लक्षद्वीप पर्यटन की दृष्टि से हो सकता है भारत का सबसे पसंदीदा स्थान, लेकिन यहां की डेमोग्राफी इसकी अनुमति नहीं देती

लक्षद्वीप

नीला आसमान, चारों तरफ नीला पानी, सरसराती तेज हवाएं, सुनहरे समुद्री तट और  नारियल के घने जंगल। अगर आपको घूमने का प्लान बनाना हो, और इन नज़ारों का आनंद उठाना हो तो आपके दिमाग में सबसे पहले मालदीव का नाम ही आएगा। हिन्द महासागर में बसा यह देश 1200 से ज़्यादा द्वीपों का समूह है और इस देश की अर्थव्यवस्था अधिकतर पर्यटन के भरोसे ही चलती है। हालांकि, भारत सरकार अगर चाहे तो मालदीव की तर्ज़ पर भारत के लक्षद्वीप को भी ऐसे ही प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर सकती है। भारत का लक्षद्वीप खूबसूरती के मामले में मालदीव से किसी भी मायनों में कम नहीं है। हालांकि, अभी ऐसी कई रुकावटें हैं जिसकी वजह से भारत के लक्षद्वीप को अब तक एक प्रमुख पर्यटन क्षेत्र के तौर पर विकसित नहीं किया जा सका है, और वह है लक्षद्वीप में शराब पर पाबंदी और साथ ही लक्षद्वीप तक अच्छी कनेक्टिविटी की कमी। अगर भारत सरकार इन दो बड़ी रुकावटों को दूर कर लेती है, तो सरकार Lakshadweep को मालदीव की तरह ही दुनिया में एक प्रमुख पर्यटन केंद्र के रूप में स्थापित कर सकती है।

पर्यटन किसी भी देश के लिए एक वरदान होता है, जहां उस देश को बिना कुछ बनाए या एक्सपोर्ट करे, विदेशी मुद्रा का लाभ होता है, और इस प्रकार से पर्यटन से उस देश का विदेशी मुद्रा भंडार मजबूत होता है। मालदीव और भारत के लक्षद्वीप में काफी समानताएँ हैं और जिस तरह मालदीव में पर्यटन उस देश की अर्थव्यवस्था का अहम हिस्सा बन चुका है, ठीक उसी तरह लक्षद्वीप भी विकसित किया जा सकता है। मालदीव की अर्थव्यवस्था में लगभग 80 प्रतिशत योगदान पर्यटन का होता है और इस देश की जीडीपी का 27 प्रतिशत हिस्सा पर्यटन से ही आता है।

हालांकि, अगर मालदीव की तरह ही लक्षद्वीप को भी एक विकसित पर्यटन केंद्र बनाना है, तो इसके लिए भारत सरकार को कुछ बड़े कदम उठाने की आवश्यकता है। बता दें कि अभी लक्षद्वीप में मदिरा यानि शराब पर पूरी तरह पाबंदी है और आप बाहर से भी लक्षद्वीप में शराब लेकर नहीं जा सकते। भारत सरकार ने वर्ष 1979 में एक कानून के माध्यम से Lakshadweep में शराब पर प्रतिबंध लगाया था, और इसका कारण बताया गया था कि सरकार वहां पर मानव संसाधन का विकास करना चाहती है। सरकार के इस प्रतिबंध के बाद यह तो ज्ञात नहीं हो सका है कि वहां पर मानव संसाधन का विकास कितना हुआ है, लेकिन इस प्रतिबंध की वजह से भारत को लाखों डोलर्स का नुकसान अवश्य हो चुका है।

लक्षद्वीप में शराब प्रतिबंधित होने का एक अन्य कारण यह भी है कि वहां की लगभग 97 प्रतिशत जनसंख्या मुस्लिम धर्म का पालन करती है, और इसीलिए वहां के लोग शराब का विरोध करते हैं। लक्षद्वीप की जनता ना तो खुद शराब पीती है, और न ही किसी दूसरे के शराब पीने का समर्थन करती है। इसलिए दुनिया के अधिकतर सैलानी घूमने के लिए Lakshadweep की बजाय मालदीव का रुख करते हैं। मालदीव भी एक मुस्लिम देश है लेकिन एक विकासवादी देश होने के नाते वहां के लोग शराब पर प्रतिबंध लगानी जैसे संकुचित मानसिकता से ऊपर उठ चुके हैं। उधर Lakshadweep के लोग इतने रूढ़िवादी हैं कि वे किसी सैलानी के स्विमसूट में तैरने पर भी अपनी आपत्ति जताते हैं।

इसके अलावा यह क्षेत्र सही से बाकी दुनिया से कनेक्ट भी नहीं है। Lakshadweep कुल 36 द्वीपों का समूह है, लेकिन यहां एयरपोर्ट सिर्फ अगाती द्वीप पर है, और वह भी सीधे तौर पर किसी अन्य देश से जुड़ा हुआ नहीं है, बल्कि कोची से वहां के लिए फ्लाइट लेनी पड़ती है। यानि अगर किसी विदेशी नागरिक को लक्षद्वीप जाना है, तो उसे पहले कोची जाना होगा और फिर वहां से लक्षद्वीप जाना होगा।

अगर भारत सरकार इन सभी रुकावटों को दूर करने के लिए भविष्य में बड़े कदम उठाती है, तो इससे ना सिर्फ लक्षद्वीप को एक प्रमुख पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया जा सकेगा, बल्कि इससे क्षेत्रीय लोगों के लिए नौकरियाँ भी पैदा होंगी, और क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा।

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