कल यानि 27 नवंबर को भोपाल से भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने एक ऐसा बयान दिया था जिसपर देश की लिबरल मीडिया के खून के आँसू अब तक नहीं रुक रहे हैं। दरअसल, SPG बिल पर चर्चा के दौरान कल DMK के सांसद ए राजा ने नाथूराम गोडसे को लेकर कहा था कि गोडसे ने कई सालों से गांधी जी के खिलाफ रंजिश पाल रखी थी। इस पर साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने उन्हें बीच में टोकते हुए कहा था कि वे अपनी बातचीत में एक देशभक्त का उदाहरण नहीं दे सकते हैं। बस उनके इतना कहते ही संसद में बैठे विपक्ष के बीच हाहाकार मच गया और टीवी पर भी लिबरल मीडिया ने साध्वी प्रज्ञा पर निजी हमले करना शुरू कर दिया, मानो उनके पास तो अभिव्यक्ति की आज़ादी है ही नहीं।
आपको यह जानना ज़रूरी है कि साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने अपने बयान में किसी भी तरीके से महात्मा गांधी की हत्या को सही नहीं ठहराया था और ना ही इसको लेकर गोडसे का बचाव किया था। उसके बावजूद जहां एक तरफ रवीश कुमार जैसे पत्रकारों ने इसपर अपना विलाप किया, बल्कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने तो उनको आतंकवादी घोषित कर दिया। हालांकि, इस पूरे प्रकरण में सबसे बुरी और दुखदायी बात यह रही कि आखिरकार भाजपा ने भी इस लिबरल गैंग के सामने सरेंडर कर दिया और साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को संसद की रक्षा समिति से बाहर का रास्ता दिखा दिया।
बता दें कि इसी महीने साध्वी प्रज्ञा को रक्षा मंत्रालय की कमेटी का सदस्य बनाया गया था, इस कमेटी की अगुवाई रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह कर रहे थे। हालांकि, आज राजनाथ सिंह ने साध्वी प्रज्ञा की संसद में खड़े होकर स्वयं निंदा की। राजनाथ सिंह ने कहा “’नाथूराम गोडसे को देशभक्त मानने की सोच की भी हम निंदा करते हैं। गोडसे को देशभक्त मानने की सोच हमारी पार्टी की नहीं, गांधी की विचारधारा कल भी और आज भी प्रासंगिक है, हम उनकी विचारधारा पर चलते हैं चाहे किसी भी पार्टी का व्यक्ति उनके बारे में कुछ भी कहे”।
बाद में मीडिया में यह खबर भी आई कि साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने नाथुराम गोडसे को लेकर नहीं, बल्कि देशभक्त उधम सिंह की बात कर रही थीं। हालांकि, लिबरल मीडिया ने उनके खिलाफ एजेंडा चलाना जारी रखा जिसके बाद बीजेपी ने अपने घुटने टेक दिये और साध्वी प्रज्ञा पर यह कार्रवाई कर दी गयी।
हालांकि, भाजपा लिबरल गैंग के सामने घुटने टेकने वाली पार्टियों में से एक कभी नहीं रही है, और समय-समय पर अपने अडिग निर्णयों से भाजपा ने उसके खिलाफ बोलने वाले लोगों को कडा जवाब दिया है, लेकिन इस बार भाजपा के इस रुख ने सबको निराश किया है। आपको याद होगा जब वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों के लिए पीएम पद के उम्मीदवार के तौर पर नरेंद्र मोदी को चुना गया था, तो इसी लिबरल गैंग ने उनके खिलाफ जमकर एजेंडा चलाया था। पीएम मोदी को गुजरात दंगों का मास्टरमाइंड से लेकर ‘कम्यूनल’ तक की संज्ञा दी गयी थी।
हालांकि, भाजपा अपने फैसले पर बिलकुल अडिग रही। इसी तरह अमित शाह के खिलाफ भी लिबरल गैंग का शुरू से ही 36 का आंकड़ा रहा है। उनपर गुजरात के गृह मंत्री होने के दौरान फेक एनकाउंटर करवाने और समुदाय विशेष के खिलाफ प्रोपेगेंडा चलाने के आरोप लगाए गए थे। हालांकि, भाजपा ने पहले तो उनको भाजपा का चीफ बनाकर लिबरलों की पीड़ा को बढ़ाया और रही सही कसर को भाजपा ने उन्हें गृह मंत्री बनाकर पूरा कर दिया। इसी तरह भाजपा को प्रज्ञा ठाकुर के साथ भी खड़ा होना चाहिए था। साध्वी प्रज्ञा ठाकुर इसी वर्ष भोपाल से लोकसभा चुनावों में भारी मतों से जीतकर आयीं हैं। ऐसे में उनके साथ ऐसा बर्ताव किया जाना किसी भी सूरत में सही नहीं ठहराया जा सकता।