मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद की उन हरकतों के बारे में तो आपको पता ही होगा जिनकी वजह से मलेशिया के हितों को पिछले कुछ महीनों में लगातार नुकसान पहुंचा है। अब मलेशिया के लोग भी महातिर से तंग आ चुके हैं और यही कारण है कि मलेशिया में सत्ताधारी गठबंधन को हाल ही में हुए उपचुनावों में करारी हार का सामना करना पड़ा है। पिछले दिनों मलेशिया की तांजुंग पियाई सीट पर मतदान हुआ था जिसके नतीजों में महातिर मोहम्म्द के नेतृत्व वाली गठबंधन को करारी हार मिली है। बता दें कि पिछले वर्ष मई में मलेशिया में सत्ताधारी गठबंधन सत्ता में आयी थी, उसके बाद से इस गठबंधन को 4 बार हार मिल चुकी है और इसकी लोकप्रियता में भी काफी कमी आई है। इसका सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है, महातिर मोहम्मद की देशविरोधी नीतियाँ। पिछले कुछ समय से वे मलेशिया के हितों की परवाह न करते हुए चीन की कठपुतली की तरह बर्ताव कर रहे हैं। इसके अलावा उनके गठबंधन के अंदर भी सबकुछ सही नहीं चल रहा है, जिसके कारण अब जनता का महातिर मोहम्मद से विश्वास उठता जा रहा है।
दरअसल, महातिर मोहम्मद अभी अपने राजनीतिक साथी अनवर इब्राहिम के साथ मिलकर सरकार चला रहे हैं, और सरकार बनाते समय महातिर ने यह वादा किया था कि एक या दो साल के बाद वे प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर अनवर के लिए कुर्सी खाली कर देंगे। हालांकि, अपनी कही इस बात से पलटते हुए फाइनेंशियल टाइम्स को इंटरव्यू देते हुए उन्होंने कहा कि अभी कुर्सी छोड़ने का उनका कोई प्लान नहीं है और मौजूदा हालातों को देखते हुए देश चलाने के लिए वे ही सही व्यक्ति हैं। बता दें कि अनवर और महातिर यूं तो आज एक ही सरकार का हिस्सा हैं लेकिन उनके बीच में पुरानी दुश्मनी रही है। ऐसे में इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि महातिर द्वारा उनके बयानों से पलटने के बाद अनवर विद्रोह छेड़कर मलेशियाई राजनीति को अस्थिर करने का प्रयास कर सकते हैं। यह भी एक बड़ी वजह है कि लोग गठबंधन में जारी आपसी खींचतान की वजह से अपना समर्थन गठबंधन से वापस खींच रहे हैं।
दूसरी तरफ जिस तरह उन्होंने देश को भ्रष्टाचार से उबारने के नाम पर पिछले एक साल में देश की अर्थव्यवस्था का बंटाधार किया है, खुद मलेशिया के लोग भी उनसे खुश नहीं हैं। मलेशिया में महातिर की सरकार की लोकप्रियता में बड़ी गिरावट देखने को मिली है। इसी वर्ष अप्रैल में प्रकाशित straittimes की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सिर्फ एक साल के अंदर ही महातिर सरकार की लोकप्रियता में बड़ी कमी आई है, और महातिर की अप्रूवल रेटिंग 71 प्रतिशत से घटकर सिर्फ 46 प्रतिशत रह गयी है। वहीं रिपोर्ट में यह भी लिखा है कि सिर्फ 39 प्रतिशत लोग ही उनकी सरकार को सकारात्मक फीडबैक देंगे।
इसके अलावा पिछले कुछ महीनों में भी वे ऐसे कदम उठा चुके हैं जिससे भविष्य में मलेशिया की अर्थव्यवस्था को तगड़ा नुकसान पहुँच सकता है। अगस्त महीने में उन्होंने यूएन में कश्मीर मुद्दे को उठाया था जिसने नई दिल्ली को बहुत आहत कर दिया था। इसके बाद मलेशिया की पाम ऑयल इंडस्ट्री को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है। वहीं ईस्ट एशिया समिट के दौरान भी महातिर ने चीन का बचाव करते हुए अमेरिका पर निशाना साधा। दरअसल, एक कार्यक्रम के दौरान RCEP के मुद्दे पर बोलते हुए महातिर ने कहा था कि अमेरिका जानबूझकर ASEAN देशों को टार्गेट कर रहा है ताकि अपनी शत्रुतापूर्ण व्यापार नीति के माध्यम से वह एक-एक करके सभी देशों को निशाना बना सके। महातिर मोहम्मद ऐसे समय में अमेरिका पर हमले कर रहे हैं जब खुद मलेशिया का अमेरिका के साथ ट्रेड सरप्लस है। वर्ष 2018 में अमेरिका के साथ मलेशिया का ट्रेड सरप्लस 26.5 बिलियन यूएस डॉलर था। वही मलेशिया उस चीन की गोद में बैठकर अमेरिका को गाली दे रहा है जिसके साथ उसका ट्रेड डेफ़िसिट है। यह दिखाता है कि मलेशिया ASEAN देशों में ASEAN के हितों के विरुद्ध चीन के हितों के लिए काम कर रहा है।
कुल मिलाकर जहां एक तरफ मलेशिया की जनता महातिर से परेशान हो चुकी है, तो वहीं उनके राजनीतिक साथी भी उनके विश्वासघात से तंग आ चुके हैं। हालांकि, महातिर अपने आप को देश का नेतृत्व करने के लिए सबसे उपयुक्त बताने पर तुले हुए हैं। हाल ही में हुए उपचुनावों में भी जनता ने यह दिखा दिया है कि जिस तरह वे देश को आगे लेकर चल रहे हैं, उससे वे बिलकुल भी खुश नहीं है और समय आ गया है कि मलेशिया को एक नया नेतृत्व मिले।