तमिलनाडु में आध्यात्मिक पर्यटन में हुई वृद्धि, पर्यटक दे रहे हैं मंदिरों को प्राथमिकता

पर्यटन

(PC: Cleartrip)

तमिलनाडु में पर्यटन के क्षेत्र में आध्यात्मिक पर्यटन का काफी अधिक महत्व रहा है। अगर आप आंकड़ों को देखें तो खुद यहाँ के लोकप्रिय एवं प्राचीन मंदिरों की लोकप्रियता कितनी है उसे समझ जायेंगे। 2018 में पर्यटन निदेशालय द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, काँचीपुरम पर्यटन के मामले में प्रथम स्थान पर रहा, जबकि चेन्नई द्वितीय स्थान पर रहा। इतना ही नहीं, दोनों जिलों ने तमिल नाडु आने वाले लगभग 38.59 करोड़ पर्यटकों में से 20 प्रतिशत पर्यटकों का स्वागत किया।

यहाँ पर ये ध्यान देना भी आवश्यक है कि रामनाथपुरम, डिंडीगुल और तंजावुर में प्राचीन मंदिर हैं, जैसे रामेश्वरम में रामनाथस्वामी मंदिर, पलानी में धन्दयुथापनी स्वामी मंदिर और यूनेस्को द्वारा अधिसूचित बृहदेश्वर मंदिर इत्यादि, जिन्हें घरेलू पर्यटकों की संख्या के आधार पर तीसरे, चौथे और पांचवें स्थान पर रखा गया है। इस सूची को पर्यटन निदेशालय द्वारा जारी किया गया।

इंडियन एसोसिएशन ऑफ टूर ऑपरेटर्स (तमिलनाडु चैप्टर) के अध्यक्ष पांडियन के ने बताया कि कैसे आध्यात्मिक पर्यटन या सांस्कृतिक पर्यटन वास्तव में पर्यटन में वृद्धि के पीछे एक प्रमुख कारण है। “आने वाले यात्रियों के बीच आध्यात्मिक पर्यटकों की संख्या प्रति वर्ष 20% की दर से बढ़ रही है।उन्होंने कहा कि तंजावुर क्षेत्र में नाड़ीजोथिदम (Naadi jothidam) और नवग्रह की तीर्थयात्रा न केवल भारतीय प्रवासियों के बीच, बल्कि विदेशी नागरिकों के लिए भी काफी लोकप्रिय है। पांडियन के॰ ने सुझाया कि “… अंतरराष्ट्रीय मानकों के साथ शौचालय मंदिरों के पास बनाए जाने चाहिए। मंदिरों को जाने वाली सड़कों को साफ रखा जाना चाहिए”।

धार्मिक पर्यटन भारत में काफी लोकप्रिय है। इसमें पर्यटन को बढ़ावा देने हेतु काफी क्षमता है, परंतु पूर्ववर्ती सरकारों ने इस क्षेत्र पर कभी ध्यान ही नहीं दिया, इसके लिए आवश्यक इनफ्रास्ट्रक्चर की रचना करना तो बहुत दूर की बात। इसके अलावा काँग्रेस द्वारा थोपी गयी धर्मनिरपेक्षता भी प्रशासन को सनातनी पर्यटन को बढ़ावा देने से रोकती थी। हालांकि, वर्तमान भाजपा सरकार ने इस दिशा में सुधार हेतु कुछ सार्थक कदम उठाए हैं।

उदाहरण के लिए रामायण एक्सप्रेस को ही देख लीजिये। इस ट्रेन की पहली कड़ी की सफलता ने रेलवे को इसी परिप्रेक्ष्य में जयपुर, मदुरै और राजकोट से रामायण टूरिस्ट सर्किट पर ट्रेनें चलाने की प्रेरणा दी है। एक आईआरसीटीसी अफसर ने बताया,“रामायण सर्किट की मांग ने हमें मार्ग को कवर करने वाली अधिक ट्रेनों को लॉन्च करने के लिए प्रेरित किया है। मदुरई से ट्रेन नासिक, दरभंगा, देवीपतिनाथम और थिरुपुलानी को भी कवर करेगी।

22 नवंबर को जयपुर से शुरू होने वाली एक और ट्रेन है जो अलवर और रेवाड़ी से यात्रियों को लेकर दिल्ली आएगी और फिर रामायण यात्रा प्रारम्भ होगी। हम इसे या तो रामायण यात्रा कहेंगे या श्री रामायण एक्सप्रेस। आईआरसीटीसी के एक अधिकारी ने कहा, राजकोट से ट्रेन 7 दिसंबर को शुरू होगी और हम और अधिक ट्रेनों को शुरू करने की संभावना भी तलाश रहे है। राजकोट से ट्रेन के सुरेंद्रनगर, विरमगाम, साबरमती, आनंद, वडोदरा, गोधरा, दाहोद और मेघनगर स्टेशन पर रुकने की उम्मीद है”।

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने भी राज्य को धार्मिक हब बनाने की कोशिश कर रही है। राज्य में भगवान राम की जन्मभूमि और कई अन्य स्थलों उपस्थित हैं जो रामायण और महाभारत में प्रमुख महत्व के हैं। कुंभमेला 2019 इतिहास में सबसे भव्य आयोजनों में से एक माना गया। योगी सरकार ने इस ऐतिहासिक कार्यक्रम के आयोजन में कोई कसर नहीं छोड़ी और 4,200 करोड़ रुपये का निवेश किया।

योगी सरकार द्वारा निवेश एवं त्रुटिहीन तैयारी से राजस्व में 1.2 लाख करोड़ रुपये का लाभ हुआ। केवल कुछ जगहों जैसे ताजमहल या गेटवे ऑफ़ इंडिया को पर्यटन उद्योग को ही ज्यादा महत्व मिलता था,  जबकि बड़ी संख्या में  ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के स्थलों को अनदेखा कर दिया जाता है। परन्तु अब इस स्थिति में बदलाव आया है।

यूनेस्को द्वारा अगस्त 2017 तक मान्यता प्राप्त स्थलों में भारत के 36 विश्व धरोहर स्थल हैं, जो 1972 में स्थापित यूनेस्को विश्व धरोहर सम्मेलन के अनुसार वर्णित सांस्कृतिक या प्राकृतिक विरासत के स्थान हैं। पर्यटन क्षेत्र ने 230 बिलियन अमेरिकी डॉलर या देश के सकल घरेलू उत्पाद का 9.4% का उत्पादन किया। 2017 और 41.622 मिलियन नौकरियों का समर्थन किया, जो कि इसके कुल रोजगार का लगभग 8% है। मोदी सरकार निश्चित रूप से धार्मिक पर्यटन की विशाल क्षमता को पहचान रही है और विश्व में एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में भारत के विकास पर अपना ध्यान केंद्रित कर रही है।

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