मोदी-योगी और अश्लीलता फैलाने वाले फर्जी स्टैंडअप कॉमेडियन्स को शशि थरूर से कुछ सीखना चाहिए

जहां तारीफ बनती है वहां जरूर करनी चाहिए, भले ही विचार अलग हो!

शशि थरुर

PC: Amazon Prime

सच कहें तो शशि थरूर किसी छुपे रुस्तम से कम नहीं हैं। किसे पता था कि वे एक चलते-फिरते थिसॉरस और एक पब्लिक स्पीकर होने के साथ-साथ स्टैंड-अप कॉमेडी में सबका मनोरंजन भी कर सकते हैं? वैचारिक रूप से मैं शशि थरूर का समर्थक नहीं हूं, पर जहां वे प्रशंसा के पात्र हैं, उन्हें वहां अवश्य प्रशंसित किया जाना चाहिए। एक अनुभवहीन स्टैंड अप कॉमेडियन के तौर पर उनका एक्ट काफी बेहतरीन था।

आजकल हम देख रहे हैं कि भारत के हास्य परिवेश में स्टैंड अप कॉमेडी करने वाली अक्सर राजनीति पर अपना ज्ञान बघारने से पीछे नहीं हटते। परंतु जो शुभ संकेत नहीं है, वो है एक ही पार्टी और विचारधारा का अनावश्यक आलोचना करते रहना। उदाहरण के लिए आजकल हर दूसरा कॉमेडियन लोकप्रियता पाने के लिए भाजपा या दक्षिणपंथ को निशाने पर लेता रहता है। देश में ऐसे बहुत कम कॉमेडियन हैं जो या तो मोदी विरोध में विश्वास नहीं रखते, या फिर मोदी और भाजपा के समर्थन में बोलते हैं। हालांकि ये आवश्यक नहीं है, परंतु हमें ये समझ में नहीं आता कि आखिर अधिकतर कॉमेडियन्स भाजपा विरोधी या दक्षिणपंथी विरोधी क्यों होते हैं? क्या यह एक वैचारिक आवश्यकता है?

ऐसे में एमज़ोन प्राइम पर स्ट्रीम हुए ‘वन माइक स्टैंड’ में शशि थरूर का एक्ट किसी राहत से कम नहीं था। हम में से कई ऐसे लोग हैं, जो क्वालिटी कॉमेडी के प्रशंसक हैं, भले ही वो वैचारिक रूप से हमारे विचारों से मिले या नहीं। शशि थरूर ने अपने एक्ट से सभी सेलेब्रिटीज़ और उन्हें ट्रेन करने वाले कॉमेडियन्स को मीलों पीछे छोड़ दिया है। जहां सेलेब्रिटीज़ में विशाल डडलानी, रिचा चड्ढा, तापसी पन्नू, भुवन बाम और शशि थरूर थे, तो वहीं उनको प्रशिक्षण देने वाले कॉमेडियन्स में क्रमश: आशीष शाक्या, रोहन जोशी, अंगद सिंह रान्याल, ज़ाकिर खान और कुनाल कामरा शामिल थे।

अब कुनाल कामरा ने चूंकि शशि थरूर को कॉमेडी के लिए प्रशिक्षित किया, तो ऐसे में किसी को कोई हैरानी नहीं होनी चाहिए अगर सबने थरूर से पीएम मोदी और भाजपा के अलावा दक्षिणपंथ को निशाने पर लेने की आशा की थी, जिसके लिए कुनाल कामरा काफी चर्चित हैं। परंतु ऐसा कुछ भी नहीं हुआ, क्योंकि थरूर के पास लोगों को हंसाने के लिए काफी स्त्रोत मौजूद थे। सर्वप्रथम उन्होंने अपने आप पर, अपने अंग्रेज़ी और अपने शब्दावली पर चुटकी ली, फिर उन्होंने आजकल की पत्रकारिता पर व्यंग्य किया। परंतु उनके जोक्स का प्रमुख केंद्र ब्रिटिश साम्राज्य, या फिर उनके शैली में ब्रिट्स ही रहा।

