‘नोटबंदी ने बर्बाद कर दिया’, सुभाष चन्द्रा पर नेशनल हेराल्ड ने हास्यास्पद लेख लिखा है

सुभाष चंद्रा

कांग्रेस पार्टी का मुखपत्र नेशनल हेराल्ड अपने गिद्ध पत्रकारिता के लिए जानी जाती है। कोई भी मामला हो कांग्रेस को सही साबित करने के लिए बेतुके तर्क देना कभी नहीं भूलती। गांधी परिवार के स्वामित्व वाले इस अखबार ने कांग्रेस और गांधी परिवार को बेदाग बताने के लिए कुछ भी करने वाला यह समाचार पत्र कुछ भी लिखने को तैयार रहता है। UPA शासन के दौरान बीजेपी को डोनेट करने वाले बड़े बड़े उद्योगकर्ताओं के खिलाफ जांच एजेंसियों को पीछे लगाने के सरकार के फैसले को इस अखबार ने बड़े ही शानदार तरीके से सही ठहराया है। ये अखबार गिद्ध पत्रकारिता को अब नया आयाम दे रहा है और ESSEL प्रमुख सुभाष चन्द्र के पीछे पड़ा है। बता दें कि सुभाष चन्द्र ने अपने शेयर के 16.5 प्रतिशत को बेच दिया था जिससे वह अपने कर्ज को चुका सकें। इसी मौके को भुनाते हुए नेशनल हेराल्ड ने विमुद्रीकरण, ज़ी समूह और सुधीर चौधरी पर निशाना साधा है।

इस अखबार ने एक लेख प्रकाशित किया और शीर्षक दिया कि Subhash Chandra becomes “minority” in Zee group, demonetization led to the fall of its fortunes’. इसमें इस अखबार ने यह तर्क दिया कि सुभाष चन्द्र की कंपनी में गिरावट विमुद्रीकरण के बाद शुरू हुई थी और इस खबर का स्रोत किसी भीतरी व्यक्ति को बताया। इस अखबार ने यह लिखा कि सूत्रों के अनुसार ज़ी कंपनी की बुरी हालत वर्ष 2016 के नोटबंदी के बाद शुरू हो गयी थी, जिसे मनमोहन सिंह ने एक संयोजित लूट बताया था। लेकिन इस दावे के पक्ष में इस अखबार ने किसी प्रकार का सबूत नहीं दिया है।

आगे इस अखबार ने यह भी लिखा कि सुभाष चंद्रा और स्टार एंकर सुधीर चौधरी ने नोटबंदी का समर्थन किया था।

हालांकि, इसके उलट अगर तथ्यों को देखा जाए तो ज़ी ग्रुप को 4000-5000 करोड़ रुपये का नुकसान उसके आधारिक संरचना प्रोजेक्ट के असफल होने की वजह से हुआ था। आधारिक संरचना प्रोजेक्ट में नुकसान को इस अखबार ने  नोटबंदी का नाम दे दिया।

खुद सुभाष चंद्रा ने भी स्वयं इस बात को माना था कि उनके गलत निर्णयों की वजह से उन्हें नुकसान हुआ है।

68 वर्षीय चंद्रा देश के प्रथम निजी एंटरटेनमेंट चैनल ज़ी टीवी के संस्थापक हैं, जिसके 173 देशों में 1.3 अरब दर्शक हैं और जो करीब 3 अरब डॉलर वाले एस्सेल ग्रुप की अग्रणी कंपनी है। ज़िंदगी में जोखिम उठाना मानो उनकी फितरत में है। उन्होंने अपनी आत्मकथा ‘द ज़ेड फैक्टरः माय जर्नी एज़ द रांग मैन, एट द राईट टाईम’ में मज़े लेते हुए बड़ी स्पष्टवादिता के साथ इसका उल्लेख किया है। स्टार प्लस पर हिंदी कार्यक्रमों को लेकर पूर्व में सहयोगी रहे दुनिया के सबसे ताकतवर मीडिया मुगल रूपर्ट मर्डोक से भी उनकी तनातनी हुई। विगत में वे बड़े-बड़े दुश्मन बना चुके हैं, जिनमें मुकेश अंबानी भी शामिल हैं जिनसे उनकी खटपट मित्र मुकेश पटेल द्वारा दी गई एक खबर ज़ी टीवी पर चलाने के कारण हुई थी। मीडिया जगत में उन्होंने सफलता प्राप्त की। अभी के समय में ESSL ग्रुप 12.4 प्रतिशत के साथ बढ़ रहा है। सुभाष चंद्रा को मीडिया में लगाए गए धन ने अच्छा लाभ दिया है लेकिन आधारिक संरचना प्रोजेक्ट ने उनका भारी नुकसान करवाया।

कारोबारी समुदाय और उद्यमियों का मानना है कि चंद्रा इस एक झटके से नहीं घबराएँगे। सुभाष चंद्रा की उद्यमशीलता की भावना और उद्योपतियों द्वारा विश्वास को देखते हुए, यह संभावना है कि वह नए वेंचर्स के साथ वापस आएंगे। परन्तु  नेशनल हेराल्ड को किसी अंजान सूत्रों का हवाला देकर प्रोपोगेंडा फैलाना बंद करना चाहिए।

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