द ग्रेट वॉल ऑफ चाइना धसक रही है: यह हफ्ता शी जिनपिंग के लिए किसी दुःस्वप्न से कम नहीं है!

शी जिनपिंग

(PC: Vox)

शी जिंपिंग चीन के राष्ट्रपति बनने के बाद चीन के सबसे बड़े नेता बनने का सपना देख रहे है। इसी चक्कर में वह विश्व से जुड़े मामलों में लगातार हस्तक्षेप कर रहे है। चीन में चुनाव होने वाले हैं और शी जिंपिंग फिर से चुने जाने वाले हैं, लेकिन पिछले एक सप्ताह से उनकी नींद हराम हो चुकी है और इसके कई कारण है। पहला Belt and Road Initiative को झटका लगना, दूसरा हाँग-काँग में लगातार लोकतंत्र के लिए प्रदर्शन होना और तीसरा उइगर मुस्लिमों के साथ चीन के निर्मम व्यवहार की खबरें विश्व भर में फैलना। इसी कारण ही शी जिंपिंग के माथे पर बल पड़ा है।

यह सप्ताह चीन के लिए शर्मसार करदेने वाला है। इसकी शुरुआत हुई न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट से जिसमें कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा उइगर मुस्लिमों के निर्मम व्यवहार का खुलासा हुआ है। 403 पन्नों के दस्तावेज को पार्टी के सीनियर द्वारा लीक किया गया है, जिसमें यहा बताया गया है कि जिनपिंग ने उइगर मुस्लिमों के खिलाफ व्यक्तिगत कारण से इस तरह के ऑर्डर दिये थे। पिछले तीन वर्षों में, चीन ने एक लाख से अधिक कज़ाख और उइगर मुस्लिमों को कब्जे में लिया है, जिन्हें नजरबंद कर एक शिविर में रखा गया है। इन शिविरों में,सभी बंदियों को चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की विचारधारा और पार्टी के प्रति निष्ठा को बढ़ाने के लिए प्रताड़ित किया जाता है। इसके आगे वे इन मुस्लिमों को ‘डी-रेडिकलाइज’ करते हैं, चाहे वे कभी भी कट्टरपंथी रहे हो या नहीं।

शिंजियांग प्रांत में उईगर मुस्लिमों के लंबी दाढ़ी रखने और अरबी पढ़ने पर भी रोक लगा दी गई है। मस्जिदों के बाहर वो नमाज भी नहीं पढ़ सकते हैं। सिगरेट और शराब पीने पर भी पाबंदी है।

403 पेज के लीक दस्तावेज में राष्ट्रपति शी जिनपिंग के अधिकारियों के सामने दिए गए गुप्त भाषण ही 200 पेज में दर्ज हैं। इसके अलावा 150 पेज में उईगर मुस्लिमों के खिलाफ कार्रवाई संबंधी निर्देश हैं। राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अधिकारियों को अलगाववाद और चरमपंथ के खिलाफ “जरा भी दया न” दिखाने के आदेश दिए थे। अखबार के मुताबिक, दक्षिण-पश्चिम चीन में अल्पसंख्यक उइगर उग्रवादियों द्वारा एक रेलवे स्टेशन पर 31 लोगों को मार दिए जाने के बाद चीन के अधिकारियों को 2014 में दिए गए भाषण में शी ने “आतंकवाद, घुसपैठ और अलगाववाद” के खिलाफ पूर्ण संघर्ष का आह्वान करते हुए “तानाशाही के अंगों” का इस्तेमाल करने और “किसी भी तरह की दया नहीं” दिखाने को कहा था। लीक दस्तावेज से पता चलता है कि चीन देश के अन्य हिस्सों में भी इस्लाम पर पाबंदी लगाने की योजना बना रहा है। इससे यह भी पता चलता है कि कम्युनिस्ट पार्टी में असंतोष भी बढ़ रहा है। चीन की सरकार के खिलाफ जब यह खबर बाहर आई तो चीन ने इसपर आपत्ति जताई थी और उन्हें विश्वास था कि चीन की जनता को किसी भी तरह से यह रिपोर्ट नहीं मिल पाएगी। लेकिन चीन के नागरिकों ने चीन की अभेद्य फायरवाल को तोड़ यह रिपोर्ट हासिल कर लिया। इसके बाद तो चीन में यह खबर आग की तरह फैल गयी। लोगों ने उस अधिकारी की भी तारीफ की जिसने यह रिपोर्ट लीक की थी।

यही नहीं वेइबो जोकि ट्विटर की ही तरह एक माइक्रो ब्लॉगिंग प्लैटफ़ार्म है, उसपर चीनी नागरिकों ने शी जिनपिंग की तुलना शिंडलर से की गई थी। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म वीबो पर चीन की सरकार के खिलाफ असंतोष की झलक मिली। हालांकि कम्युनिस्ट पार्टी इंटरनेट पर सख्त नियंत्रण बनाए रखती है और विदेशी वेबसाइटों पर रोक लगाती है जो चीनी सरकार की आलोचना कर रहे हैं और द न्यू टाइम्स’ चीन में प्रतिबंधित दर्जनों विदेशी समाचार साइटों में से एक है।

