मजेदार! अब पीएम मोदी और शिंजों आबे मिलकर शी जिनपिंग का सरदर्द बढ़ाने वाले हैं

बता दें कि 25 नवंबर को भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जापान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिंगेरू कितामूरा से मुलाक़ात की थी, और दोनों देशों की विदेश नीति को लेकर दोनों नेताओं ने चर्चा की थी।

जापान के प्रधानमंत्री अगले महीने भारत आने वाले हैं, जहां वे पीएम मोदी के साथ मुलाक़ात कर दोनों देशों के आर्थिक और रणनीतिक रिश्तों को नया आयाम देने की दिशा में काम करेंगे। हालांकि, पीएम मोदी और शिंजों आबे की मुलाक़ात की सबसे खास बात यह है कि यह मुलाक़ात असम की राजधानी गुवाहाटी में होगी। असम राज्य भारत के नॉर्थ-ईस्ट में पड़ता है, जहां अक्सर किसी भी विदेशी मेहमान के दौरे से चीन को पीड़ा होना शुरू हो जाती है। विदेशी मेहमान तो छोड़िए, अरुणाचल प्रदेश जैसे राज्य में तो अगर कोई भारतीय नेता भी दौरा करता है, तो चीन की ओर से तुरंत प्रतिक्रिया देखने को मिलती है। अब उसी चीन की नाक के नीचे पीएम मोदी जापान के पीएम आबे के साथ चाय पर चर्चा करने वाले हैं। जिस तरह भारत और चीन के रिश्तों में तनाव देखने को मिलता रहता है, उसी तरह जापान और चीन के रिश्ते भी तनावपूर्ण रहते हैं और जापान के लोगों में चीन के प्रति नकारात्मकता देखने को मिलती है। ऐसे में जापान के पीएम का असम का यह दौरा भारत और जापान द्वारा चीन को एक कडा संदेश है और यह दोनों देशों के मजबूत होते रणनीतिक सम्बन्धों को भी दर्शाता है।

बता दें कि जापान के पीएम शिंजों आबे एक्ट ईस्ट फोरम के तहत दोनों देशों के रिश्तों में और मजबूती लाने के मकसद से भारत दौरे पर आने वाले हैं। भारत “एक्ट ईस्ट पॉलिसी” के तहत और जापान “फ्री एंड ओपन इंडो-पैसिफिक” नीति के तहत एक दूसरे का सहयोग करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। दोनों देशों का मकसद एक ही है, कि दक्षिण-पूर्व एशिया में वे चीन के बढ़ते प्रभाव को रोक सकें। एक्ट ईस्ट फोरम के अलावा भारत और जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के साथ मिलकर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के बढ़ते दख्ल को चुनौती देने की रणनीति अपना रहे हैं। इस साल सितंबर में भारत, जापान और अमेरिका की नेवी ने मालाबार युद्धाभ्यास में भी हिस्सा लिया था। ज़ाहिर है कि इंडो-पैसिफिक रणनीति के तहत ही अब जापान और भारत साथ आकर चीन को आंख दिखा रहे हैं।

हालांकि, भारत और जापान के प्रधानमंत्रियों की असम में होने वाली यह मुलाक़ात सिर्फ सुरक्षा और रणनीतिक दृष्टि से ही महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि आर्थिक दृष्टि से यह मुलाक़ात बेहद महत्वपूर्ण होने वाली है। जापान भारत के नॉर्थ ईस्ट में बड़े पैमाने पर निवेश कर रहा है। जापान नॉर्थ ईस्ट इंडिया में 13 हज़ार करोड़ रुपयों का निवेश करने जा रहा है। इसके साथ ही जापान त्रिपुरा, मेघालय, नागालैंड, सिक्किम जैसे राज्यों में सिंचाई और सड़क निर्माण जैसे प्रोजेक्ट्स पर भारत सरकार के साथ मिलकर काम कर रहा है।

बता दें कि 25 नवंबर को भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जापान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिंगेरू कितामूरा से मुलाक़ात की थी, और दोनों देशों की विदेश नीति को लेकर दोनों नेताओं ने चर्चा की थी। इसके अलावा इस महीने के अंत में दोनों देशों के विदेश और रक्षा मंत्री के बीच 2+2 वार्ता भी होने वाली है, जो यह दर्शाता है कि भारत और जापान बड़ी मजबूती के साथ वैश्विक मुद्दों पर एक दूसरे के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खडे हैं, जो भारत और जापान के पड़ोसी चीन के लिए बिलकुल भी अच्छी खबर नहीं है।

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