डेटा चुराने वाले Tik Tok एप्प को US ने अमेरिकीकरण किया, भारत को भी कड़े फैसले लेने चाहिए!

टिकटॉक

टिकटॉक से आज सभी देशों की सरकारें तंग आ चुकी हैं। कारण यह है कि इस एप्प की डेटा प्राइवेसी पॉलिसी पारदर्शी नहीं है, और साथ ही यह एप्प दुनियाभर के लोगों के बीच बेहद लोकप्रिय है। आज इस एप्प के दुनियाभर में 1 बिलियन से ज़्यादा यूजर्स हैं और यह एप्प भारत और अमेरिका जैसे देशों में बहुत पॉपुलर है।

हालांकि, यह एप्प अपने प्लेटफॉर्म पर बच्चों की सुरक्षा को खतरे में डालने, यौन अपराध को बढ़ावा देने और आतंकवाद को बढ़ावा देने के आरोपों के बाद विवादों में घिर गया था। इसके बाद से ही दुनियाभर की सरकारें टिकटॉक पर शिकंजा कसने की कोशिश कर रही थीं और अमेरिका में तो इस एप्प पर प्रतिबंध लगाने की मांग उठने लगा था।

हालांकि, इस एप्प पर दबाव के चलते अब इस एप्प ने अमेरिका में सरेंडर कर दिया है। दरअसल, टिकटॉक एप्प की पेरेंट कंपनी बाइटडांस ने अब यह कहा है कि वह अमेरिका में टिकटॉक के परिचालन को उसके बाकी सभी ऑपरेशन से अलग कर देगा। यानि टिकटॉक का डेटा भी अब यूएस में स्टोर होगा और टिकटॉक में काम करने वाले सभी 400 कर्मचारी अमेरिकी ही होंगे। यानि बाइटडांस अब अमेरिका में टिकटॉक का अमेरिकी-करण करने जा रही है, ताकि वह किसी भी तरह के प्रतिबंधों से बच सके।

बता दें कि अमेरिका में चीनी कंपनी के परिचालन को लेकर अमेरिकी प्रशासन बेहद कड़ा रुख अपना रहा है। एक तरफ उसने चीनी कंपनी हुवावे को बैन कर दिया है तो वहीं वह टिकटॉक पर भी लगातार दबाव बना रहा है। अमेरिका में बैठे रणनीतिकारों की टिकटॉक को लेकर सबसे गंभीर चिंता यह रहती है कि इस एप्प का सारा डेटा चीन में स्टोर किया जाता है और चीन की सभी कंपनियों पर चीनी सेना और चीनी सरकार का प्रभाव होता है। यानि चीन कभी भी चाहे तो वह अपनी कंपनियों से अमेरिकी यूजर्स का डेटा मांग सकता है। हालांकि, अब टिकटॉक अमेरिका में अपने परिचालन को बिलकुल अलग करने की योजना पर काम कर रहा है, और अगर यह सफल रहता है तो भारत में भी सभी चीनी कंपनियों के साथ ऐसा ही किया जाना चाहिए।

इस एप्प के डेटा शेयरिंग मॉड्यूल को लेकर तो सरकारों के बीच संशय है ही, साथ ही इस प्लेटफॉर्म पर सामग्री की गुणवत्ता और बच्चों पर उसके प्रभाव को लेकर भी सरकारों की अपनी समस्याएं हैं। अभी कुछ महीने पहले ही भारत में यह एप्प खबरों में तब आई थी जब एक टिकटॉक स्टार ने इसके जरिये आतंक का प्रचार करने की कोशिश की। तबरेज अंसारी के मामले में हमें यही देखने को मिला था जब कुछ टिकटॉक स्टार्स ने एक समुदाय विशेष के लोगों को भ्रामक खबरों के माध्यम से भड़काने की कोशिश की थी। सबसे चिंता की बात तो यह है कि यह एप्प बच्चों और किशोरों के बीच बहुत लोकप्रिय है और इस एप्प पर कंटेंट की क्वालिटी बेहद घटिया है। बेहद आपत्तिजनक सामग्री को बच्चे आसानी से एक्सेस कर सकते हैं जो कि उनके लिए बेहद नुकसानदायक हैं।

बता दें कि भारत सरकार इन्हीं कारणों से टिकटॉक से कई कड़े सवाल भी पूछ चुकी है। इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने पिछले दिनों टिकटॉक से स्पष्टीकरण मांगा था कि इन सोशल मीडिया मंचों का इस्तेमाल करने के लिये बच्चों की न्यूनतम आयु 13 साल क्यों रखी गई है जबकि भारत में 18 साल से कम आयु वाले को बालक माना गया है। इसी कारण से भारत में कुछ समय के लिए मद्रास हाई कोर्ट ने इस एप्प को प्रतिबंधित भी कर दिया था।

हालांकि, जब इस एप्प ने लिखित में कोर्ट को यह विश्वास दिया कि वह अपने प्लेटफॉर्म पर नियंत्रण को और मजबूत करेगा, तो मद्रास हाई कोर्ट ने इस प्रतिबंध को हटा दिया था। सरकार को इस एप्प पर और कड़े एक्शन लेने की जरूरत है ताकि लोगों के डेटा की सुरक्षा को मजबूत किया जा सके। सरकार को टिकटॉक, हुवावे और अन्य ऐसी सभी कंपनियों पर लगाम लगानी ही चाहिए जो लोगों की डेटा का गलत इस्तेमाल करती हैं।

अमेरिका में तो सरकार के दबाव में टिकटॉक ने अपने आप को चीन से अलग करने की घोषणा कर ही दी है, अब भारत में भी टिकटॉक को ऐसा करने के लिए मजबूर करने का समय है ताकि भारतीय लोगों की डेटा और उनकी निजता को बचाया जा सके।

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