अपने अंदाज से बॉलीवुड के हिन्दू-विरोध को जवाब देकर अजय देवगन ने लिबरलों को रुला दिया है

वामपंथियों के कारोबार में अकेला अजय देवगन ही काफी है!

ताणाजी

PC: thestatesman

बॉलीवुड के उत्कृष्ट अभिनेताओं में से एक अजय देवगन अपनी अगली फिल्म ‘ताणाजी – द अनसंग वॉरियर’ के रिलीज के लिए पूरी तरह तैयार हैं, और इसके प्रचार में वे कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते। इसीलिए उन्होंने अपने फिल्म के प्रचार के लिए बहुचर्चित कॉमिक पुस्तक प्रकाशक अमर चित्र कथा को अपना प्रोमोशनल पार्टनर चुना है।

इस बात की घोषणा करते हुए अजय देवगन ट्वीट करते हैं, इतिहास अपने आप को दोहराए या नहीं, पर हमारे बच्चों के लिए ताणाजी जैसे शूरवीर योद्धाओं का साहस एवं शौर्य एक बेजोड़ उदाहरण होगा। मुझे बड़ी खुशी होती है ये घोषणा करके कि अमर चित्र कथा का एक विशेष संकलन निकलने वाला है, जिसमें ताणाजी शामिल होंगे।‘’

https://twitter.com/ajaydevgn/status/1194861435014135808?s=20

बता दें कि ताणाजी मालुसरे मराठा सम्राट छत्रपति शिवाजी महाराज के विश्वासपात्र थे और उनके साथ अनेकों युद्धों में लड़े, चाहे वह तोरण दुर्ग को अपने अधिकार में लेना हो, या फिर मुगल बादशाह औरंगजेब के मामा शाइस्ता खान पर धावा बोलकर मुगलों को धूल चटानी हो, या फिर आगरा से शिवाजी और संभाजी को सकुशल बाहर निकलवाना हो, ताणाजी ने सभी काम पूर्ण निष्ठा से किया था।

इसलिए जब कोंडाणा दुर्ग को पुनः मराठा साम्राज्य में विलय कराने का प्रश्न उठा, तो राजमाता जीजाबाई और छत्रपति शिवाजी को केवल एक व्यक्ति ही याद आए वो थे ताणाजी मालुसरे। यूं तो ताणाजी अपने पुत्र रायबा के विवाह की तैयारी कर रहे थे, परन्तु शिवाजी के आह्वान पर वे ना केवल उनकी सेवा में उपस्थित हुए, अपितु उन्होंने कोंडाणा दुर्ग को वापस लाने का भी वचन दिया।

कई चुनौतियों का सामना करने के बाद और दुर्ग के अधिपति उदयभान राठौडर के नेतृत्व में मुगलों से भीषण युद्ध के बाद कोंडाणा दुर्ग मराठाओं ने जीत तो लिया, पर इस युद्ध में ताणाजी वीरगति को प्राप्त हो गए। जब ये खबर छत्रपति शिवाजी को प्राप्त हुआ, तो वे अत्यंत दुखी हुए और कहे-गढ़ आला सिंह पण गेला” (दुर्ग तो आया, पर मेरा सिंह चला गया) बाद में कोंडाणा दुर्ग का नाम बदल सिंहगढ़ दुर्ग रखा गया।

अब बात करें अमर चित्र कथा की, तो इस कॉमिक बुक संकलन के साथ ना जाने हमारे बचपन की कितनी यादें जुड़ी हुई हैं। अनन्त पाई के मार्गदर्शन में इस प्रकाशन कंपनी ने असंख्य भारतवासियों को उनके वास्तविक नायकों से परिचित किया, जो किसी और स्थिति में वामपंथियों के पक्षपाती इतिहास में शायद कहीं दबा दिए जाते। उदाहरण के लिए अमर चित्र कथा सीरीज की प्रथम पुस्तक, कृष्णा ने एक ही नायक की कई रोचक कहानियों के फॉर्मूले की नींव डाली।

इतना ही नहीं, इस रोचक संकलन ने हमारे युवा पीढ़ी को देश के कई लोकप्रिय लोक कथाओं और असली नायकों से परिचित कराया। इस संकलन का मूल लक्ष्य भारतीय बच्चों अपनी परंपरा और संस्कृति से परिचित कराने का था। पंचतंत्र और हितोपदेश की कथाएं हो, या फिर वीर हम्मीर, ताणाजी मालुसरे जैसे योद्धाओं की शौर्य गाथा, गुरु नानक के आदर्श हों या फिर हरी सिंह नलवा और पेशवा बाजीराव इत्यादि के पराक्रम की कहानियां हों, अमर चित्र कथा में सब उपलब्ध है।

ऐसे में अमर चित्र कथा को अपना प्रोमोशनल पार्टनर बनाकर अजय देवगन ने ना सिर्फ इस प्रकाशन को एक बार फिर जीवंत करने का काम किया है, अपितु उन्होंने यह भी सिद्ध किया है कि उनके अभिनय के अलावा उन्हें भारतीय फिल्म उद्योग के सबसे उत्कृष्ट हस्तियों में क्यों गिना जाता है।

परंतु अजय देवगन का यह अभियान यहीं नहीं रूकने वाला, ताणाजी के बाद वे भुज प्राइड ऑफ इंडिया में स्क्वाड्रन लीडर विजय कार्णिक की भूमिका निभाने जा रहे हैं, जिन्होंने भुज एयरफील्ड को पुनः ऑपरेशनल बनाने हेतु एक नायाब युक्ति अपनाई थी। इसके अलावा वे ‘मैदान’ में भारतीय फुटबॉल टीम के पूर्व कोच सैय्यद अब्दुल रहीम की भूमिका निभाने जा रहे हैं, जिन्होंने भारतीय फुटबॉल को एशिया में प्रसिद्धि दिलाई थी। यही नहीं, अजय देवगन नीरज पांडेय के साथ अखंड भारत के रचयिता एवम् राजनीतिज्ञ, आचार्य चाणक्य को भी बड़े पर्दे पर जीवंत करने वाले हैं। स्वयं अजय देवगन ने एक साक्षात्कार में स्वीकार किया है कि वे ताणाजी जैसे कई नायकों की कहानियां फिल्मों के जरिए दिखाना चाहते हैं।

सच कहें तो जिस फिल्म इंडस्ट्री को अक्सर सनातन धर्म एवं भारतीयता के प्रति उसके पक्षपाती रवैय्ये के लिए आलोचना झेलनी पड़ती है, वहां अजय देवगन अभी भी भारतीयों में इस इंडस्ट्री के प्रति आशा बनाए हुए हैं। हम आशा करते हैं कि ताणाजी पर बन रही मूवी ना केवल ताणाजी मालुसरे को उनका उचित स्थान दे, अपितु हमारे देश के असली नायकों को एक सच्ची श्रद्धांजलि भी अर्पित करे।

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