अर्नब ने जब अमित शाह से पूछा- ‘370 पर पर्याप्त चर्चा क्यों नहीं हुई’ इस पर शाह का जवाब EPIC था!

जबरदस्त जवाब!

अमित शाह, अनुच्छेद 370, जम्मू-कश्मीर

अमित शाह अपनी नीतियों को लेकर साधारण और सटीक उत्तर देने के लिए जाने जाते हैं और शायद यही कारण है कि केंद्रीय राजनीति में आने से पहले देश की मेनस्ट्रीम मीडिया ने कभी उनको खास कवरेज नहीं दी थी। ऐसा इसलिए क्योंकि मीडिया को शुरू से ही बातों को घुमाने वाले और जटिल व्यक्तित्व वाले वक्ता पसंद रहे हैं।

हालांकि, अमित शाह की जवाब देने की शैली इन सब से हटकर है। वे स्पष्ट और कम से कम शब्दों में अपनी बात कहने के लिए जाने जाते हैं, जिसका एक नमूना हमें आज फिर देखने को मिला। रिपब्लिक समिट में बोलते हुए अमित शाह ने एक बार फिर उन सब को चुप करा दिया जो सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 को हटाने के निर्णय की आलोचना कर रहे थे।

बता दें कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटे 4 महीने होने को हैं और घाटी में शांति स्थापित करने में सरकार अब तक सफल ही रही है। हालांकि, कुछ लोग अब भी सरकार के इस कदम की यह कहकर आलोचना कर रहे हैं कि यह कदम उठाने से पहले सरकार ने इस पर किसी के साथ चर्चा नहीं की। अमित शाह ने इसी बात पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हम पिछले 70 सालों से इसपर सिर्फ चर्चा ही तो कर रहे थे। उन्होंने कहा “जब तक अनुच्छेद 370 नहीं हटाया जाता, तब तक कश्मीर में आतंकवाद को खत्म नहीं किया जा सकता था। संसद में सब मुद्दों की चर्चा होती है। लेकिन किसी भी यह भी कहा कि अनुच्छेद 370 क्यों ज़रूरी है”।

बता दें कि इससे पहले अमित शाह ने बुधवार को राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर के हालात पर बयान दिया था। तब भी उन्होंने बताया था कि अनुच्छेद 370 हटने से लेकर अब तक कश्मीर में बड़े पैमाने पर सुधार हुआ है। अमित शाह ने बताया था कि कश्मीर में पत्थरबाज़ी की घटनाओं में 45 प्रतिशत तक की कमी देखने को मिली है। घाटी में इन्टरनेट चालू करने के सवाल पर उन्होंने कहा था “इंटरनेट आज सूचना के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि पूरे देश में मोबाइल 1995-96 में आया लेकिन कश्मीर में मोबाइल बीजेपी सरकार 2003 में लेकर आई। अमित शाह ने कहा कि इंटरनेट जरूरी है लेकिन देश की सुरक्षा का सवाल है, आतंकवाद के खिलाफ की लड़ाई का सवाल है तो हमें सोचना पड़ेगा और जब जरूरी लगेगा तो हम इसे जरूर बहाल करेंगे”।

इसके अलावा अमित शाह ने यह भी बताया था कि अनुच्छेद 370 हटाने के बाद से कश्मीर से पुलिस की फायरिंग में एक भी व्यक्ति की मौत नहीं हुई है। इसके अलावा पत्थरबाजी की घटनाएँ भी पिछले साल के 802 मामलों से घटकर इस वर्ष 544 मामलों तक सीमित रह गयी है। तब अमित शाह से जम्मू-कश्मीर के हालात पर सवाल पूछा गया था, जिसमें स्कूल-मेडिकल सुविधा के बारे में विस्तार से जवाब मांगा गया था। इसपर अमित शाह ने कहा था कि घाटी में दवाइयों की उपलब्धता पर्याप्त है, दुकान-अस्पताल में भरपूर दवाई हैं। इस दौरान गृह मंत्री ने कश्मीर में स्वास्थ्य के मसले के आंकड़े भी जारी किए थे।

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाये जाने का पूरे देश ने समर्थन किया था, और भाजपा का यह शुरू से ही चुनावी वादा भी रहा है। हालांकि, पिछले 70 वर्ष के दौरान किसी भी पार्टी ने इस मसले को करने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया। अब जब भाजपा ने यह बड़ा फैसला लिया है, तो अब भी कुछ विपक्षी पार्टियों को इससे बड़ी पीड़ा हो रही है। हालांकि, अमित शाह अपनी बेबाकी से इनका मुंह बंद कराने में समय बिलकुल भी नहीं गंवाते हैं।

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