राजनीतिक और रणनीतिक परिप्रेक्ष्य में दुश्मन के दुश्मन से दोस्त की तरह बर्ताव करने की कूटनीति का शुरू से ही अनुसरण किया जाता रहा है, लेकिन सऊदी अरब के साथ अपने रिश्तों को नया आयाम देकर अब भारत दुश्मन के दोस्त को अपने विश्वास में लेने की कूटनीति पर काम कर रहा है। मोदी सरकार के आने से पहले तक भारत के सऊदी अरब के साथ रिश्ते सिर्फ बायर-सेलर तक ही सीमित थे। हालांकि, जिस तरह पीएम मोदी ने सऊदी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के साथ अपने निजी संबंधों को मजबूत किया है, वह दर्शाता है कि भविष्य में दोनों देशों के संबंधों में और मधुरता देखने को मिल सकती है। रोचक बात तो यह है कि खुद सऊदी अरब भी भारत को अपना रणनीतिक साझेदार बनाना चाहता है। हालांकि, दोनों देशों के मजबूत होते रिश्तों से भारत के दुश्मन नंबर 1 और सऊदी अरब का साझेदार देश पाकिस्तान जरूर चिंता में है।
अभी अक्टूबर महीने के अंत में पीएम मोदी सऊदी अरब में थे जहां उन्होंने फ्युचर इन्वेस्टमेंट इनिशिएटिव में हिस्सा लिया। विज़न 2030 के तहत सऊदी अरब दुनिया की सभी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के साथ अपने अच्छे रिश्ते चाहता है। ऐसे में सऊदी अरब अब भारत के साथ अपनी साझेदारी को नया आयाम देने में लगा है। एक तरफ जहां वह भू-राजनीतिक मुद्दों पर भारत का साथ दे रहा है, तो वहीं वह भारत में 100 बिलियन डॉलर का निवेश भी कर रहा है। 29 अक्टूबर को भारत और सऊदी अरब के बीच कुल 12 समझौतों पर हस्ताक्षर हुए, जिसमें से दो रणनीतिक लिहाज से भारत के लिए बहुत अहम थे। इनमें से एक था सऊदी अरब और भारत के बीच Strategic Partnership Council Agreement की स्थापना होना और दूसरा समझौता था सुरक्षा सहयोग को लेकर।
The 2 MOUs with Saudi Arabia that can upset #KSA's ally and #India's biggest security threat #Pakistan. pic.twitter.com/AkmuJEMuqQ
— Vikrant Singh (@VikrantThardak) November 1, 2019
बता दें कि Strategic Partnership Council Agreement के तहत अब भारत और सऊदी अरब के बीच हर दो वर्षों में उच्च-स्तरीय बातचीत होगी जिसमें भारत के प्रधानमंत्री शामिल होंगे। अब जरा खुद सोचिए, जिस सऊदी अरब के सहारे हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान का हुक्का-पानी चलता हो, वह भारत का रणनीतिक और सुरक्षा साझेदार बनने जा रहा है। इसके अलावा भारत सऊदी अरब का बहुत बड़ा आर्थिक साझेदार तो है ही। यानि एक तरफ जहां भारत अपने दुश्मन के दोस्तों को अपने प्रभाव में लेने की रणनीति पर काम कर रहा है, तो वहीं पाकिस्तान अब भारत के दोस्तों पर मिसाइल से हमले करने की बात कर रहा है। यही फर्क है भारत और पाकिस्तान की कूटनीति में।
पिछले वर्ष पाकिस्तान को सऊदी अरब ने 3 बिलियन डॉलर का कर्ज़ दिया था और वो भी ऐसे वक्त पर जब पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था घुटनों पर आ गयी थी। पाकिस्तान के पास सिर्फ दो हफ्तों की आवश्यकता पूर्ति के लिए ही विदेशी मुद्रा भंडार बचा था। अब पाकिस्तान के इतने महत्वपूर्ण दोस्त पर भारत अपना प्रभाव बढ़ाता ही जा रहा है। इतना तो तय है कि भारत और सऊदी अरब के रिश्ते आने वाले समय में और मजबूत होंगे। हालांकि, भारत और सऊदी अरब के रिश्तों में पाकिस्तान की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता। पाकिस्तान वही देश है जो भारत में आतंकवाद फैलाने का हर वक्त भरसक प्रयास करने में लगा रहता है, और भारत के मोस्ट वांटेड आतंकियों को पनाह देता है। ऐसे में भारत के सुरक्षा साझेदार होने के नाते सऊदी अरब पर पाकिस्तान के साथ अपने रिश्तों को लेकर सावधान होने का दबाव तो बढ़ेगा ही। लेकिन कुल मिलाकर इतना तो तय है कि पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग करने की नीति पर भारत धीमे-धीमे कदमों से आगे बढ़ रहा है जो कि पाकिस्तान के लिए किसी भी सूरत अच्छा नहीं रहने वाला है।