भारत तुष्टीकरण का केंद्र बनता जा रहा है, कोई जाति पर तुष्टीकरण कर रहा है तो कोई धर्म पर। सभी अपने-अपने वोट बैंक के लिए कई तरह से तुष्टीकरण कर रहे हैं। कोई फ्री का चावल बाँट रहा है तो कोई हज़ में सबसिडी और मौलनाओं को सैलरी दे रहा है। इस तरह की राजनीति को बढ़ावा देने वालों में सबसे पहले नाम आता है आंध्र प्रदेश के सीएम जगन मोहन रेड्डी का।
देश में सभी अपनी-अपनी धुन गा रहे हैं लेकिन जगन मोहन रेड्डी द्वारा की जा रही क्षति के तरफ कोई ध्यान ही नहीं दे रहा है। जगन मोहन रेड्डी ने मुख्यमंत्री पद संभालते ही कई ऐसे कदम लिए जो हिन्दू विरोधी थे। अब एक नए मामले में जगन मोहन की सरकार ने जेरूसलेम जाने वाले यात्रियों को दी जाने वाली मदद 50 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है। यह दिखाता है कि यह सरकार धर्म के नाम पर कैसे सिर्फ एक ही धर्म के प्रचार-प्रसार में लगी हुई है।
दरअसल, मंगलवार को आंध्रप्रदेश की जगन मोहन सरकार ने जेरूसलम की धार्मिक यात्रा पर जाने वाले ईसाईयों को दी जाने वाली मदद में भारी इजाफा किया है। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के प्रधान सचिव मो. इलियास रिजवी की घोषणा के अनुसार 3 लाख तक के आय वाले परिवारों को जेरूसलम, बेथलहम, नज़ारेथ, जॉर्डन नदी, डेड सागर और गैलील सागर की यात्रा के लिए 60,000 रुपये की मदद मिलेगी। वहीं 3 लाख से ऊपर आय वाले परिवारों को 20,000 से 30,000 रूपए तक की मदद मिलेगी। पहले चन्द्रबाबू नायडू की सरकार में यह मदद 40,000 रुपये फिक्स थी।
बता दें की खुद जगन मोहन एक ईसाई हैं और इसी वजह से राज्य में तुष्टीकरण की राजनीति कर रहे हैं। यह पहली बार नहीं है जब वो ऐसा कर रहे हैं। इससे पहले एक आदेश जारी कर शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट काम के लिए दिए जाने वाले एपीजे अब्दुल कलाम प्रतिभा अवार्ड का नाम बदलकर उन्होंने अपने पिता के नाम पर वाईएसआर विद्या पुरस्कार कर दिया था। लेकिन चौतरफा विरोध झेलने के बाद सरकार ने फैसला वापस लेते हुए इस पुरस्कार का नाम दोबारा एपीजे अब्दुल कलाम प्रतिभा पुरस्कार कर दिया है।
यही नहीं, पिछले महीने 21 तारीख को जब अमेरिका के दौरे पर गए जगन मोहन रेड्डी ने एक कार्यक्रम में दीप जलाने से साफ इंकार कर दिया था, तो वहीं तिरुमाला में मंदिर दर्शन के लिए जा रहे श्रद्धालुओं को आंध्र प्रदेश के सरकारी परिवहन विभाग द्वारा जो टिकट दी गई थी, उन टिकटों के पीछे हज और यरूशलम जैसे गैर–हिन्दू तीर्थस्थलों से संबन्धित विज्ञापन दिये हुए थे। यह तो हद ही है कि मंदिर जाने वाले लोगों के लिए जानबूझकर ईसाई धर्म का प्रचार किया जा रहा था। इसी सरकार ने मस्जिदों में इमामों के लिए 10 हजार रूपये और मौज़न के लिए 5 हजार रूपये प्रति माह मानदेय देने की घोषणा भी की थी।
रेड्डी ने खुद अपने परिवार के साथ यरूशलेम की एक यात्रा की थी, जो निश्चित रूप से करदाताओं के पैसे पर था। बता दें कि इस चार दिवसीय यात्रा पर मुख्यमंत्री की सुरक्षा के लिए आंध्र प्रदेश सरकार ने 22.52 लाख रुपये की धनराशि जारी की थी। यह तथ्य है कि एक राज्य के मुख्यमंत्री एक विशेष धर्म के लिए खुलेआम तुष्टीकरण कर रहे हैं और यह राज्य में रह रहे हिंदुओं के लिए चिंता का विषय है। अगर यह बंद नहीं हुआ तो वह दिन दूर नहीं जब इन राज्यों में हिंदुओं का हाल बद से बदतर हो जाएगा।