इसके बाद चीन के लिए एक और बुरी खबर आई। अमेरिका की सीनेट ने हाँग-काँग में चीन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने वाले के पक्ष में एक बिल पास किया जो उनके मानवाधिकार को संरक्षित करता है। चीन ने हमेशा से अन्य देशों को हाँग काँग मामले से दूर रहने को कहा है लेकिन अब अमेरिका ने चीन के इन मामलों में पूरी तरह से हस्तक्षेप करने का मन बना किया है।

इसके अलावा गुरुवार को दक्षिण प्रशांत महासागर का एक छोटा द्वीप तुवालु ने बढ़ते समुद्र के स्तर से बचाने में मदद करने के लिए कृत्रिम द्वीपों के निर्माण के चीन के प्रस्तावों को खारिज कर दिया और चीन के लिए ताइवान के साथ संबंधों तोड़ने से इनकार कर दिया। इस तरह से तुवालु द्वीप द्वारा झटका देने से राष्ट्रपति शी जिनपिंग की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) को भी बड़ा झटका लगा है। जिस मेगा-प्रोजेक्ट में चीन ने दुनिया भर में व्यापार और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के निर्माण के लिए खरबों डॉलर डाले हैं उसे एक छोटे से द्वीप ने झटका दे दिया। हालांकि साउथ ईस्ट एशियाई देशों में इस प्रोजेक्ट के खिलाफ आवाजें पहले से ही उठने लगी थी, फिर धीरे-धीरे अफ्रीका के देशों में भी चीन के प्रति अविश्वास की भावना बढ़ने लगी, और अब मध्य एशिया में चीन के इस BRI प्रोजेक्ट के खिलाफ आवाज़े उठने लगी है। अब इन देशों के लोगों को लगता है कि चीन उनके देश पर ना सिर्फ अपना आर्थिक प्रभुत्व बढ़ाता जा रहा है, बल्कि चीन अपनी संस्कृति को भी उनपर थोपने की कोशिश कर रहा है। इसी वर्ष कज़ाकिस्तान में चीन के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन देखने को मिले थे। चीन के खिलाफ ये विरोध प्रदर्शन कजाकिस्तान के जानाओज़ेन (Zhanaozen) में शुरू हुए थे, जो अब इस देश के अक्तोब, अलमाटी, शिम्केंट और राजधानी नूर-सुल्तान जैसे शहरों में भी फैल चुके हैं।

इसके अलावा कजाकिस्तान के लोग चीन द्वारा शिंजियांग प्रांत में बड़े पैमाने पर हो रहे ऊईगर मुसलमानों पर अत्याचार के खिलाफ भी भड़के हुए हैं। अभी कजाकिस्तान में लगभग 4 लाख ऊईगर मुसलमान रहते हैं जो चीन से भागकर आए हैं। कजाकिस्तान के लोगों में शिंजियांग प्रांत में रहे रहे ऊईगर मुसलमानों के प्रति संवेदना है क्योंकि शिंजियांग में अभी लगभग 2 मिलियन कजाक मुसलमान रहते हैं। और बात सिर्फ विरोध प्रदर्शन तक सीमित नहीं है, बल्कि मध्य एशिया के लोगों ने अब चीनी नागरिकों पर हमला करना भी शुरू कर दिया है। किर्गिस्तान में इस वर्ष अगस्त महीने में 500 गाँव वालों ने मिलकर एक खदान पर धावा बोल दिया, जहां पर चीनी कर्मचारी काम कर रहे थे। इस हमले में 20 नागरिक बुरी तरह घायल हो गए थे।

इस तरह से देखे तो अब चीन के लिए चीजे आसान नहीं रही। यह सप्ताह चीन और उसके राष्ट्रपति शी जिनपिंग के लिए एक शर्मनाक सप्ताह रहा है। एक तर्क यह दिया जा रहा है कि चीन पर इन खुलासों का कोई असर नहीं होने वाला है क्योंकि चीन सरकार शिनजियांग पर अंतरराष्ट्रीय कवरेज का बिलकुल परवाह नहीं नहीं कर रही है और न ही उइगरों के खिलाफ अपने अत्याचार को कम कर रहा है। चीन के खिलाफ होने वाले ट्रेड वार का भी अंत नहीं दिख रहा है। दूसरी तरफ चीन का BRI विस्तार असफलताओं के बावजूद आगे बढ़ रहा है। शी जिनपिंग के लिए जिस तरह से यह सप्ताह बिता उससे उनकी नींदे जरूर उड़ गयी होंगी। उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि इस तरह से चीन का रुतबा गिरेगा।  हालांकि, अगर ऐसे ही विद्रोह की घटनाएं जारी रहती है, तो आने वाला समय भी चुनौती पूर्ण रहने वाला है।

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