“ई का हुआ” – महाराष्ट्र मे भाजपा सरकार बनते ही लिबरल समुदाय ने तोड़ी चूड़ियाँ

महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा उलटफेर करते हुए शनिवार सुबह देवेन्द्र फड़णवीस ने राज्य के सीएम के तौर पर शपथ ले ली और सब को चौंका दिया, और उन्होंने यह काम किया एनसीपी नेता अजीत पवार के समर्थन से। अजीत पवार की ओर से यह दावा किया जा रहा है कि उनके पास 30 से ज़्यादा विधायकों का समर्थन है। अजीत पवार ने भी राज्य के डिप्टी सीएम के तौर पर शपथ ली।स्पष्ट था कि इस खबर के आते ही जहां पूरे देश में भाजपा समर्थकों मे काफी उत्साह है, तो वहीं देश के लिबरलों को विलाप करने की एक और वजह मिल गयी। देश की लिबरल बिरादरी यूं तो आजकल पहले ही अपने बुरे दौर से गुजर रही है, तो वहीं अमित शाह के इस कदम ने संजुक्ता बसु और राणा अय्युब जैसे बुद्धिजीवियों की बची-कुची खुशियों पर मानो ग्रहण लगा दिया है।

महाराष्ट्र की राजनीति में हुए इस बड़े उलटफेर पर कमेन्ट करते हुए संजुक्ता बसु ने कहा “यह पागलपन है। इस कदम को पवार प्ले, चाणक्य नीति जैसे नाम मत दो। कल तक तो खबरें आ रही थी कि कांग्रेस गठबंधन को समर्थन देने के लिए तैयार है और उद्धव ठाकरे राज्य के अगले मुख्यमंत्री होंगे, और एक ही रात में सब कुछ इतना बदल गया कि आज सुबह ओथ-टेकिंग भीं हो गया? यह तो कनपटी पर बंदूक रखे जाने जैसा है”।

दूसरी तरफ लेफ्ट-लिबरल गैंग की अन्य सदस्य राणा अय्युब, जो आमतौर पर ऐसे मौकों पर अपनी पीड़ा जाहिर करने में पीछे नहीं रहती है, उन्होंने अबकी बार सेफ खेलने का प्रयास किया और आखिरकार उन्होंने यह स्वीकार कर ही लिया कि भारतीय राजनीति के बारे में वे कुछ नहीं जानती हैं।

बात लिबरलों द्वारा शोक मनाने की हो और द वायर उसमें अपना योगदान ना दे, भला ऐसे कैसे हो सकता है ? द वायर ने कई ट्वीट करते हुए अपना वही पुराना ‘लोकतन्त्र खतरे में है’ का राग अलापा और महाराष्ट्र में भाजपा द्वारा लोकतन्त्र की हत्या होने की बात कही। द वायर की पत्रकार आरफा खानुम शेरवानी ने अपनी भड़ास निकालते हुए लिखा “बेईमानी, अवैध और अनैतिक। महाराष्ट्र की राजनीति में आज जो कुछ भी हुआ है, उसने दुनिया के सबसे बड़े लोकतन्त्र को बनाना रिपब्लिक में तब्दील कर दिया है”।

यही पीड़ा हमें स्वाति चतुर्वेदी के ट्वीट्स में भी देखने को मिली। उन्होंने बीजेपी पर अपने विरोधियों को कुचलने का आरोप लगाया। उन्होंने एक ट्वीट में लिखा “अजीत पवार के खिलाफ ED ने कुछ गंभीर मामले दर्ज़ किए हैं। आखिर राष्ट्रपति और राज्यपाल में उनके खिलाफ इन दोषों को नकार कर संविधान का अपमान क्यों किया है?”

इसी तरह एक अन्य ट्वीट में वे राहुल गांधी का बचाव करते हुए लिखती हैं “मुझे यह समझ में नहीं आ रहा है कि कुछ पन्ना प्रमुख महाराष्ट्र में हो रहे उलटफेर को लेकर राहुल गांधी पर हमला क्यों कर रहे हैं? NCP और शिवसेना के साथ गठबंधन का फैसला उनके नेतृत्व में नहीं लिया गया था और ना ही राहुल गांधी किसी के साथ बातचीत करने में शामिल थे।

ऐसे मौके पर कांग्रेस नेता और लिबरल समाज के युवा योद्धा हार्दिक पटेल भी अपने आप को रोक नहीं पाये और उन्होंने ट्वीट किया “महाराष्ट्र में जो कुछ भी हुआ, उससे यह स्पष्ट है कि भाजपा बिना सरकार बनाए नहीं रह सकती है। इन पाँच सालों के दौरान भाजपा ने महाराष्ट्र में जो भी भ्रष्टाचार किया है, भाजपा नहीं चाहती वह किसी के सामने आए इसीलिए वह सरकार में रहना चाहती है”।

https://twitter.com/HardikPatel_/status/1198087424523374593?s=20

इन लिबरलों को पहले ही कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने और अयोध्या में राम मंदिर बनने का गम सता रहा था, अब अमित शाह ने इनकी पीड़ा बढ़ाने का एक और कारण ढूंढ निकाला है। लिबरल बिरादरी से उम्मीद भी यही की जा सकती है। कभी यूपीए सरकार के समय जिन लोगों को सत्ताधारियों के सर पर बैठने को जगह दी जाया करती थी, आज उन्हें पूछने वाला भी कोई नहीं है।

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