मलेशिया के चीनी समुदाय ने महातिर मोहम्मद का किया बहिष्कार, बुढ़ापे में जेब खाली होना तय

क्योंकि चीनी समुदाय मलेशिया में आर्थिक तौर पर सम्पन्न है और मलेशिया की अर्थव्यवस्था के बिजनेस सेक्टर पर इसी समुदाय का खासा प्रभाव है।

महातिर मोहम्मद

मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद बेशक आजकल चीन की कठपुतली की तरह बर्ताव कर रहे हों, लेकिन उनके अपने देश में चीनी मूल के मलेशियन नागरिकों ने उनका बहिष्कार करना शुरू कर दिया है। बता दें कि मलेशिया में अभी बड़ी संख्या में चीनी मूल के लोग रहते हैं जो कि 19वीं और मध्य 20वीं शताब्दी में चीन को छोड़कर मलेशिया आकर बसे थे। मलेशिया की कुल आबादी में इन चीनी मूल के लोगों की लगभग 25 प्रतिशत हिस्सेदारी है। पिछले वर्ष मई में जब मलेशिया में चुनाव हुए थे, तो महातिर मोहम्मद ने चुनावों में यह वादा किया था कि वे मलेशिया में सभी नागरिकों के लिए समान अधिकारों की वकालत करेंगे, चाहे उनका धर्म कोई भी हो, या फिर वे किसी भी वंश के क्यों ना हो।

मलेशिया में चीनी मूल के नागरिकों के साथ शुरू से ही भेदभाव होता आया है, और उनके साथ अन्य मलय नागरिकों जैसा व्यवहार नहीं किया जाता है जिसकी वजह से बड़ी संख्या में चीनी मूल के नागरिकों ने महातिर के नेतृत्व वाले गठबंधन “पकतान हरप्पन” का समर्थन किया और वे पिछले वर्ष बड़ी बहुमत के साथ सत्ता में आए थे। हालांकि, अब इन चीनी मूल के वोटर्स का विश्वास महातिर पर से उठने लगा है जिसका एक उदाहरण हमें मलेशिया में हाल ही में हुए उप-चुनावों में देखने को मिला था जिसमें महातिर के नेतृत्व वाले पकतान हरप्पन गठबंधन की करारी हार हुई थी।

चुनावों से पहले जब पकतान हरप्पन ने सभी नागरिकों के लिए समान अधिकारों की बात कही थी, तो चीनी समुदाय के लोगों ने महातिर मोहम्मद का एकतरफा समर्थन किया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक लगभग 95 प्रतिशत चीनी समुदाय के लोगों ने पकतान हरप्पन का समर्थन किया था। हालांकि, महातिर के आने के बाद मलेशिया में सामुदायिक भेदभाव को बढ़ावा मिला है, जिसके कारण चीनी मूल के वोटर्स महातिर से नाराज़ हो गए हैं। महातिर का अपने किए वादों से पलट जाने का सबसे बड़ा कारण माना जाता है कि उनकी मानसिकता अब लोकतन्त्र विरोधी हो गयी है।

चीनी समुदाय द्वारा महातिर के बहिष्कार के कारण ही सत्ताधारी गठबंधन को हाल ही में हुए उपचुनावों में करारी हार का सामना करना पड़ा था। पिछले दिनों मलेशिया की तांजुंग पियाई सीट पर मतदान हुआ था जिसके नतीजों में महातिर मोहम्म्द के नेतृत्व वाली गठबंधन को करारी हार मिली थी। ‘इल्हाम स्टैटिक्स’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले वर्ष इस इलाके में चीनी समुदाय के लगभग 75 प्रतिशत लोग पकतान हरप्पन का समर्थन करते थे, जो अब घटकर सिर्फ 34 प्रतिशत ही रह गए हैं।

चीनी समुदाय का समर्थन ना मिलना महातिर की राजनीति और उनके नेतृत्व वाले गठबंधन पकतान हरप्पन के लिए बिलकुल भी अच्छा नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि चीनी समुदाय मलेशिया में आर्थिक तौर पर सम्पन्न है और मलेशिया की अर्थव्यवस्था के बिजनेस सेक्टर पर इसी समुदाय का खासा प्रभाव है। अगर यह चीनी समुदाय महातिर से नाराज़ होता है तो ना सिर्फ उनके गठबंधन को राजनीतिक नुकसान झेलना पड़ेगा बल्कि उनकी पार्टी के लिए आर्थिक तौर पर भी वह अच्छा नहीं रहेगा क्योंकि राजनीतिक पार्टियों का अधिकतर चंदा बिजनेस कम्यूनिटी से ही आता है। आर्थिक तौर पर मजबूत चीनी समुदाय को मलेशिया की हर राजनीतिक पार्टी अपने फायदे के लिए आकर्षित करना चाहती है।

महातिर ने भी पिछले वर्ष चीनी समुदाय को बड़े-बड़े सपने दिखाकर उनसे राजनीतिक फ़ायदा तो उठा लिया, लेकिन पीएम बनने के बाद अब वे किसी की सुन नहीं रहे हैं। ना तो वे अपने गठबंधन में साथी अनवर इब्राहिम के लिए पीएम की कुर्सी खाली करना चाहते हैं और ना ही वे अपने चुनावी वादों को पूरा करने के लिए कोई खास कदम उठा रहे हैं। 94 वर्ष के महातिर मोहम्मद के इन्हीं आत्मघाती कदमों का यह नतीजा है कि उनके गठबंधन की लोकप्रियता लगातार कम होती जा रही है और अब इसके नतीजे में उनके गठबंधन को बड़ा आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ सकता है।

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