी हम 100 साल पीछे हैं।
Supreme Court directs U.P, Haryana & Punjab Govt. to provide financial assistance of Rs.100 per quintal within 7 days to small & marginal farmers to ensure that they do not burn stubble to clean their fields.
TIMES NOW's Mohit Sharma with details. pic.twitter.com/FLZIAgpylm
— TIMES NOW (@TimesNow) November 6, 2019
सु्प्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान पराली जलाने के सवाल पर जवाब देते हुए अर्टानी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि पराली जलाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता। इस पर जस्टिस अरूण मिश्रा ने बेहद सख्त लहजे में पूछा कि पराली जलाने पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया जा सकता? क्या सरकारें पराली जलाने से रोकने पर सख्ती नहीं दिखा सकती? सुप्रीम कोर्ट इस दौरान सबसे ज्यादा पंजाब सरकार के ढुलमुल रवैये पर नाराजगी व्यक्त की।
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को पराली जलाने से रोकने के लिए सबसे असफल राज्य बताया। कोर्ट ने सवाल पूछा है कि पराली जलाने से रोकने के लिए आपने राज्य में पहले से तैयारी क्यों नहीं की? आप अपने किसानों से पराली क्यों नहीं खरिदते? सुप्रीम कोर्ट ने अमरिंदर सरकार को कड़ा फटकार लगाते हुए कहा कि साल भर तक आपकी सरकार ने इस पर कोई पहल नहीं की। नाराज जस्टिस मिश्रा ने पंजाब के चीफ सेक्रेटरी को निलंबित करने की धमकी तक दे डाली। उन्होंने कहा कि केवल दुख जताने से कुछ नहीं होगा। इसके लिए किसान नहीं सरकार और सरकार के मुख्य सचीव जिम्मेदार हैं। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार से कहा है कि वे लिखित दें कि वे अगले 7 दिन में क्या कदम उठाने वाले हैं? अगर कुछ नहीं कर पा रहे हैं तो बताएं हम सब कुछ कर लेंगे।
बता दें कि पंजाब सरकार को ये फटकार यूं ही नहीं सुनने को मिली है। केंद्र सरकार की मदद के बावजूद भी पंजाब सरकार ने राज्य में पराली जलाने से रोकने पर कोई सख्ती नहीं दिखाई। इस समस्या का समाधान निकालने के लिए केंद्र सरकार ने प्रयास किया था। केंद्र सरकार द्वारा हरियाणा और पंजाब सरकार को दी गई लगभग 1,150 करोड़ रुपये की सहायता से 18,000 मशीनें खरीदी गई हैं। ये मशीनें फसल के अवशेषों को खाद में बदलने में सहायता करती हैं, जिसका इस्तेमाल फसल अवशेषों को जलाने के चलन को खत्म करने के लिए किया जा सकता है। इसके बावजूद भी अमरिंदर सरकार ने पराली जलाने से रोकने को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया। परिणामस्वरूप दिल्ली एनसीआर समेत कई जगह गैस चेंबर में तब्दील हो गए।
स्पष्ट है केंद्र सरकार ने अपनी जिम्मेदारियों का पूर्ण रूप से निर्वाह किया है और पंजाब सरकार को पराली जलाने पर नियंत्रण के लिए प्रयास करने चाहिए थे। स्थिति की गंभीरता को न समझना और केंद्र सरकार पर आरोप प्रत्यारोप करना, दर्शाता है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह अपनी जिम्मेदारियों से भाग रहे हैं और सुप्रीम कोर्ट ने इसी संदर्भ में कैप्टन अमरिंदर की सरकार को कड़ी फटकार लगाई है व सात दिन के अंदर राज्य में पराली जलाने से रोकने को लेकर कदम उठाने का निर्देश दिया है। ऐेसे में अमरिंदर सरकार की पोल खुल चुकी है कि उन्होंने केंद्र सरकार की मदद के बावजूद भी पराली जलाने से रोकने पर कोई एक्शन नहीं लिया।