अयोध्या मामले पर भी UN में रो रहा था पाकिस्तान, भारत ने वहां भी तमाचे पर तमाचा मारा

पाकिस्तान, यूएन

पाकिस्तान ने कश्मीर मामले को अंतराष्ट्रीयकरण करने की नाकाम कोशिश की, हर जगह से उसे मुंह की खानी पड़ी। अब इसके बाद एक और मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में ले जाने और अंतराष्ट्रीयकरण करने की जुगत में लगा हुआ है और उसे वहां से भी भारत ने मुहतोड़ जवाब दिया है।

दरअसल, पाकिस्तान ने भारतीय सुप्रीम कोर्ट के अयोध्या मामले पर दिए गए फैसले को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद यानि UNHRC में ले जाने की कोशिश की। लेकिन भारत ने एक बार फिर कश्मीर मुद्दे की तरह ही पाकिस्तान को करारा जवाब दिया है। गुरुवार को अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में पाकिस्तान के बयान पर भारत ने जमकर लताड़ लगाई। भारत ने कहा कि पाकिस्तान को अपने दुष्प्रचार के लिए झूठ बोलने के बजाय अपने देश के अल्पसंख्यकों की शिक्षा और उत्थान के लिए रचनात्मक और सकारात्मक तरीके से काम करना चाहिए।

दरअसल, 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने 134 साल पुराने अयोध्या मामले पर फैसला सुनाया था। जिसमें 2.77 एकड़ की विवादित भूमि को राम मंदिर बनाने के लिए हिंदू पक्ष को दे दिया है। इसके अलावा कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि वह मुस्लिमों को मस्जिद बनाने के लिए अयोध्या में ही किसी अन्य जगह पर पांच एकड़ जमीन दे। जिसके बाद देश का वातावरण थोड़ा संवेदनशील हो गया था और सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गयी थी। परंतु कहीं से भी किसी प्रकार की बड़ी घटना या कोई वारदात सामने नहीं आया। देश में शांति का माहौल बना रहा और यही पाकिस्तान पचा नहीं पाया। इस मामले में भी वह अपना प्रोपोगेंडा लेकर UNHRC में गिड़गिड़ाने पहुंच गया। अल्पसंख्यक मामलों की इस फोरम के 12वें सत्र में राइट टू रिप्लाई का इस्तेमाल करते हुए भारतीय राजनयिक विमर्श आर्यन ने कहा, “दुनिया इस बात को अच्छी तरह से जानती है कि पाकिस्तान में तथाकथित ईशनिंदा कानून के कारण धार्मिक, नस्लीय, जातीय, सांप्रदायिक और भाषाई अल्पसंख्यकों के मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है। इसी वजह से दुनिया अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा के लिए किसी ऐसे देश से सीख नहीं लेना चाहती, जहां लोगों ने कभी वास्तविक लोकतंत्र न देखा हो।

भारतीय राजनयिक ने कहा, ‘यह फोरम अल्पसंख्यकों के मानवाधिकार मुद्दों पर विचार-विमर्श करने के लिए है। लेकिन उस उद्देश्य का पालन करने के बजाय पाकिस्तान अपने प्रोपेगैंडा का प्रचार प्रसार कर रहा है, जो उसके बयान में स्पष्ट है। यह केवल गलत बयानबाजी है और कुछ नहीं।’

भारतीय राजनयिक आर्यन ने आगे कहा, भारत एक मजबूत लोकतांत्रिक देश है। जहां स्वतंत्र और प्रभावी संवैधानिक प्रक्रिया है। यहां हर नागरिक के हितों की रक्षा की जाती है जिसमें धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों के लिए पूरी स्वतंत्रता शामिल है। हम अपने न्यायिक निर्णयों पर पाकिस्तान की टिप्पणी को दृढ़ता से अस्वीकार करते हैं। वह यूएन के फोरम का गलत इस्तेमाल कर रहा है।

इससे पहले पाकिस्तान कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाये जाने के फैसले के खिलाफ भी प्रोपेगैंडा फैलाने के लिए कई बार UN में ले जाने की कोशिश की जहां उसे हार का ही सामना करना पड़ा। पाक ने चीन की मदद से कश्मीर मामले को UN सिक्योरिटी काउंसिल में भी ले जाने का प्रयास किया लेकिन उसे वहां भी असफलता मिली। पाकिस्तान को अब समझना चाहिए कि विश्व अब बादल रहा है और उसका भारत विरोधी प्रोपेगैंडा किसी भी वर्ल्ड फोरम पर सफल नहीं होने वाला। इसलिए उसे भारत विरोधी नीतियों को छोड़ अपने देश की Economy को बचाने का प्रयास करना चाहिए।

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