महाराष्ट्र में चल रहे बड़े राजनीतिक ड्रामे के बाद अब मध्य प्रदेश में भी राजनीतिक उठापटक देखने को मिल सकती है। दरअसल, कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अब अपने ट्विटर हैंडल बायो को बदल दिया है। उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल से पूर्व पदों और कांग्रेस का उल्लेख हटाकर खुद को समाजसेवी और क्रिकेट प्रेमी बताया है। पिछले काफी समय से कमलनाथ सरकार से निराश चल रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया के इस कदम से यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि वह कांग्रेस से अपनी राह अलग कर सकते हैं। वहीं कांग्रेस के 36 विधायक भी पार्टी की पहुंच से दूर नजर आ रहे जिससे यह भी अटकलें हैं कि मध्य प्रदेश में मामा जी की यानि कि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सत्ता में वापसी हो सकती है।
https://twitter.com/indiantweeter/status/1198854402037239808?s=20
35+ MLAs close to@JM_Scindia are not tracable in Madhya Pradesh
He changed his bio on twitter & removed "Congress"
He met Modi Ji also
Hints of something uncertain
"Daal me kala hai" #MamaWapisAaRaheHai pic.twitter.com/l4EPZ08U7f
— HINDUSTANI (@Indianlion13) November 25, 2019
वहीं, ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस खबर पर सफाई दी है कि ट्विटर हैंडल पर अपना बायो केवल डिटेल को शॉर्ट करने के लिए बदला है।
Jyotiraditya Scindia to ANI, on no mention of Congress party in his Twitter bio: A month back I had changed my bio on Twitter. On people's advice I had made my bio shorter. Rumours regarding this are baseless. pic.twitter.com/63LAw9SIvb
— ANI (@ANI) November 25, 2019
हालांकि, यह बात किसी से छुपी नहीं है कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस में आंतरिक मतभेद है ज्योतिरादित्य सिंधिया कमलनाथ सरकार से नाराज चल रहे हैं। कमलनाथ सरकार को घेरने का सिंधिया एक मौका नहीं छोड़ रहे वहीं, दूसरी तरफ दिग्विजय सिंह के भाई भी कमलनाथ सरकार को घेरने का प्रयास करते रहे हैं। हाल ही में कमलनाथ सरकार पर किसानों का अभी तक कर्ज माफ़ न किये जाने को लेकर गंभीर सवाल खड़े किये थे। इससे पहले सिंधिया ने यह बयान दिया था कि कांग्रेस को आत्म अवलोकन की जरूरत है और पार्टी की आज जो स्थिति है, उसका जायजा लेकर सुधार करना समय की मांग थी। बीते कुछ समय से महाराष्ट्र में सिंधिया बनाम कमलनाथ की लड़ाई तेज हुई है और दोनों के ही समर्थकों के बीच भी तनातनी बनी रहती है। सिंधिया को मध्य प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाने की मांग उनके समर्थक मंत्री समय-समय पर करते रहे हैं लेकिन फिर मध्य प्रदेश के अध्यक्ष पद के लिए उन्हें महत्व नहीं दिया गया। बता दें कि सिंधिया के कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बनने की अटकलें अगस्त-सिंतबर में भी लगी थीं। ऐसे में सिंधिया द्वारा अपना पहले ट्विट्टर हैंडल पर बायो बदलना और अब यह खबर आना कि कांग्रेस के 36 विधायक अपनी पार्टी के संपर्क में नहीं है यह तो इसी ओर संकेत देता है कि यहां कि राजनीति में कोई बड़ा उलटफेर देखने को मिल सकता है। भाजपा को राज्य में सरकार बनाने के लिए 116 सीटों की आवश्यकता है और 36 विधायक यदि कांग्रेस के संपर्क से दूर हैं तो यह मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की सत्ता में वापसी की ओर इशारा कर रहे हैं।
आपको बता दें कि, राज्य की 231 सदस्यीय विधानसभा (एक मनोनीत सदस्य को मिलाकर) में बहुमत का आंकड़ा 116 है। वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में सत्ता विरोधी लहर के बावजूद भी शिवराज सिंह चौहान की रणनीति ने पार्टी को शानदार प्रदर्शन करने में मदद की थी। हालांकि, इस चुनाव में पार्टी बेहद कम सीटों के अंतर से हार गई थी। अगर आंकड़ों की बात करें तो भाजपा को 109 सीटें मिली थीं वहीं, कांग्रेस 114 सीटें हासिल करने में सफल रही थी। वहीं कांग्रेस ने बहुमत साबित कर राज्य में अपनी सरकार बनाई थी लेकिन कमलनाथ की सरकार बनने के बाद से ही यहां आये दिन पार्टी के अंदर आंतरिक मतभेद देखने को मिलती रही है। वैसे भी कमलनाथ की सरकार बनने के बाद से सिंधिया को राज्य में वो महत्व नहीं मिला है जिसके वो हक़दार हैं। ऐसे में सिंधिया के तेवर तो इसी ओर इशारा कर रहे हैं। आने वाले दिनों में मध्य प्रदेश की राजनीति में अब इसका क्या प्रभाव पड़ता है और क्या वास्तव में सिंधिया कोई बड़ा कदम उठाने वाले हैं तो ये भाजपा के लिए अच्छे संकेत हैं।