बाला साहेब जीवन भर कांग्रेस को कोसते रहे और उद्धव ठाकरे उसी कांग्रेस की गोद में जा बैठे हैं

बाला साहेब

महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना में चल रही कड़वड़ाहट के बीच महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रह चुके देवेंद्र फडणवीस ने शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे की पुण्यतिथि के अवसर पर उनके भाषणों का एक वीडियो ट्वीट किया है। इसमें पूर्व सीएम ने लिखा- आदरणीय बालासाहेब ने हम सबको स्वाभिमान का संदेश दिया था।”

वहीं फडणवीस के इस ट्वीट पर शिवसेना नेता सचिन अहीर ने कहा है कि उन्होंने आज भले ही सम्मान जताया हो, लेकिन उन्हें अपने कर्मों से भी ऐसा कना चाहिए थाअब हम बहुत दूर निकल आए हैं

अगर राजनीतिक विश्लेषकों की मानी जाये, तो इस वीडियो के माध्यम से बीजेपी ने शिवसेना पर एक करारा तंज कसा है। बालासाहेब की मृत्यु आज से 7 वर्ष पहले हुई थी। गौरतलब है कि जहां भाजपा बालासाहेब का हमेशा सम्मान करती आई है यहां तक की उनके सम्मान में विशाल प्रतिमा भी स्थापित की है। वहीं शिवसेना उनकी विचारधाराओं को तिलांजलि देकर केवल सत्ता की कुर्सी पर बैठना चाहती है।

बता दें की शिवसेना ने भाजपा के साथ मिलकर महायुति गठबंधन के रूप में चुनाव लड़ी थी, जिसमें भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस को एनडीए का नेता मान कर शिवसेना ने चुनाव लड़ा था। चुनाव में जनता ने अपना विश्वास कायम रखते हुए एनडीए को फिर सत्ता वापसी कराई, और उन्हें कुल 163 सीट दिये।

परंतु सत्ता की लालच में शिवसेना ने अपने संकल्पों से मुकरते हुए 2.5 साल के फॉर्मूले की मांग करनी शुरू कर दी, और फिर भाजपा से नाता तोड़ते हुए उन्होंने अपने ही चीर प्रतिद्वंदी, कांग्रेस और एनसीपी के पैर पकड़ने शुरू कर दिये, ताकि शिवसेना का व्यक्ति मुख्यमंत्री बन सके। फिलहाल राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा हुआ है, और सरकार बनाने के लिए सब अपने-अपने दांव-पेंच लगा रहे हैं।

अब बालासाहेब के स्वाभिमान संबन्धित भाषण का वीडियो ट्वीट करने के पीछे का तात्पर्य क्या है? असल में बालासाहेब ठाकरे का मानना था कि स्थिति कैसी भी हो, सत्ता प्राप्ति के लिए वे अपने स्वाभिमान से कोई समझौता नहीं करेंगे, और न ही अपने मूल्यों को ताक पर रखकर किसी से गठबंधन करेंगे।

अपनी मृत्यु से कुछ दिन पहले एक वीडियो संदेश में बाल ठाकरे ने कांग्रेस को ‘कैंसर’ की संज्ञा दी थी। उनके अनुसार, “राज्य और केंद्र में कांग्रेस की सत्ता को उखाड़ फेंकिए, क्योंकि वे कैंसर से कम नहीं हैं”। यही नहीं, 2जी स्कैम पर कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने कहा था, “कांग्रेस के युवराज को मायावती का भ्रष्टाचार दिखता है, परंतु वे अपने ही सरकार की भ्रष्टाचार पर चुप हैं। उनकी मम्मी भी इस विषय पर मौन हैं। पीएम भी अपना मुंह नहीं खोल रहे हैं। सच इनकी चुप्पी में ही छुपा हुआ है”।

इसके अलावा मराठी लोगों की अस्मिता और हिन्दुत्व वे प्रमुख मुद्दे थे, जिनके बल पर बाल ठाकरे ने अपनी पार्टी को महाराष्ट्र में पहचान दिलाई थी। हिन्दुत्व विचारधारा के लिए उनका समर्थन ही बाल ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना की अपार लोकप्रियता का एक प्रमुख कारण था। परंतु आज उनकी ही विचारधारा की बलि चढ़ाकर उद्धव ठाकरे और शिवसेना में उपस्थित उनकी चाटुकार मंडली किसी भी स्थिति में सरकार बनाना चाहती है। सही ही कहा गया है, ‘विनाश काले विपरीते बुद्धि।’

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