यूपी कांग्रेस को जिंदा करने का प्रोजेक्ट मिला था, लेकिन इंदिरा की कॉपी प्रियंका ने तो पूरी लुटिया ही डुबो दी

सोनिया फेल, राहुल फेल, प्रियंका फेल क्योंकि ये लोग स्थानीय नेताओं की आवाज दबाते हैं

देश को आजाद हुए करीब 7 दशक बीत चुके हैं, इन 7 दशकों में हमनें कई सरकारें देखीं लेकिन सबसे ज्यादा समय जिस कांग्रेस पार्टी ने यहां की सत्ता पर राज किया वो आज अपने अस्तित्व को बचाने के लिए खुद से ही लड़ रही है। आलम ये है कि कांग्रेस पार्टी ने इंदिरा की परछाई कही जाने वाली प्रियंका वाड्रा को भी आजमाकर देखा लेकिन वह भी फेल रहीं। यूपी में कांग्रेस को जिंदा करने के लिए प्रियंका को कमान सौंपा गया लेकिन आज उन्हीं की वजह से पार्टी में घमासान मचा हुआ है, हालत ये है कि यहां कांग्रेस पूरी तरह बिखर चुकी है।

दरअसल, यूपी कांग्रेस के मुख्यालय में पूर्व सांसद, विधायक, एमएलसी और विधानसभा चुनावों और लोकसभा चुनावों के उम्मीदवारों को बुधवार को बैठक के लिए बुलाया गया। चौंकाने वाली बात यह रही कि बुलाए गए 350 नेताओं में से सिर्फ 40 नेता ही इस बैठक में पहुंचे। ये स्थानीय और दिग्गज नेता इसलिए नहीं पहुंचे क्योंकि उन्हें उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी से निकालने के लिए बुलाया गया था। इसके बाद उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने गुरुवार को पार्टी के 11 वरिष्ठ नेताओं को अनुशासनहीनता के चलते नोटिस जारी कर 24 घंटे में स्पष्टीकरण मांगा। नेताओं को भेजे नोटिस में कहा गया कि अनुशासन समिति के संज्ञान में अखबारों के जरिए आया है कि आप अनावश्यक रूप से लगातार यूपीसीसी से जुड़े अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के फैसलों का सार्वजनिक बैठकें कर विरोध करते आए हैं। इसमें कहा गया कि इन बैठकों और मीडिया बयानों से कांग्रेस की छवि धूमिल हुई है। आप जैसे वरिष्ठ नेताओं से यह उम्मीद नहीं थी। आपका बर्ताव पार्टी की नीतियों और विचारों के खिलाफ है।

बता दें कि कांग्रेस के जीतने भी पुराने कद्दावर नेता थे सभी UPCC से निकाले जाने के कारण गुस्से में हैं। पिछले 15 ‌दिनों में दो बार इस संबंध में बैठक भी हो चुकी है। दबी आवाज में स्थानीय नेताओं का कहना है कि पार्टी का नया नेतृत्व मनमाने तरीके से काम कर रहा है और कांग्रेस के वफादार लोगों को इसका शिकार बनाया जा रहा है। इस संबंध में पहली बैठक नवंबर के पहले सप्ताह में शिराज मेंहदी के घर पर आयोजित की गई थी। गौरतलब है कि इससे पहले मेंहदी ने अपना इस्तीफा अक्टूबर में सोनिया गांधी को सौंप दिया था। दूसरी बैठक 14 नवंबर को आयोजित की गई।

कहने को तो नेताओं का यह जमावड़ा पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को श्रद्धांजलि देने के लिए था, लेकिन इस दौरान कई बातों पर चर्चा भी की गई, एक नेता ने तो प्रियंका गांधी पर सीधा तंज कसते हुए कहा कि कांग्रेस कोई प्राइवेट लिमिटेड कंपनी नहीं है। अब बताया जा रहा है कि तीसरी बैठक पूर्व विधायक रंजन सिंह सोलंकी के घर पर होने जा रही है। इस बैठक में सोनिया गांधी ने अपने चुने हुए कुछ खास नेताओं का डेलिगेशन भेजने का निर्णय लिया है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार प्रियंका गांधी का युवाओं को कमान संभलवाने का प्लान फेल होता दिख रहा है।

बता दें कि लोकसभा में करारी हार के बाद प्रियंका गांधी ने कांग्रेस पार्टी को पुनर्जीवित करने का प्रण लिया था। लेकिन इसी तरह से ओल्ड गार्ड्स को बाहर करना उन्हीं को महंगा पड़ रहा है। पार्टी के अंदर ही गृहयुद्ध की स्थिति बन गयी है और पार्टी के कार्यकर्ता खुल कर विद्रोह करने के मूड में है। हालांकि एक बात गौर करने वाली है कि लोकसभा के दौरान प्रियंका गांधी ने अकेले यूपी में 26 रैलियों को संबोधित किया था और पूरे भारत में कुल 38 रैलियों को संबोधित किया था जिनमें से 97 प्रतिशत सीट पर कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था।

उसके बाद 21 अक्टूबर को 11 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए थे जिसमें कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पायी थी। जब प्रियंका गांधी ने भारतीय राजनीति में प्रत्यक्ष रूप से कदम रखा था तो सभी को यह लगा था कि वह कांग्रेस कि काया पलट करेंगी लेकिन उन्होंने तो मटियामेट कर दिया। इन्होंने न सिर्फ कांग्रेस को चुनावी आधार पर कमजोर किया बल्कि पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं को भी असंतुष्ट कर दिया जो अभी तक कांग्रेस पार्टी के जनाधार के आधार थे। पार्टी कार्यकर्ताओं का इस तरह से मीटिंग्स बहिष्कार करना यही दिखाता है कि प्रियंका गांधी वाड्रा के वजह से बची-खुची कांग्रेस का भी अस्तित्व अंधेरे में दिखाई दे रहा है।

Exit mobile version