लक्ष्य की ओर केन्द्रित रहें, न कि कार्यशैली पर- PM मोदी की नौकरशाहों को सलाह असल में चेतावनी है

मोदी

PC: kalingatv.com

”आपने मेरे कार्यकाल के शुरूआती पांच सालों को बर्बाद कर दिया है लेकिन याद रखना अब मैं आगे से ऐसा नहीं होने दूंगा” ये कथन है पीएम मोदी की, ये बात उन्होंने एक भारत श्रेष्ठ भारत कार्यक्रम की समीक्षा के दौरान नौकरशाहों से कही थी। पीएम मोदी के मुताबिक नौकरशाहों ने उनके कार्यकाल के पांच साल खराब कर दिए हैं लेकिन अब वे उन्हें दूसरी बार ऐसा नहीं करने देंगे।

इस  विशेष कार्यक्रम में उपस्थित लोगों के मुताबिक, कार्यक्रम के क्रियान्वयन में देरी के लिए नौकरशाहों को जिम्मेदार ठहराते हुए पीएम मोदी ने ये बात कही। बैठक के समापन पर पीएम मोदी ने प्रशिक्षु सिविल सेवा के अधिकारियों से बातचीत के दौरान कहा कि अब समय आ गया है कि नौकरशाही को मजबूत और प्रभावी बनाई जाए।

देश के पहले गृहमंत्री सरदार पटेल द्वारा इसकी अवधारणा के बाद से, भारतीय नौकरशाही एक राष्ट्रीय से सेल्फ सर्विंग एजेंडे में बदल गई है, जिसका ज्यादा ध्यान प्रक्रियाओं पर रहता है, परिणामों पर नहीं।

नौकरशाही में किसी भूल या गलती के लिए कोई दंड नहीं होता है, जबकि आयोग के कामों पर अक्सर भ्रष्टाचार और दुर्भावना के लिए संदेह के तहत पूछताछ की जाती है। एक समय पर भारतीय शासन व्यवस्था का स्टील फ्रेम माने जाने वाली नौकरशाही अब अपने स्वयं के प्रभावित क्षेत्रों की रक्षा करने की कोशिश में जुटी है।

2020-2021 तक भारतीय प्रशासनिक सेवा IAS सहित सभी ग्रुप ए सेवाओं के लिए एक समान फाउंडेशन कोर्स आयोजित करने का मोदी सरकार का निर्णय भारतीय नौकरशाही के भीतर काम करने वाले इन फर्जी यूनियनों को खत्म करने का पहला कदम है।

बता दें कि 26 अगस्त से 6 दिसंबर 2019 तक आईएएस और अन्य ग्रुप ए सेवाओं में नियुक्त होने वाले 744 उम्मीदवारों के लिए 94वें फाउंडेशन कोर्स की गुजरात के केवड़िया में शुरुआत कर सरकार ने एक सही पहल शुरू की है। यह कोर्स जिस मॉड्यूल पर आधारित था उसमें पीएम मोदी ने प्रशिक्षु नौकरशाहों को अपने परिणामों को दोगुना करने के लिए प्रेरित किया, ताकि भारत 2022 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन सके।

इससे पहले मोदी सरकार ने विभिन्न मंत्रालयों में 9 विशेषज्ञों को संयुक्त सचिव के पद पर लैटरल एंट्री के तहत नियुक्त किया। देश में ऐसा पहली बार हुआ कि किसी निजी क्षेत्र से नौ विशेषज्ञों को केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों में संयुक्त सचिव के पदों पर तैनाती के लिए चुना गया है। आमतौर पर संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा आयोजित की जाने वाली सिविल सेवा परीक्षा, वन सेवा परीक्षा या अन्य केंद्रीय सेवाओं की परीक्षा में चयनित अधिकारियों को अनुभव होने बाद ऐसे नौकरशाही पद के लिए रखे जाते हैं। इस नियुक्ति को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने मंजूरी दी थी। नौकरशाही के ढांचे में बदलाव और नई प्रतिभाओं को सामने लाने के लिए इस नियुक्ति को मोदी सरकार का मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है।

इससे पहले मोदी सरकार ने फंडामेंटल रूल 56 के जरिए सरकार काम में लापरवाही बरतने और गलत कार्यों में लिप्त अफसरों को जबरन सेवानिवृत्ति दिया था। मोदी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल के पहले तीन माह में ही 49 बड़े अधिकारियों को जबरन रिटायरमेंट दे चुकी है। सभी अधिकारी राजस्व सेवा से जुड़े थे।

ऐसे में पीएम मोदी की भारतीय नौकरशाही को पुनर्जीवित करने और फिर से एक नया रूप देने की योजना निश्चित रूप से पुरानी व्यवस्था में सुधार लाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। नौकरशाही प्रक्रिया में इसी तरह सुधार होता रहा तो एक दिन हमारे देश की नौकरशाही व्यवस्था बिल्कुल पारदर्शी हो जाएगी। पीएम मोदी ने शुरू में ही कहा था कि न हम खाएंगे न खाने देंगे, आज वही उनके कामों में दिख रहा है, जो बेहद सराहनीय है।

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