भारत और मलेशिया के रिश्तों में चल रहे तनाव भरे दौर का तो आपको पता ही होगा। इस वर्ष अगस्त महीने में मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्म्द ने कश्मीर मुद्दे पर भारत के खिलाफ जहर उगला था और तभी से दोनों देशों के रिश्ते पटरी से उतरे हुए हैं। हालांकि, इसी बीच मलेशिया से यह खबर आई है कि मलेशिया भारतीय एयरक्राफ्ट मेकर एचएएल यानि ‘हिंदुस्तान ऐरोनोटिक्स लिमिटिड’ द्वारा बने तेजस विमानों को खरीद सकता है। दरअसल, मलेशिया की वायुसेना ने भारत में बने तेजस विमानों में अपनी रुचि दिखाई है, और विमानों की खरीद के लिए HAL कंपनी को शॉर्टलिस्ट किया है। द प्रिंट की रिपोर्ट के अनुसार जबकि मलेशिया ने पहले भी तेजस में अपना इंटरेस्ट दिखाया है और अब मलेशिया की एयर फोर्स अगले साल नए कॉन्ट्रैक्ट के लिए RFP (रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल) जारी कर सकती है। ऐसे में इस फैसले की टाइमिंग को देखते हुए अब यह माना जा रहा है कि मलेशिया भारत सरकार को खुश करने के लिए अब भारत से लड़ाकू विमानों को खरीद सकता है।
द प्रिंट की रिपोर्ट के अनुसार मलेशिया वायुसेना को अभी 36 लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट की ज़रूरत है और वर्ष 2020 की पहली तिमाही तक मलेशिया सरकार मलेशिया वायुसेना को इन एयरक्राफ्ट्स को खरीदने की मंजूरी भी दे देगी। ऐसे में मलेशिया की रॉयल एयरफोर्स ने HAL को इन विमानों की खरीद के लिए शॉर्टलिस्ट किया है और अगर सब कुछ सही रहा, तो जल्द ही HAL को इन विमानों का ऑर्डर मिल सकता है और यह HAL का पहला विदेशी कांट्रैक्ट होगा।
हालांकि, मलेशिया की ओर से इस तरह के संकेत आना इसलिए भी हैरान करने वाला है क्योंकि अभी भारत और मलेशिया के रिश्ते तनावपूर्ण स्थिति से जूझ रहे हैं। मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद द्वारा कश्मीर मुद्दा उठाए जाने के बाद भारतीय ऑइल रिफाइनर्स ने मलेशिया से पाम ऑयल
इम्पोर्ट बंद कर दिया था, जिसके बाद मलेशिया की पाम ऑयल इंडस्ट्री को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा था। उसके बाद भी मलेशिया के प्रधानमंत्री ने अपनी बात को सही ठहराते हुए कहा था कि भारत को कश्मीर पर पाकिस्तान के साथ मिलकर हल निकालने की ज़रूरत है और वे यूएन में अपनी कही बात पर अब भी कायम है। इसके बाद उन्हें भारत की ओर से नसीहत दी गयी थी कि मलेशिया को कश्मीर पर किसी भी बयान को देने से पहले जमीनी हकीकत को जान लेना चाहिए और ऐसे बयान देने से पहले मलेशिया को दोनों देशों के दोस्ती भरे रिश्तों का लिहाज करना चाहिए।
मलेशिया को अब इस बात का एहसास हो चुका है कि भारत से पंगा लेकर उसका कुछ भला नहीं होने वाला। यही कारण है कि अब उसने भारत से सुरक्षा रिश्ते मजबूत करने के लिए भारत को यह संकेत दिया है कि वह सुरक्षा क्षेत्र में उसका बड़ा साझेदार देश बन सकता है। हालांकि, अभी यह समझौता अपने अंतिम रूप में नहीं पहुंचा है और अभी इसको लेकर HAL को सिर्फ शॉर्टलिस्ट किया गया है। ज़ाहिर है, मलेशिया भारत को अब एक सकारात्मक संदेश देना चाहता है और यह भारत की एक बड़ी कूटनीतिक जीत कहलाएगा। भविष्य में यदि मलेशिया भारत का एक बड़ा सुरक्षा साझेदार बनना चाहेगा, तो यह दोनों देशों के लिए फायदेमंद होगा।