“जिस तरह मिट्टी के हर कण में पहाड़ होता है, हर बीज में पेड़, और हर तलवार में सेना, उसी तरह हर मराठा में छुपा है लाख मराठा!”
ऐसे अभूतपूर्व संवादों के साथ प्रख्यात अभिनेता अजय देवगन की बहुप्रतिष्ठित फिल्म तानाजी: द अनसंग वॉरियर आखिरकार कल प्रदर्शित हो ही गया। इस फिल्म का निर्देशन ओम राऊत ने किया है, जो इससे पहले मराठी में मशहूर बायोपिक ‘लोकमान्य – एक युगपुरुष’ को निर्देशित कर चुके हैं। वीर मराठा योद्धा तान्हाजी मालुसरे के शौर्य का उल्लेख करती इस फिल्म में मुख्य भूमिका में अजय देवगन हैं, जबकि अन्य कलाकार हैं सैफ अली खान, काजोल, शरद केलकर, ल्यूक केनी, पद्मावती राव।
‘तानाजी’ फिल्म के लिए दर्शक कितने उत्सुक थे, इसका प्रमाण इसी बात से मिलता है कि 24 घंटों से भी कम समय में इस फिल्म के ट्रेलर को अब तक यूट्यूब पर 2.6 करोड़ से ज़्यादा लोग देख चुके हैं, और इस वीडियो पर 7 लाख से ज़्यादा लाइक्स हैं। ये यूट्यूब की ट्रेंडिंग लिस्ट में भारत में नंबर 3 पर ट्रेंड भी कर रहा है।
अब अगर ट्रेलर की बात करें, तो अजय देवगन और ओम राऊत ने एक उत्कृष्ट, और भारत के वास्तविक नायकों को उचित श्रेय देने का वादा करने वाली एक अद्भुत फिल्म की झलक दी है। इस फिल्म के ट्रेलर को एक शब्द में सीमित करना असंभव है।
वीर मराठा योद्धा तान्हाजी मालुसरे मराठा सम्राट छत्रपति शिवाजी महाराज के परम मित्र होने के साथ एक विश्वासपात्र सेनापति भी थे, जिन्हें पुणे से कुछ दूरी पर स्थित कोंढाणा दुर्ग को पुनः मराठा साम्राज्य में शामिल करने के लिए कहा गया। यूं तो तान्हाजी अपने पुत्र की विवाह की तैयारियां कर रहे थे, परंतु उन्होंने मातृभूमि की रक्षा हेतु इस अभियान में न केवल हिस्सा लिया, अपितु 4 फरवरी 1670 को दुर्ग के स्वामी और राजपूत योद्धा उदयभान राठौड़ से भीषण युद्ध करते हुए वो वीरगति को प्राप्त हुए। परंतु उनका बलिदान व्यर्थ नहीं गया, क्योंकि मराठा सैनिकों ने उनके बलिदान से प्रेरणा लेते हुए कोंढाणा दुर्ग को पुनः प्राप्त किया। तान्हाजी की वीरगति से छत्रपति शिवाजी इतने दुखी हुए कि उन्होने कहा ‘गढ़ आला पण सिंह गेला’ [दुर्ग तो आया पर मेरा सिंह चला गया]।
जिन-जिन लोगों ने पानीपत नामक त्रासदी को देखने का साहस किया, उनके लिए ‘तानाजी’ का ट्रेलर ऑक्सिजन से कम नहीं होगी। अजय देवगन का करिश्माई व्यक्तित्व, या फिर उदयभान के रूप में सैफ का दमदार अभिनय हो, ‘तानाजी’ के ट्रेलर के बारे में लोग प्रशंसा के पुल बांधते नहीं थक रहे। सोशल मीडिया पर लगभग सभी ने ‘बाजीराव मस्तानी’, ‘पद्मावत’ और यहाँ तक की ‘बाहुबली’ से तुलना करते हुए इसके बैक्ग्राउण्ड संगीत, इसके सेट और इसके वीएफ़एक्स की प्रशंसा की है।
परंतु इस फिल्म का एक्स फ़ैक्टर है हमारे भारतीयता और सनातन धर्म का गुणगान। बहुत कम ऐसा हुआ है कि किसी मेनस्ट्रीम बॉलीवुड फिल्म में भारतीयता और सनातन धर्म को उसके वास्तविक स्वरूप में दिखाया गया हो। परंतु ‘तानाजी’ में न केवल ऐसा हुआ है, अपितु ऐसा लगता है मानो हम वास्तविक रूप से उस युग को जी रहे हो।
परंतु किसी बॉलीवुड फिल्म में भारतीयता का गुणगान हुआ हो, और लिबरल्स आहत न हो, ऐसा हो सकता है क्या? ‘तानाजी’ के ट्रेलर पर लेफ्ट लिबरल्स ने काफी नकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। हो भी क्यों न, जो बिरादरी अलाउद्दीन खिलजी की बर्बरता पर फिदा हो, उसे तान्हाजी का गौरव और छत्रपति शिवाजी का शौर्य कैसे भायेगा?
