‘भोजन का कोई धर्म नहीं होता’ कहने वाले जोमैटो को फिर से तमाचा, 8000 होटलों के समूह ने खींचा हाथ

ज़ोमैटो

ज़ोमैटो एक बार फिर सुर्खियों में है, और इस बार भी गलत कारणों से। हाल ही में ज़ोमैटो के प्रीमियम एप्प माने जाने वाले ज़ोमैटो गोल्ड का होटलों के एक चर्चित समूह ने बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। 8000 से ज़्यादा होटलों और रिसॉर्टों के समूह के तौर पर चर्चित इंडियन होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन ने आरोप लगाया है कि जोमैटो की स्कीम उनके लाभ अर्जित करने की क्षमता को नुकसान पहुंचाती हैं, और इसीलिए इनका अविलंब बहिष्कार किया जाना चाहिए। एसोसिएशन का यह भी कहना है कि होटल मालिकों को इससे कोई फायदा नहीं हो रहा है इससे केवल जोमैटो को ही प्रॉफिट मिल रहा है।

इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, AHAR ने ज़ोमैटो गोल्ड पर आरोप लगाया है कि वे अवैध किचन से डिलिवरी करते हैं, डिलीवेरी एक्ज़ेक्यूटिव तुरंत सेवा के लिए उपलब्ध नहीं होता, और ज़ोमैटो गोल्ड के सदस्यों को अत्यधिक डिस्काउंट दिये जाते हैं। एसोसिएशन के अध्यक्ष संतोष शेट्टी ने बताया, ‘हमने पहले ही आगाह किया था कि ज़ोमैटो अपनी गोल्ड डिलीवरी स्कीम को स्क्रैप करें। परंतु उन्होंने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की।

बता दें कि ज़ोमैटो गोल्ड प्रोग्राम की शुरुआत 2017 में हुई थी, जिसके अंतर्गत हर सदस्य को एक ऑर्डर देने पर एक ऑर्डर फ्री मिलता है। एसोसिएशन को इस बात से आपत्ति है कि ज़ोमैटो ने न तो अपनी गोल्ड स्कीम हटाई है, न ही अनावश्यक कमीशन लेना बंद किया है और न ही गैर लाइसेन्सी रेस्टोरेंट से सेवाएं लेना बंद किया है।

हालांकि यह पहली बार नहीं है जब ज़ोमैटो को सार्वजनिक अपमान का सामना करना पड़ा हो। इस पूरे प्रकरण का प्रारम्भ हुआ जुलाई के अंत में एक मामले के साथ, जब एक व्यक्ति ने ज़ोमैटो से डिलिवरी लेने से इसलिए मना कर दिया था, क्योंकि डिलीवरी बॉय दूसरे धर्म से था। इस पर ज़ोमैटो और उनके सीईओ दीपिंदर गोयल तुरंत ज्ञान बांचने लगे और बताने लगे कि कैसे भोजन का कोई धर्म नहीं होता, और भोजन अपने आप में एक धर्म है।

हालांकि सोशल मीडिया पर इनकी अकड़ ज़्यादा देर तक नहीं टिक पाई। ज़ोमैटो का एक स्क्रीनशॉट सामने आया जिसने उनके दोहरे मापदंड की धज्जियां उड़ा दी। इस स्क्रीनशॉट के अनुसार एक यूज़र ने गैर-हलाल भोजन को लेकर अपनी आपत्ति जताई, तो ज़ोमैटो ने इस मामले से बिलकुल अलग ही जवाब दिया था। दरअसल, जब यूज़र ने अपनी आपत्ति जताई, कि ‘ज़ोमैटो कभी यह नहीं बताता कि भोजन गैर-हलाल है या नहीं, और रेस्टोरेन्ट से ऑर्डर करने के बाद ही उन्हें ये बात पता चलती है। ‘इस पर ज़ोमैटो ने न केवल माफी मांगी, बल्कि पूरे मामले की जांच पड़ताल करने को भी कहा। उस समय ज़ोमैटो ने उस यूज़र को भोजन की धर्मनिरपेक्षता का लेक्चर भी नहीं दिया।

इसके अलावा कोलकाता में ज़ोमैटो के डिलीवेरी बॉय के समूह ने हड़ताल की घोषणा कर दी, क्योंकि विभिन्न समुदायों के लोगों को उनकी आस्था और उनकी इच्छा के विरुद्ध भोजन डिलीवर कराने के लिए बाध्य किया जा रहा था। ज़ोमैटो के एक फूड डिलीवरी कर्मचारी ने बताया था, “कंपनी के एप्प से कुछ मुस्लिम रेस्टोरेंट भी जोड़े गए हैं, लेकिन हमारे यहां ऑर्डर डिलीवरी करने वाले कुछ लड़के हिन्दू समुदाय से भी आते हैं, इन सभी ने बीफ फूड की डिलीवरी करने से मना कर दिया है, सुनने में आया है कि कुछ दिनों में हमें पोर्क की भी डिलीवरी देनी पड़ेगी, लेकिन हम इसकी डिलीवरी नहीं करेंगे। हमें वेतन संबंधी समस्याओं से भी जूझना होता है और हमें उचित स्वास्थ्य सुविधाएं भी नहीं दी जाती।”

यही नहीं, ज़ोमैटो गोल्ड से कई रेस्टोरेंट पहले भी नाता तोड़ चुके हैं। #LogOut कैम्पेन के नाम से चर्चित इस अभियान के तहत कई भारतीय शहरों में 1200 से ज़्यादा रेस्टोरेंट्स जोमैटो गोल्ड, ईज़ी डाइनर, डाइनआउट जैसी सेवाओं से अपना हाथ पीछे खींच चुके हैं।
ये रेस्टोरेंट मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु, कोलकाता, गोवा एवं बड़ौदा जैसे नामचीन क्षेत्रों में स्थित हैं, और इसके साथ ही इन रेस्टोरेंट्स के ज़ोमैटो से हटने के पीछे इन्होंने ‘unsustainable’ डीप डिस्काउंटिंग प्रमुख कारण बताया है। इसके अलावा इन रेस्टोरेंट्स ने आरोप लगाए हैं कि ज़ोमैटो जैसे ऐप्प के टेबल रिज़र्वेशन की सेवाएं उनके बिज़नेस मॉडल को नुकसान पहुंचा रही हैं।

सच कहें तो जोमैटो अपने लाभ के लिए किसी भी स्तर तक गिर सकता है। वह कभी किसी के धर्म को आहत करता है तो कभी अपने फायदे के लिए होटलों का नुकसान करता है, ऐसे में इंडियन होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन का जोमैटो गोल्ड से हाथ खींच लेना सराहनीय कदम है। जोमैटो अपने पतन की ओर एक और कदम आगे बढ़ चुका है।

Exit mobile version