भारतीय दूतावास ने कहा ‘तुर्की मत आओ’, कांग्रेस ने वहां अपना दफ्तर ही खोल डाला

कांग्रेस तुर्की

जी हां, कांग्रेस ने फिर एक बार वही किया जिसके लिए उसे समय-समय पर देश की जनता के गुस्से का शिकार होना पड़ता है। कांग्रेस ने एक बार फिर देश-विरोधी ताकतों को गले लगाने का काम किया है। दरअसल, अब कथित तौर पर तुर्की के साथ भारत के रिश्ते सुधारने के लिए Indian Overseas Congress ने तुर्की में अपना दफ्तर खोला है, और पार्टी ने इसका कारण बताया है कि वह अपने दफ्तर के माध्यम से दोनों देशों के राजनीतिक, सांस्कृतिक और व्यापारिक रिश्ते सुधारने के लिए काम करेगी। बता दें कि इन क्षेत्रों में सहयोग करने के लिए पहले से ही तुर्की में भारत सरकार का दूतावास मौजूद है, तो ऐसे में कांग्रेस अलग से अपना दफ्तर खोलकर क्या साबित करना चाहती है? वह भी ऐसे देश में जिसने हाल ही में अंतराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया हो।

कांग्रेस पार्टी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि उसने इस्तांबुल में अपना Overseas Congress का ऑफिस खोला है और इस ऑफिस के नेतृत्व का जिम्मा मोहम्मद युसुफ खान को सौंपा गया है। पार्टी की ओर से जारी बयान में कहा गया कि ‘मोहम्मद युसुफ खान तुर्की में कांग्रेस संगठन को मजबूत करने की दिशा में काम करेंगे’।

कांग्रेस पार्टी का यह फैसला ऐसे समय में आया है जब दोनों देशों के रिश्तों में तनाव की स्थिति बनी हुई है। इस वर्ष अगस्त महीने में तुर्की के राष्ट्रपति ने यूएन के मंच पर कश्मीर के मुद्दे को उठाया था, जिसका भारत सरकार ने कड़ा विरोध जताया था। एर्दोगन के अनुसार, “न्याय और समानता के आधार पर बातचीत के जरिये समस्या का समाधान किया जाए,  न कि टकराव के रास्ते से”। यही नहीं, एर्दोगन ने फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की बैठक में पाक का समर्थन किया था, जिसके कारण पाक एक बार फिर एफएटीएफ द्वारा ब्लैकलिस्ट होने से बच गया था। इसके अलावा एर्दोगन ने न सिर्फ कश्मीर का मुद्दा उठाया, बल्कि कश्मीर में भारत द्वारा मानवाधिकारों के कथित उल्लंघन की बात भी कह डाली थी। साथ ही उन्होंने कश्मीर के मौजूदा हालात पर अंतरराष्ट्रीय बिरादरी की चुप्पी पर सवाल उठाए थे।

इसके बाद से ही भारत सरकार तुर्की को मज़ा चखाने का प्रयास कर रही है। भारत सरकार ने जहां आर्थिक तौर पर तुर्की को बड़ा झटका देते हुए उसकी एक कंपनी के साथ लगभग 2.3 बिलियन डॉलर की एक डील पर रोक लगा दी थी तो वहीं, पीएम मोदी ने भी तुर्की के अपने प्रस्तावित दौरे को रद्द कर दिया था। स्पष्ट है कि जहां एक तरफ भारत सरकार पूरी दुनिया में तुर्की को अलग-थलग करने का प्रयास कर रही है, तो वहीं अब कांग्रेस ने तुर्की की राजधानी में अपने दफ्तर को खोला है। जो देश भारत की संप्रभुता के खिलाफ वैश्विक पटल पर एजेंडा चला रहा हो, कांग्रेस उसके साथ अपने रिश्ते क्यों मजबूत करना चाहती है?

कांग्रेस को यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्या वह कश्मीर पर तुर्की के बयान का समर्थन करती है? बता दें कि Indian overseas congress पर पहले भी कश्मीर मुद्दे पर भारत के हितों को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगा चुका है। इस वर्ष अक्टूबर में यूके में Indian overseas congress ने भारत की आलोचक यूके की लेबर पार्टी के साथ मिलकर कश्मीर मुद्दे पर चर्चा की थी। इसकी भारत में कड़ी निंदा की गयी थी। अब Indian overseas congress ने तुर्की में अपना दफ्तर खोला है जिसका कोई विशेष मकसद नहीं है। अब कांग्रेस को लोगों के सामने आकर इसका जवाब देना चाहिए, और एक भारत-विरोधी देश में अपने दफ्तर खोलने का तर्कसंगत कारण बताना चाहिए।

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