राहुल गांधी, RCEP पर मोदी सरकार को घेरने से पहले ये तो जान लेते, कि यूपीए द्वारा फैलाये रायते को समेट रहे PM मोदी

राहुल गांधी

PC: ichowk

सोमवार को भारत ने 16 देशों के RCEP व्यापार समझौते का हिस्सा नहीं बनने का फैसला लिया है। विदेश मंत्रालय ने बताया की भारत ने RCEP से जुड़े रहने से मना किया है क्योंकि अभी भी कई मुद्दे अनसुलझे हुए हैं, और मौजूदा स्थिति को देखते हुए RCEP से न जुड़ना ही ठीक होगा। विदेश मंत्रालय ने यह स्पष्ट किया है कि यह निर्णय राष्ट्रहित में लिया गया है। प्रस्तावित फ्री ट्रेड एग्रीमेंट में भारत के अलावा आसीयान ब्लॉक के दस देश, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया एवं न्यूज़ीलैंड।

परंतु इस निर्णय से पहले मोदी सरकार की आलोचना करने में राहुल गांधी शायद अपनी सुध बुध ही खो बैठे, जो उनके ट्वीट में साफ झलक रहा है। वे अपने ट्वीट में कहते हैं, ”मेक इन इंडिया’ अब ‘बाय फ्राम चाइना’ बन गया है। हर साल हम प्रति भारतीय के लिए 6000 रुपये की वस्तुओं का आयात करते हैं। 2014 के बाद से आयात में 100 फीसदी का इजाफा हुआ है।” राहुल ने आगे काह कि , ”आरसीईपी से भारत में सस्ते सामान की बाढ़ आ जाएगी जिससे लाखों नौकरियां चली जाएंगी और अर्थव्यवस्था को गहरा नुकसान होगा।” राहुल ने ये ट्वीट तब किया जब पीएम मोदी बैंकॉक में स्वयं RCEP संबंधी बातचीत के लिए उपस्थित थे –

परंतु सोशल मीडिया पर राहुल गांधी की दलीलें किसी को रास नहीं आई। स्वयं भाजपा ने राहुल बाबा की पोल खोलते हुए ट्वीट किया, ‘प्रिय राहुल गांधी, लगता है आपके आध्यात्मिक यात्रा के कारण आपको RCEP के बारे में काफी ज्ञान मिला है। ये कुछ तथ्य हैं जो आपके पक्षपात का इलाज करेगी –

  1. यूपीए ने RCEP से 2012 में संधि की
  2. चीन के साथ हमारा ट्रेड डेफ़िसिट 2005 से 2014 के बीच में 23 गुना बढ़ा
  3. अब पीएम मोदी को आपकी सरकार का कचरा साफ करना पड़ रहा है’

यहाँ पर ये ध्यान देना आवश्यक है कि यूपीए काल में ही भारत ने जापान, मलेशिया एवं आसीयान ब्लॉक के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट किया था। भारत का जापान एवं मलेशिया दोनों के ही साथ ट्रेड डेफ़िसिट था, और यूपीए के कार्यकाल में ही RCEP वाले देशों के साथ भारत का ट्रेड डेफ़िसिट 11 गुना बढ़कर 2004 में 7 बिलियन डॉलर से 78 बिलियन डॉलर हो गया। ऐसे में काँग्रेस मोदी सरकार पर उंगली उठाकर अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मार रही है। अब ये मोदी सरकार है, जो यूपीए के समय का कचरा साफ कर अन्य देशों के साथ अपने कूटनीतिक सम्बन्धों को प्रगाढ़ भी कर रही है, और उसके लिए राष्ट्रहित की बलि भी नहीं चढ़ा रही है।

बता दें कि अभी हाल ही में काँग्रेस प्रमुख ने मोदी सरकार के विरुद्ध इसी विषय पर मोर्चा खोला था। इसी पर वाणिज्य एवं रेल मंत्री पीयूष गोयल ने उन्हें याद दिलाया कि यह यूपीए थी जिसने 2011-12 में चीन के साथ आरसीईपी वार्ताओं में शामिल होने की सहमति दी थी।

राहुल गांधी को RCEP छोड़िए, अर्थशास्त्र की भी समझ नहीं है। RCEP पर मोदी सरकार को घेरने में राहुल गांधी ने कॉमन सेन्स को दरकिनार कर अजीबोगरीब आरोप लगाए हैं। यहाँ पर ये अवश्य ध्यान देना चाहिए कि यह मनमोहन सिंह थे, जिन्होंने RCEP के लिए 2012 में बातचीत की थी।

आज राहुल गांधी मोदी सरकार को RCEP के मुद्दे पर घेर रहे हैं, जबकि सत्य तो यह है कि यह यूपीए की सरकार थी, जिसने भारत को ज़बरदस्ती RCEP का हिस्सा बनाया। शायद राहुल गांधी को अपने आध्यात्मिक ट्रिप को ज्यादा समय देना चाहिए, क्योंकि राजनीति अभी तो उनके बस की लग नहीं रही।

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