‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ ने पिछले 12 महीनों में ताजमहल से 3 गुना ज्यादा कमाई की

और सोशल मीडिया का अर्थशास्त्री कहता था कि 2.5 करोड़ रूपए भी नहीं कमा पाएगी!

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी

एक साल पहले मोदी सरकार ने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का निर्माण कराया था। कल यानि 31 अक्टूबर को इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट का एक साल पूरा हो गया। जब मोदी सरकार इस प्रोजेक्ट पर काम कर रही थी तो देश के लिबरल बुद्धिजीवियों ने खूब विरोध किया था। वे यह तर्क दे रहे थे कि इन पैसों से देश में कई अस्पताल खुलवाए जा सकते हैं इसके साथ ही स्कूलों का भी निर्माण हो सकता है। सोशल मीडिया के अर्थशास्त्री ध्रुव राठी ने एक लेख लिखा था जिसका शीर्षक था, – ‘भले ही स्टैच्यू ऑफ यूनिटी ताजमहल जितना विख्यात क्यों न हो जाए, लेकिन उसे पीछे छोड़ने के लिए हमें 120 सालों का इंतजार करना होगा।’ लेख में राठी ने तर्क दिया था कि ताजमहल की सालाना कमाई 25 करोड़ रूपए है। यह सोचने वाली ही बात होगी कि स्टैच्यू ऑफ यूनिटी कभी उसका 10वां हिस्सा भी कमा सकेगा। यदि हम मान लें कि स्टैच्यू ऑफ यूनिटी ताजमहल जितना प्रसिद्ध हो जाती है तो भी उसे यहां तक पहुंचने में 120 साल लगेंगे।

लेकिन आंकड़े तो कुछ और ही कहानी बयां करते हैं। दरअसल, गुजरात के पर्यटन विभाग ने जानकारी देते हुए बताया कि सिर्फ एक साल में सरकार को इस जगह से करोड़ों रुपए का फायदा हुआ है। विभाग ने बताया कि अब तक इस स्टैच्यू को देखने के लिए लगभग 26 लाख लोग आ चुके हैं। पहले ग्यारह महीनों में 71.66 करोड़ रुपये की कमाई हुई है। इस प्रतिमा की लागत 3,000 करोड़ रुपये है, और राजस्व की इस दर पर, इस परियोजना में 50 वर्ष से कम समय लगेगा।

द स्टैचू ऑफ यूनिटी पहले से ही दुनिया के शीर्ष 25 सबसे अधिक देखी जाने वाली जगहों में शुमार है। दुनिया में 25वीं सबसे अधिक देखी जाने वाली जगह मॉस्को क्रेमलिन है। साल 2018 में यहां 2.47 मिलियन से अधिक पर्यटक आए थे। जबकि स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की बात करें तो यहां 2.6 मिलियन लोगों ने एक साल के अंदर दौरा किया। उम्मीद है कि लंदन टॉवर की भी रिकॉर्ड आने वाले दिनों में टूट जाएगा। वहां पर साल 2018 में 2.85 मिलियन पर्यटकों ने दौरा किया था।

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वर्तमान समय की बात करें तो टावर ऑफ लंदन, लंदन शहर की शान के रूप में देखा जाता है। इसी वजह से लंदन दुनिया की सबसे पसंदिदा शहरों में से एक है। इसी तरह दुनिया का 20वां सबसे अधिक देखा जाने वाला स्मारक स्टैच्यू ऑफ यूनिटी है। जब इस साल के पूरे आंकड़े सामने आएंगे तो परिणाम और भी शानदार होगा। एक साल के आंकड़ों को बहुत जल्द जारी किया जाएगा, क्योंकि अक्टूबर अंत में इस स्मारक का एक साल पूरा हो गया है। यह पिछले साल सरदार पटेल के जन्मदिन (31 अक्टूबर) को खोला गया था।

अगर किसी मनुष्य की हाईट 6 फीट है तो ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ उससे 100 गुना ज्यादा ऊंची होगी। यह संयुक्त राज्य अमेरिका की प्रसिद्ध ‘स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी’ से लगभग दोगुना है और चीन स्थित स्प्रिंग टेम्पल बुद्धा से 54 मीटर ऊंचा है। ’स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ सरदार पटेल को समर्पित है, जिन्हें ‘भारत के लौह पुरुष’ के रूप में जाना जाता है। उन्होंने आजादी के बाद बिखरे भारत को जोड़-जोड़कर एक किया था। यह स्मारक उन्हीं की याद में पीएम मोदी ने पीछले साल बनवाया।

गुजरात में पहले से ही दो प्रमुख पर्यटक स्थल हैं, गांधी सर्किट और कच्छ का महान रण। राज्य की अर्थव्यवस्था और पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को भी शामिल किया गया था, जिसका परिणाम आज सामने है। यह प्रतिमा अहमदाबाद से 200 किलोमीटर दूर पश्चिमी गुजरात में नर्मदा जिले में स्थित है। पश्चिमी गुजरात का क्षेत्र भी ग्रेटर मुंबई और नासिक क्षेत्र के पास है जो देश के सबसे अमीर क्षेत्रों में से है। इसलिए, यह स्मारक अहमदाबाद, सूरत, मुंबई और नासिक जैसे शहरों से आने वाले पर्यटकों को आकर्षित करता है।

प्रतिमा का के आस-पास की जगह बेहद खूबसूरत है। जैसे नर्मदा नदी के तट पर फूलों की घाटी, विंध्याचल और सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला, और शक्तिशाली सरदार सरोवर बांध, जो दुनिया के सबसे बड़े बांधों में से है। टिकट की कीमत वयस्कों के लिए 120 रुपये और बच्चों के लिए 60 रूपए है। यदि कोई सरदार पटेल की छाती से 400 फीट की ऊंचाई से एक दृश्य का आनंद लेना चाहता है, तो उसे 350 रुपये का भुगतान करना होगा। आधुनिक भारत के संस्थापक में से एक, सरदार पटेल की प्रतिमा, सरदार पटेल की विरासत को स्थायी स्थापना के साथ-साथ गुजरात राज्य की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दे रही है।

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