Google Play Store खुला जंगल है जहाँ कोई भी ऐप्स Publish कर सकता है, यह एक लेटेस्ट प्रो-टेरर एप्प है

गूगल

करतारपुर कॉरिडोर पाकिस्तान का एक खालिस्तानी एजेंडा है और इसका प्रमाण अब धीरे-धीरे सामने आने लगा है। दरअसल सोशल मीडिया पर खालिस्तानी एजेंडे वाला एक एप्प इन दिनों खूब चर्चा में है। इस एप्प का नाम ‘2020 सिख रेफरेंडम’ है। यह खालिस्‍तान आंदोलन का समर्थन करने वाले आतंकी संगठन की ओर से इंटरनेट पर चलाया जा रहा एक प्रपोगेंडा है। जब लोगों ने इस एप्प को गूगल प्ले स्टोर पर देखा तो सोशल मीडिया पर काफी विरोध किया। जिसके बाद गूगल ने इस एप्प को हटा लिया है। इस एप्प के लिस्ट में यूके, कनाडा और पाकिस्तान जैसे देश शामिल थे।

इस एप्प पर लिखा था ‘2020 सिख रेफरेंडम’ जो पाकिस्तान और आईएसआई का एक प्रोपेगेंडा है जिससे पंजाब में आतंकी गतिविधियों के जरिए अस्थिरता फैलाई जा सके। यह खबर ऐसे समय में आई है जब नौ नवंबर को करतारपुर कॉरिडोर का उद्घाटन होने वाला है और गुरुनानक देव जी का 550वां जन्‍मदिवस है। 2020 सिख रेफरेंडम एक अलगाववादी मुहिम है जिसके तहत कुछ अलगाववादी सिख संगठन भारत से अलग पंजाब की मांग कर रहे हैं। वो भारत के ख़िलाफ दुनियाभर में सोशल मीडिया के जरिए दुष्प्रचार करने की कोशिश कर रहे हैं कि साल 2020 में एक रेफरेंडम (Referendum) होगा, जिससे तय होना है कि सिखों को एक अलग देश मिलना चाहिए या नहीं। ऐसे में ट्विटर पर गूगल के ख़िलाफ अपनी नाराजगी जताई।

इस एप्प को लेकर सोशल मीडिया पर लोगों ने गूगल प्ले स्टोर पर काफी सवाल खड़े किए। लोगों का कहना है कि गूगल को प्ले स्टोर पर इस तरह के ऐप को जगह नहीं देनी चाहिए थी और इसे जल्द से जल्द हटा देना चाहिए। इस एप को आइसटेक नामक डेवलपर की तरफ से तैयार किया गया था। इसी डेवलपर की तरफ से वॉइस ऑफ पंजाब नाम से भी एक एप्प तैयार की गई थी। इस एप के जरिए भी खालिस्‍तान आंदोलन को प्रमोट करके देश में नफरत का माहौल तैयार करने की कोशिश की गई थी। इस बारे में सोशल मीडिया के यूजर अंशुल सक्सेना ने गूगल प्ले स्टोर और एनआईए को कोट करते हुए लिखा- ”अब, एंटी इंडिया प्रचार ‘खालिस्तान’ Google Play Store पर उपलब्ध है। इसके लिए गुगल प्ले स्टोर अपना प्लेटफॉर्म दे रहा है। यह ‘2020 सिख रेफरेंडम’ ऐप भारत के खिलाफ खालिस्तान के लिए युवाओं को कट्टरपंथी बनाने का प्रयास है।”

ऐसा पहली बार नहीं है जब गूगल प्ले स्टोर ने किसी भारत विरोध एप्प को जगह दी हो, इससे पहले प्ले स्टोर पर ‘गजवा ए हिंद’ नाम का एक एप्प भी कुछ दिन पहले चर्चा में था। जब लोगों ने इसका विरोध किया तो प्ले स्टोर ने इसे हटा लिया। इसको कई लोगों द्वारा डाऊनलोड भी कर लिया गया था। सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर अंशुल सक्सेना ने रीट्वीट करते हुए संचार मंत्री रवि शंकर प्रसाद को टैग किया। उन्होंने पूछा कि, गूगल अपने प्लेटफोर्म पर कट्टरपंथ की जड़ें कैसे जमाने दे सकता है? साथ ही एप्प और किताब की लिंक भी डालते हुए इन्हें रिपोर्ट करने की अपील की।

अब सवाल यह उठता है कि गूगल क्यों इस तरह के एप्प को अपने प्लेटफॉर्म पर जगह देता है? दरअसल गूगल प्ले स्टोर की क्वॉलिटी कंट्रोल बहुत ही खराब है। यहां कोई भी 18 साल का व्यक्ति किसी भी तरह का एप्प 25 डॉलर की कीमत चुका कर पब्लिश कर सकता है। चाहे वह पोर्नोग्राफी हो या फिर एंटी हिंदू सामग्री हो या फिर आतंक समर्थित सामग्री हो उसे फिल्टर करना गूगल का काम नहीं है, इसे यूजर जब ध्यान देते हैं और रिपोर्ट करते हैं तब बंद किया जाता है। वरना उस एप्प के जरिए प्रोपेगेंडा फैलता रहता है। किसी का ध्यान भी नहीं रहता।

वास्तव में गूगल प्ले स्टोर को एप्पल के एप्प स्टोर से सीख लेनी चाहिए। जहां पर किसी भी तरह का कोई विवादित कंटेंट नहीं पाया जाता। भले ही एप्पल महंगे दामों में एप्प बेचता हो लेकिन उसके प्लेटफॉर्म पर ऐसी सामग्रियों को फिल्टर करने की समुचित व्यवस्था है। वहां कोई भी कुछ भी कचरा नहीं फैला सकता।

जिस तरह से गूगल प्ले स्टोर पर भारत विरोधी और हिंदू विरोधी अभियान चलाया जा रहा है इस पर भारत सरकार को कड़ा एक्शन लेना होगा। इसके लिए एक पॉलिसी बनानी होगी ताकि ऐसे चर्चित प्लेटफॉर्म से किसी भी तरह का देश विरोधी व सांप्रदायिक प्रोपेगेंडा न फैलाया जा सके। वहीं गूगल की इस बारे में सबसे ज्यादा जवाबदेही बनती है। इसी तरह अगर आतंकियों को प्लेटफॉर्म मिलता रहा तो जल्द ही गूगल पर आतंक समर्थक का धब्बा भी लग जाएगा।

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