“अगर पीएम मोदी राज़ी नहीं, तो हम भी RCEP को जॉइन नहीं करेंगे”, जापान की चीन को दो टूक

ये क्या? जापान ने तो जिनपिंग के साथ ही पिंग-पोंग कर डाला

जापान

अगले महीने जापान के प्रधानमंत्री शिंजों आबे भारत की यात्रा पर आने वाले हैं, और इससे पहले जापान ने RCEP को लेकर एक बड़ा बयान दिया है। जापान ने कहा है कि अगर भारत दुनिया के सबसे बड़े प्रस्तावित फ्री-ट्रेड एग्रीमेंट का सदस्य नहीं बनता है, तो जापान भी इस डील पर हस्ताक्षर नहीं करेगा। इसके साथ ही जापान ने कहा है कि वह पूरी कोशिश करेगा कि भारत को RCEP में शामिल करने के लिए राज़ी कर लिया जाये लेकिन फिर भी अगर भारत RCEP को लेकर हामी नहीं भरता है, तो जापाऩ भी RCEP का सदस्य नहीं बनेगा।

बता दें कि RCEP को लेकर वर्ष 2012 से ही 16 देशों का समूह एक मुक्त व्यापार समझौते को लेकर बातचीत कर रहा था, जिसके तहत चीन, जापान, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया, भारत और 11 आसियान देशों के बीच एक फ्री ट्रेड अग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए जाने थे। लेकिन 7 वर्षों की लंबी बातचीत के बाद भारत ने इस महीने इस डील पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया था।

भारत ने इसका कारण बताया था कि इस डील पर साइन करने से भारत में चीनी वस्तुओं की बाढ़ आ जाएगी, और भारत के निचले तबके के लोगों पर इसका सबसे नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। भारत के इस डील के हट जाने के बाद चीन ने यह उम्मीद जताई थी कि बाकी बचे 15 देश इस डील को लेकर आगे बातचीत जारी रखेंगे, लेकिन अब जापान ने चीन की उन उम्मीदों पर पानी फेर दिया है।

जापान के डिप्टी ट्रेड मिनिस्टर हिदेकि माकीहारा ने शुक्रवार को साफ किया “अभी हम डील पर साइन करने की सोच भी नहीं रहे हैं। यह जापान के लिए सुरक्षा, आर्थिक और राजनीतिक तौर पर अच्छा रहेगा अगर दुनिया का सबसे बड़ा लोकतन्त्र इस डील पर साइन कर लेता है”। बता दें कि जापान बिल्कुल नहीं चाहता कि RCEP पर भविष्य में चीन का दबदबा बन जाये और RCEP के सभी देशों को चीन के एकाधिकार से जूझना पड़े। ऐसे में भारत के बाहर हो जाने से बाकी सभी देश भी RCEP को लेकर चौकन्ना हो गए हैं और जापान ने आज इस पर अपना स्पष्टीकरण भी दे दिया है।

बता दें कि पिछले 2 वर्षों से अमेरिका और चीन में ट्रेड वॉर जारी है जिसके कारण चीन की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। ट्रम्प प्रशासन की कड़ी व्यापार नीतियों का ही नतीजा है कि पिछले तीन दशकों में चीन की अर्थव्यवस्था सबसे सुस्त रफ्तार से आगे बढ़ रही है, और इसके आगे भी ऐसे सुस्त रहने के अनुमान हैं। यही कारण है कि चीन अब जल्द से जल्द RCEP को अंतिम रूप देना चाहता है ताकि इन देशों में वह अपने एक्सपोर्ट को बढ़ा सके और अपनी जूझती अर्थव्यवस्था को वह संभाल सके

जापान के इस फैसले से यह साफ हो गया है कि जापान भारत का सिर्फ एक रणनीतिक ही नहीं, बल्कि बड़ा आर्थिक साझेदार भी है। जापान यह भली-भांति समझता है कि RCEP को लेकर भारत की अपनी चिंताएं हैं और भारत की चिंताओं को दूर किया जाना अति-आवश्यक है। RCEP पर जापान के इस रुख से बाकी देशों को भी यह संदेश अवश्य जाएगा कि RCEP पर हस्ताक्षर करना भविष्य में उनके लिए भी बड़ी भूल साबित हो सकती है और उन्हें भी भारत की तरह ही बड़ी सावधानी से इस पर चर्चा करने की ज़रूरत है।

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