मैं किसी ‘ऐरे गैरे नथु खैरे’ को नहीं सुनूंगा, कभी विनम्र नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी अब एक घमंडी स्टार बन गये हैं

हम जैसे लोगों ने ही आपको स्टार बनाया है नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी

नवाज़ुद्दीन

नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी को कौन नहीं जानता? अपने अभिनय के दम पर फर्श से अर्श तक का सफर तय करने वाले नवाज़ुद्दीन अपने दमदार एक्टिंग के लिए बॉलीवुड में लोकप्रिय हैं। ‘गैंग्स ऑफ वासेयपुर’ की अपार सफलता के बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा, और ‘द लंचबॉक्स’, ‘बदलापुर’, ‘मांझी – द माउंटेन मैन’, ‘रमन राघव 2.0’, ‘मॉम’, इत्यादि में अपने अभिनय का लोहा मनवाया।

परंतु हाल ही में दिये गए एक साक्षात्कार में नवाज़ का वो पक्ष भी सामने आया, जो अब तक आम जनता से छुपा हुआ था। पिंकविला को दिये अपने साक्षात्कार में उन्होने ‘सेक्रेड गेम्स’ के दूसरे सीजन के प्रति जनता की प्रतिक्रिया पर अपने विचार साझा किए। उनके अनुसार, “कौन हैं ये लोग? मैं उन्ही की आलोचना सही मानता हूँ जो मेरे स्टैंडर्ड के हैं। आज तो कोई भी आलोचना करने सामने आ जाता है? हाँ, पता है शो थोड़ा ऊबाऊ हो गया, परंतु जो लोग आलोचना कर रहे हैं, उन्हें क्या सिनेमा की समझ भी है? मैं तभी आलोचना सह सकता हूँ जब आलोचक को सिनेमा पर मेरे बराबर या मुझसे ज़्यादा ज्ञान हो। मैं किसी ‘ऐरे गैरे नथु खैरे’ को नहीं सुनूंगा। अब आज किसी ने भी आलोचना की, तो वो समझ ले कि मैं एक ट्रेन्ड एक्टर हूँ। मैं किसी की आलोचना नहीं सह सकता”।

नवाज़ भाई, मुखर होना कोई अपराध नहीं, पर इसका अर्थ यह कदापि नहीं है कि एक स्पष्ट व्यक्तित्व पर आप घमंडी होने लगे। सच बताएं तो सेक्रेड गेम्स का दूसरा सीजन केवल खराब ही नहीं, बल्कि वाहियात और उबाऊ भी है। अगर हम इसके हिन्दू विरोध की भावना को अलग रख दें, तो भी पिछले सीजन की भांति इस सीजन में न कोई रचनात्मकता है, न कोई अच्छे डायलॉग हैं, और न ही कोई यादगार दृश्य।

स्वयं सैफ अली खान ने स्वीकारा है कि दूसरे सीज़न की कहानी में कई खामियां थीं और यह पहले सीज़न की तुलना में ज़्यादा लंबी हो गई थी इसीलिए लोगों ने नहीं पसंद किया। पहले सीजन की तुलना में इस सीजन का क्लाइमेक्स भी काफी बोरिंग था।

शायद नवाज़ुद्दीन यह भूल गए हैं कि ये जनता ही है, जो एक शिवाजी राव गायकवाड़ को सुपरस्टार रजनीकान्त बना सकती है, और किसी जुगल हंसराज को हाशिये पर भी ला सकती है। इतनी अकड़ आपके सेहत के लिए ठीक नहीं है। यदि जनता चाहे, तो पल भर में आपको अर्श से फर्श पर ला सकती है, और इसके लिए ज़्यादा दूर जाने की ज़रूरत नहीं है। शाहरुख खान और आमिर खान ने अपनी लोकप्रियता को भुनाने के लिए बिना किसी ठोस आधार पर भारत को ‘असहिष्णु’ देश घोषित किया। आगे क्या हुआ, इसे जानने के लिए कोई पीएचडी करने की आवश्यकता नहीं है।

इतना ही नहीं, ‘वीरे दी वेडिंग’ की थोड़ी सी सफलता से आसमान में उड़ रही स्वरा भास्कर को लोकसभा चुनावों के दौरान जनता ने ज़बरदस्त आईना दिखाया था। जिस भी उम्मीदवार को उन्होंने समर्थन दिया, वो एकदम फिसड्डी ही नहीं साबित हुआ बल्कि एक अच्छे खासे अंतर से अवश्य हारा। अकड़ में न रावण बचे, न दुर्योधन, तो फिर नवाज़ुद्दीन की क्या हस्ती है?

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