गृह युद्ध के मुहाने पर खड़े पाकिस्तान को सभी ठेंगा ही दिखा रहे है और कारण है उसका आतंकियों को खुला समर्थन देना और वहां का खराब सुरक्षा प्रबंध। इस कड़ी में इंटरनेशनल टेनिस फेडरेशन ने पाकिस्तान को एक और जोरदार झटका दिया है। पाक में अब भारत का डेविस कप मैच नहीं होगा। इंटरनेशनल टेनिस फेडरेशन (ITF) ने ऑल इंडिया टेनिस असोसिएशन (AITA) का अनुरोध मानकर यह फैसला किया है। भारत ने सुरक्षा कारणों की वजह से डेविस कप को लेकर मैच की जगह बदलने की मांग की थी।
दरअसल, अखिल भारतीय टेनिस संघ ने अंतरराष्ट्रीय टेनिस महासंघ से अपने एशिया ओसियाना क्षेत्र ग्रुप ए डेविस कप मुकाबले को इस्लामाबाद से हटा कर किसी तटस्थ स्थल पर करवाने की मांग की थी, ये इस्लामाबाद में 29 और 30 नवंबर को खेला जाना था। इस मुकाबले का आयोजन पहले सितंबर में होना था, लेकिन भारत सरकार द्वारा कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद दोनों देशों के बीच राजनयिक तनाव चरम पर था। इस कारण भारत द्वारा अपने खिलाड़ियों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताने के बाद इसे स्थगित कर दिया गया था।
एक बयान में आईटीएफ की तरफ से कहा गया, “आईटीएफ और डेविस कप कमेटी के लिए खिलाड़ियों, अधिकारियों और दर्शकों की सुरक्षा प्राथमिकता है। ऐसे में आईटीएफ के स्वतंत्र सुरक्षा सलाहकारों की सलाह के बाद डेविस कप कमेटी ने यह फैसला लिया है कि डेविस कप एशिया ओसियाना क्षेत्र ग्रुप 1 में भारत और पाकिस्तान के बीच 29-30 नवंबर को खेलने जाने वाला मैच किसी अन्य जगह खेला जाएगा। सुरक्षा के आधार पर यह फैसला लिया गया है।”
भारत की सुरक्षा चिंताओं को दो बार खारिज करने के बाद इंटरनेशनल टेनिस फेडरेशन इस मुद्दे पर एआईटीए के प्रतिनिधियों के साथ टेलिकॉन्फ्रेंस के लिए राजी हो गया था।
बता दें कि भारत ने ऐसे ही 1974 में दक्षिण अफ्रीका में रंग-भेद नीति के कारण खेलने से मना कर दिया था, लेकिन भारत को नजरअंदाज कर दक्षिण अफ्रीका को विजेता घोषित कर दिया गया था। भारत उस समय पहली बार डेविस कप टेनिस टूर्नामेंट के फाइनल में पहुंचा था और भारत के पास ट्रॉफी जीतने का सुनहरा अवसर था। फाइनल में उसके सामने दक्षिण अफ्रीका की चुनौती थी। उस समय रंगभेद के मुद्दे पर भारत ने दक्षिण अफ्रीका का बहिष्कार कर दिया था , लेकिन मैच भी दक्षिण अफ्रीका में ही खेला जाना था। अपने कड़े रुख की वजह से भारत मैच खेलने नहीं जा सका और अफ्रीका को विजेता घोषित कर दिया गया था। लेकिन आज समय बदल चुका है। भारत सामरिक रूप से इतना मजबूत हो चुका है कि ITF को पाक में होने वाले भारत के लीग मैच को भी किसी निष्पक्ष स्थान पर करवाने का फैसला करना पड़ा। भारत को अब ऐसे ही नजरअंदाज करना वह भी पाकिस्तान की तर्ज पर ITF को ही भारी पड़ता। ITF अगर यह फैसला नहीं लेता ओर भारत का मैच पाकिस्तान में करवाने पर अड़ा रहता तो भारत इस टूर्नामेंट का बहिष्कार कर सकता था जिससे ITF की ही जग हंसाई होती।
बता दें कि यह पहली बार नहीं है कि किसी सुरक्षा बहाने की वजह से किसी टीम ने पाक जाने से माना किया हो। अंतरराष्ट्रीय टेनिस महासंघ ने वर्ष 2005 से 2017 तक पाक में डेविस कप का आयोजन ही नहीं किया था। हांगकांग ने भी 2017 में पाक का दौरा करने से इन्कार कर दिया था। पाक में खिलाड़ियों की सुरक्षा में चूक कोई नई बात नहीं है। वर्ष 2009 में पाक में ही श्रीलंका क्रिकेट टीम पर 12 हथियारबंद आतंकवादियों ने हमला किया था जिसमें श्रीलंका के कुमार संगकारा सहित छह क्रिकेटर घायल हो गए थे और 8 निर्दोष लोग भी मारे गए थे। इन्हीं सुरक्षा कारणों से पाकिस्तान में विश्व के अधिकतर देश अपने खिलाड़ियों को भेजने से कतराते है। भारत पहले भी कह चुका है कि पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद का समर्थन बंद करने के बाद ही किसी भी प्रकार की द्विपक्षीय सीरीज खेली जाएगी, लेकिन जहां तक अंतराष्ट्रीय सीरीज की बात है, भारत का अभी भी यही पक्ष है कि मुक़ाबला पाकिस्तान के बजाए किसी तटस्थ स्थान पर ही हो।
जब तक पाकिस्तान अपनी धरती से आतंकवाद को खत्म नहीं कर देता और एक अच्छे पड़ोसी कि तरह नहीं रहता तब तक पाकिस्तान से किसी भी प्रकार की बातचीत बंद रहनी चाहिए।