विश्व में अगर आप लोकतन्त्र और राजनीति देखना, पढ़ना और समझना चाहते हैं तो भारत से अच्छा कोई देश नहीं है। कब किसकी सरकार बन जाए इसपर कोई राजनीतिक पंडित भविष्यवाणी नहीं कर सकता। ऐसा ही कुछ महाराष्ट्र में देखने को मिला। चुनाव परिणाम आने के बाद से ही लगातार संशय का दौर जारी रहा और कल शाम को यह घोषणा हुई कि एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना के बीच सहमति बन गयी है उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बनेंगे।
लेकिन आज सुबह कुछ और हुआ खबर यह आई कि देवेंद्र फडणवीस न केवल महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के तौर पर दोबारा शपथ ली है, और एनसीपी के अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली है। सूत्रों की माने तो भाजपा के पास अजित पवार के समर्थक विधायक और निर्दलीय विधायकों को मिलाकर लगभग 40-45 से ज़्यादा विधायकों का समर्थन प्राप्त है, जबकि सरकार बनाने के लिए भाजपा को उनके वर्तमान आंकड़ों के अनुसार 41 विधायक ही चाहिए थे। देवेन्द्र फडणवीस और अजित पवार को महाराष्ट्र के वर्तमान राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने शपथ दिलवाई।
शपथ ग्रहण के तुरंत बाद देवेन्द्र फडणवीस ने कहा कि राज्यपाल ने उन्हें पत्र दिया है कि कब नई सरकार की बहुमत को विधानसभा में सिद्ध करना होगा। उधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोनों को बधाई देते हुए ट्वीट किया, ‘देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार को महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री की शपथ लेने के लिए शुभकामनाएँ। मुझे विश्वास है कि वे महाराष्ट्र के उज्ज्वल भविष्य के लिए मिलकर काम करेंगे’।
फडणवीस ने मीडिया से बातचीत में बताया, ‘चुनावों के पश्चात भाजपा के साथ शिवसेना ने स्पष्ट बहुमत अर्जित किया था। सेना ने जनाधार को नकारते हुए दूसरी पार्टियों के साथ सरकार बनाने लगी, और महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा, क्योंकि ये संभव नहीं था कि तीन पार्टियां खिचड़ी सरकार बना ले, इसीलिए हमें ये निर्णय लेना पड़ा।
परंतु बात यहीं पर नहीं रुकी। ऐसा सामने आ रहा है कि अजित पवार का यह निर्णय व्यक्तिगत है और एनसीपी प्रमुख शरद पवार और पार्टी के बाकी हाईकमान से इस बारे में कोई विचार विर्मश नहीं किया गया। इस बारे में टिप्पणी करते हुए प्रख्यात पत्रकार शिव अरूर ने ट्वीट किया, ‘एनसीपी कहती है शरद पवार को नहीं मालूम। शरद पवार कहते हैं मुझे नहीं मालूम। यदि ये सत्य है तो एक ही बात संभव है – अमित शाह ने एनसीपी के नाक से नीचे से उसके संगठन को तोड़ दिया है और भांजे को अपने मामा को छोड़ने के लिए मना लिया’।
स्वयं शरद पवार ने स्पष्ट कर दिया है कि इस घटनाक्रम में उनका कोई हाथ नहीं है। उन्होंने ट्वीट करके कहा है, ‘महाराष्ट्र सरकार बनाने के लिए अजित पवार का समर्थन देने का निर्णय उनका अपना है। हम रिकॉर्ड पर रखते हैं कि हम या पार्टी के कोई भी व्यक्ति इस निर्णय के पक्ष में नहीं है’।
बता दें कि शिवसेना ने एनसीपी और कांग्रेस के साथ अपने गठबंधन पर लगभग मुहर लगा दी थी। सूत्रों के अनुसार उद्धव ठाकरे के सीएम बनने पर भी ठप्पा लग चुका था। परंतु अचानक से मध्यरात्रि तक पासा पूरी तरह पलट गया, और अजित पवार एवं देवेन्द्र फडणवीस ने शपथ ली। इस देख एक बात तो पक्का सिद्ध होती है – राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं है!