🚨Thread alert.🚨 There are far more pressing issues in the news today, but the trailer for Tanhaji: The Unsung Hero has dropped. That too on World Toilet Day. (How's that for subliminal messaging?) https://t.co/vE37VIJ8Cf Please don't miss the spelling of "films". pic.twitter.com/imTjiKpj1t
— Deepanjana (@dpanjana) November 19, 2019
इसीलिए लेफ्ट लिबरल्स ने ‘तानाजी’ के ट्रेलर रिलीज़ होते ही इसके विरुद्ध बहस छेड़ दी। कई पत्रकारों ने तो इसे ‘भाजपा के भगवाकरण’ की साजिश का हिस्सा बताने का प्रयास किया। हिंदुस्तान टाइम्स की पत्रकार दीपांजना के ट्वीट थ्रेड से ही समझ में आता है कि वे अभी इस ट्रेलर के ‘सदमे’ से नहीं उभर पाई हैं। आरएसएस से संबंध बताना, भगवा का मज़ाक उड़ाना, जातिवाद फैलाना, छत्रपति शिवाजी को कमतर आंकना, फिल्म में ‘टॉक्सिक मस्क्युलिनिटी’ ढूँढना, आप बस बोलते जाइए और दीपांजना ने अपने ट्वीट थ्रेड में सबका उल्लेख किया है। उदाहरण के लिए इनका एक ट्वीट बताता हूँ, “शायद ‘तानाजी’ के लॉंच को अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस से जोड़ना था, क्योंकि ट्रेलर के अनुसार सिर्फ पुरुषार्थ की महिमा गाई गयी है”।
इसके अलावा सोशल मीडिया रिएक्शन ढूँढने के नाम पर अजय देवगन का मज़ाक उड़ाने वाले और ‘तानाजी’ को टार्गेट करने वाले ट्वीट्स पर ही ध्यान केन्द्रित किया गया। परंतु हिंदुस्तान टाइम्स इसमें अकेला नहीं था, अन्य लिबरल पत्रकारों ने भी ‘तानाजी’ को जमकर कोसा। जो काम द वायर ने ‘उरी – द सर्जिकल स्ट्राइक’ के लिए किया था, वो काम अब ‘तानाजी’ के लिए द क्विंट अंग्रेज़ी और हिन्दी दोनों में ही कर रहा है। हिन्दी में जहां उन्होंने ‘तानाजी’ के लिए भगवा पावर को उपहास के तौर पर प्रयोग किया, तो अंग्रेज़ी में ट्रेलर के लिए ऐसे प्रश्न पूछे, कि वाहियात से वाहियात मेनस्ट्रीम मीडिया कवरेज भी इसके सामने सयानी लगे।
‘क्या कागज़ की कमी से धड़ाम हुआ मुग़ल साम्राज्य?’