शशि थरूर को एक राजनयिक से राजनेता बने व्यक्ति के तौर पर जाना जाता है, जिन्होंने स्पष्ट रूप से अंग्रेजों से भारत का क्रूरता से दमन करने के लिए क्षमा याचना की मांग की है। अपने एक्ट में उन्होंने पीएम मोदी पर भी चुटकी ली, परंतु उनके चुट्कुले अपमानजनक नहीं थे। सबसे बढ़िया बात तो यह है कि उन्होंने अपने एक्ट में अपने आप को हास्य का पात्र भी बनाया, क्योंकि हर भारतीय राजनेता ऐसा करने में सक्षम नहीं है। उदाहरण के लिए उन्होंने बताया कि जनता का उनके अंग्रेज़ी के बारे में काफी भ्रम है। उन्होंने अपने आप को परिचित कराते हुए जनता को डिक्शनरी भी पकड़ाई, ताकि वो उनके शब्दों को समझ सकें। उन्होंने एक जोक ये भी सुनाया कि कई बार उनके माता-पिता अतिथियों के सामने उनसे कहते हैं, ‘शशि बेटा, इनको भी अंग्रेज़ी सुनाओ न।’

एक राजनेता के तौर पर एक मंच पर आकर लोगों को हंसाने के लिए काफी हिम्मत चाहिए होती है। स्वयं शशि थरूर ने अपने आप को दर्शकों से परिचित कराते हुए कहा था, “मैं पहला ऐसा भारतीय राजनेता हूं जो लोगों को जानबूझकर हंसाता है”।

सच कहें तो शो का मूल विचार और प्रारूप वास्तव में स्वागत योग्य है। परंतु रन-अप को दिखाने में बहुत अधिक समय बर्बाद होता है। इसके अलावा जब कॉमेडियन मंच पर आते हैं और अपने सामान्य जोक क्रैक करते हैं, तो दर्शक और बेसब्र हो जाते हैं (ज़ाकिर खान को छोड़कर)।

कुणाल कामरा कॉमेडी की कला पर थरूर को प्रशिक्षित करने के लिए नियुक्त किए गए थे, लेकिन वास्तव में उनके लिए शशि थरूर किसी गुरू से कम नहीं हैं। राजनीतिक कॉमेडी को एक विशेष-विचारधारा/व्यक्ति-विशेष तक सीमित करने की आवश्यकता नहीं है। भारतीय राजनीति के बारे में मजाक करने के लिए हमेशा स्वागत किया जाएगा। इसके अलावा किसी के तथ्यों को सही तरीके से प्राप्त करना, न कि उन्हें केवल इसलिए घुमा देना क्योंकि कॉमेडी कर रहे हैं, सबसे महत्वपूर्ण है। शशि थरूर के एक्ट से पहले, कामरा द्वारा वार्म-अप प्रदर्शन किया गया था, जिसमें उन्होंने अर्नब गोस्वामी को पीछे छोड़ दिया। शुरू में यह मजाकिया था, मैं मानता हूं। लेकिन तब यह किसी के द्वारा महसूस किया जाएगा कि आदमी सिर्फ अपना एजेंडा फैला रहा है। पूरे एक्ट का उद्देश्य गोस्वामी के खिलाफ जहर उगलना था। हालांकि शशि थरूर को अर्नब का अधिक विरोधी होना चाहिए, फिर भी उन्होंने अर्नब का उल्लेख तक नहीं किया।

सपन वर्मा इस श्रृंखला के मेजबान थे, और वे भी कभी-कभार मोदी विरोधी चुटकुलों में शामिल होते थे। पर वहीं राजीव निगम जैसे अन्य लोग भी हैं, जिनका पूरा वर्तमान कॉमिक कैरियर पीएम मोदी, भाजपा और भक्तों को निशाने पर लेने की प्रवृत्ति पर आधारित है। वरुण ग्रोवर और रहमान खान ऐसे अन्य उदाहरण हैं। अगर कोई मोदी को इन कॉमेडियन्स की स्क्रिप्ट से हटा दे तो शायद ही इनके पास दर्शकों को हंसाने योग्य कुछ मैटेरियल होगा। ऐसे में शशि थरूर ने अपने एक्ट से एक अहम संदेश भी दिया- बिना फूहड़ता और बिना एक विचारधारा को निशाने पर लिए भी लोगों को हँसाया जा सकता है।

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