प्रियंका गांधी ने अनुसूचित जाति पर अत्याचार को लेकर फैलाई फेक न्यूज़, यूपी पुलिस ने किया खुलासा

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा भले ही कभी कभी भारतीय राजनीति में एक्टिव नजर आती हों परन्तु अब वो फेक न्यूज़ भी फैलाने लगी हैं। कांग्रेस पार्टी ने अपने अधिकारिक ट्विटर हैंडल से एक समाचार चैनल की 2 मिनट 4 सेकंड की वीडियो क्लिप को शेयर किया। इस वीडियो में कुछ लोग एक शख्स को बुरी तरह से पिट रहे हैं। इस वीडियो के बैकग्राउंड में आप एंकर की आवाज सुन सकते हैं जो यह बता रहा है कि मैनपुरी में दबंगों ने कोर्ट में अपने खिलाफ गवाही देने वाले को बुरी तरह पीटा। पीटने वालों में महिलाएं भी शामिल थीं। इस वीडियो के जरिये कांग्रेस ने योगी सरकार को घेरने का प्रयास किया और ये आरोप लगाया कि यूपी में हर तरफ सिर चढ़कर बोल रहा है जंगलराज। जहाँ कानून का मखौल उड़ाया जा रहा है।

बस फिर क्या था नेहरु गाँधी परिवार की लाडली प्रियंका गांधी वाड्रा ने बिना इस मामले की जांच पड़ताल के वीडियो को कोट करके लिखा, “उत्तर प्रदेश में दबंगों ने गवाही देने के लिए भयावह तरीके से दलित भाइयों की पिटाई कर दी। भाजपा सरकार मूकदर्शक बनी देख रही है। हर रोज दलित-आदिवासियों पर दबंग-अपराधी खुलेआम हमले कर रहे हैं। कानून-व्यवस्था का ये हाल और दलित आदिवासियों पर हमला बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।“

हालांकि, प्रियंका गांधी वाड्रा और उनकी पार्टी द्वारा फैलाए जा रहे झूठ का जल्द ही पर्दाफाश हो गया। इसका खुलासा खुद मैनपुरी पुलिस ने अपने आधिकारिक हैंडल से प्रियंका को रिप्लाई कर दिया और इस वीडियो के सच को उजागर किया। मैनपुरी पुलिस ने अपने रिप्लाई में लिखा, “उपर दी गयी जानकारी को हम खारिज करते हैं। चैनलों द्वारा यह भ्रामक खबर चलाई जा रही है कि दलितों की बेरहमी से पिटाई की गई। इसमें स्पष्ट किया जाता है कि दोनों पक्ष राजपूत (ठाकुर) समुदाय से हैं। इनमें से कोई भी पक्ष दलित समुदाय से नहीं है। दोनों पक्षों में धान की फसल को काटने को लेकर विवाद हुआ था। दोनों पक्षों का डॉक्टरी मुआयना कराने के बाद, दोनों पक्षों की लिखित तहरीर के आधार पर केस दर्ज कर एक पक्ष के 5 और दूसरे पक्ष के 2 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है।’

मैनपुरी पुलिस ने अपने ट्वीट से स्पष्ट कर दिया कि इस मामले में कोई जातिवाद का एंगल नहीं है और इस झड़प को लेकर पहले ही पुलिस एक्शन ले चुकी है। जिस तरह से कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने इस पूरे ममाले को जातिवाद से जोड़कर पेश किया वो न केवल भ्रामक था बल्कि निंदनीय भी था। हद तो तब हो गयी जब न ही कांग्रेस पार्टी और न ही प्रियंका गांधी वाड्रा ने इस वीडियो के सच के सामने आने के बाद कोई सफाई देना उचित नहीं समझा।

बता दें कि प्रियंका गांधी वाड्रा को इस के साल के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी नियुक्त किया गया था। हालांकि, लोकसभा चुनाव के नतीजों ने स्पष्ट कर दिया था कि उनकी उपस्थिति पार्टी के लिए कोई बड़ा बदलाव करने में असफल रही थी। अब इस तरह की फेक न्यूज़ फैलाना प्रियंका गाँधी वाड्रा की लोकप्रियता और विश्वसनीयता पर जरुर ही नकारात्मक प्रभाव डालेगा।

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