‘क्या ‘weird flex’ के कूल होने से पहले मराठाओं ने किया प्रयोग?’
‘सभी हाथी भीमकाय क्यों होते हैं?’
‘क्या तलवारों के साथ ज़िप लाइनिंग सबसे घटिया एडवेंचर सपोर्ट रहा है?’
‘क्या ‘तानाजी’ भी नागिन है?’
‘सिंहगढ़ का युद्ध सर्जिकल स्ट्राइक में कब बदल गया?’
अरे भाई, ये हमारे प्रश्न नहीं है, बल्कि द क्विंट ने खुद पूछे हैं। पर इनकी रिपोर्टिंग देखकर तो कुछ लोगों को गज़ब का कॉम्प्लेक्स हो गया, और उन्होंने सोचा, “ऐसे कैसे भाई? हमसे घटिया रिपोर्टिंग क्विंट ने कैसे की?” द क्विंट ने तो केवल ऊटपटाँग सवाल पूछे, पर ‘द लल्लनटॉप’ ने अपनी रिपोर्टिंग में ‘तानाजी’ के ट्रेलर को समाज के लिए खतरा ही घोषित कर दिया। विश्वास नहीं होता, तो इसे देखिये,
“जब शिवाजी राज़े की तलवार चलती है तो औरतों का घूंघट और ब्राह्मणों का जनेऊ सलामत रहता है”.
इसके राइटर और ‘तानाजी’ के मेकर्स ने न जाने क्या सोचा था लेकिन आज के टाइम में ये डायलॉग बहुत गलत है.
1) क्योंकि ‘घूंघट’ और ‘जनेऊ’ के इसी सिंबॉलिज्म को पीछे छोड़ने के लिए हमारे समाज को न जाने कितनी लड़ाई लड़नी पड़ी है. हम फिर से वहीं नहीं लौट सकते.
2) क्योंकि ‘ब्राह्मणों के जनेऊ’ की रक्षा में तलवार के उठने में ये फिल्म गौरव महसूस कर रही है और ये डरावनी बात है. इस डायलॉग के जरिए ये फिल्म थियेटर आने वाले दर्शकों को जातिवादी होने के लिए प्रोत्साहित कर रही है. इसके हिसाब से वर्गभेद अच्छी चीज़ है. इसके मुताबिक ब्राह्मण होना बड़े सम्मान की बात है”।
पर ये तो कुछ भी नहीं। कुछ लोग तो बॉलीवुड द्वारा तान्हाजी मालुसरे के महिमामंडन पर इतना आहत हुए, इतना आहत हुए, कि उन्होंने तो ‘थैंक्स मुगल्स’ ट्विटर पर ट्रेंड करना शुरू कर दिया। मतलब कि भाई, मुगलों के बिना भारत कभी था ही नहीं।
They hate Mughals because they were Muslims but they are shameless enough to continue minting millions yearly as tourism income out of the structures Mughals build hundreds of years ago. #ThanksMughals
— Saif (@isaifpatel) November 20, 2019
Started trending in Top 20. This is our humble collective effort against the demonisation of Mughals by the state, the media and Bollywood.
India would not have been India without the contribution & legacy of Muslims. Trend with hashtag #ThanksMughals pic.twitter.com/d7NbjauBHq— Irena Akbar (@irenaakbar) November 20, 2019
लगता है तीर सीधा निशाने पर लगा है, तभी तो लिबरल्स के साथ-साथ भारत विरोधी तत्वों को इस ट्रेलर से अत्यंत जलन मच रही है। अगर ‘उरी – द सर्जिकल स्ट्राइक’ से इनकी रातों की नींद उड़ गई थी, तो ‘तानाजी’ से तो इन्हें दिन में भयावह सपने दिखाई दे रहे होंगे। जो भूत से डरे तो वो कहते हैं, ‘भागो भूत आया!’, पर ‘तानाजी’ का ट्रेलर देखकर तो लिबरल बिरादरी एक सुर में कह रही है, ‘भागो, तानाजी आया!’