‘अब ना चंदा मिलेगा और ना वोट’ हिंदुओं की धमकी के बाद कश्मीर पर लेबर पार्टी का यू-टर्न

कश्मीर

जब भारत ने कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया था, तो यूके की विपक्षी लेबर पार्टी को इससे बहुत तकलीफ पहुंची थी। लेबर पार्टी को पाकिस्तान परस्त माना जाता है, क्योंकि ब्रिटेन में बसे पाकिस्तानी मूल के नागरिक आमतौर पर लेबर पार्टी का ही समर्थन करते हैं। इसी पाकिस्तानी परस्ती में लेबर पार्टी के नेता जेरेमी कोर्बिन ने जहां कश्मीर को लेकर भारत विरोधी बयान दे डाला, तो वहीं आधिकारिक तौर पर लेबर पार्टी ने एक प्रस्ताव पारित कर भारत सरकार की निंदा तक कर डाली थी। हालांकि, कल अचानक यह खबर आई कि लेबर पार्टी ने कश्मीर मुद्दे पर यू-टर्न लेते हुए कश्मीर को भारत और पाकिस्तान का मुद्दा बताया है और कश्मीर में किसी तीसरे देश के हस्तक्षेप का विरोध किया है। सवाल यह है कि आखिर वह क्या चीज़ है जिसने लेबर पार्टी को अपने स्टैंड चेंज करने पर मजबूर होना पड़ा है? और इसका जवाब है यूके में इस वर्ष दिसंबर महीने में होने वाले चुनाव।

बता दें कि पिछले महीने ब्रिटेन के सांसदों ने यूके में 12 दिसंबर को चुनाव करवाने के पक्ष में वोट दिया था। चुनाव का ऐलान होते ही ब्रिटेन में मौजूद भारतीय समुदाय ने लेबर पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। ब्रि‍टेन में ओवरसीज फ्रेंड्स ऑफ भारतीय जनता पार्टी (ओएफबीजेपी) के पदाधिकारियों ने मंदिरों में जाकर जनसंपर्क अभियान चलाया था। ये लोग कंजरवेटिव पार्टी के लिए वोट मांग रहे थे। इसके अलावा कई हिंदू संगठन भी इस तरह के चुनाव प्रचार में जुटे थे, और वे लेबर पार्टी के खिलाफ और कंजरवेटिव पार्टी के समर्थन में वोट डालने की अपील कर रहे थे। इतना ही नहीं, लेबर पार्टी को चंदा देने वाले एक बड़े हिन्दू नेता ने भी लेबर पार्टी को अपनी चिंता जताई थी।

इसके बाद अब लेबर पार्टी ने कश्मीर पर अपने रुख में पूरा बदलाव कर लिया है। पार्टी की नेशनल पार्टी फोरम ने अपनी राष्ट्रीय रिपोर्ट-2019 में इस बात का उल्लेख किया है कि ‘कश्मीर मसला भारत और पाकिस्तान का द्विपक्षीय मुद्दा है। भारत और पाकिस्तान को शांतिपूर्ण तरीके से आपसी सहमति बनाते हुए कश्मीर के लोगों की भलाई के लिए काम करना होगा। दोनों देशों को कश्मीरी लोगों के अधिकारों और सम्मान के लिए मिलकर काम करना चाहिए’। पत्र में आगे लिखा है कि ‘कश्मीर मुद्दे को लेकर लेबर पार्टी का मानना है कि इस मामले में किसी भी अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप की जरूरत नहीं हैं। लेबर पार्टी इस मामले में किसी भी तरह के अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप का विरोध करती है’। अब यहाँ गौर करने वाली बात यह है कि 25 सितंबर 2019 को लेबर पार्टी ने पार्टी कॉन्फ्रेंस में इस मुद्दे में अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप और संयुक्त राष्ट्र के रेफरेंडम की मांग की थी।

इससे पहले हिंदुओं के गुस्से को शांत करने के लिए लेबर पार्टी के अध्यक्ष इयान लॉवरी खुद सामने आए थे। उन्होंने कहा था, पार्टी कश्मीर को लेकर हिंदुओं की भावनाओं से पूरी तरह अवगत है। हमें पता है कि वार्षिक अधिवेशन में पारित प्रस्ताव में इस्तेमाल की गई भाषा से भारतीय समुदाय और भारत के लोग आहत हैं।

माना जा रहा है कि लेबर पार्टी के इस रुख में बदलाव का एकमात्र कारण यूके में होने वाले चुनाव हैं। यूके में भारतीय समुदाय बेहद शक्तिशाली है और वहां की राजनीति में उनकी काफी पकड़ है। यूके की गृह मंत्री प्रीति पटेल भारतीय मूल की ही हैं। यूके में लगभग 14 लाख 51 हज़ार भारतीय मूल के लोग रहते हैं जो वहां की आबादी का 2.3 प्रतिशत हैं। लेबर पार्टी के रुख में बदलाव से जहां एक तरफ यह साफ हो गया है कि यूके की लेबर पार्टी और उसके नेता मौकापरस्त हैं, तो वहीं यह भी स्पष्ट हो गया है कि भारतीय मूल के लोगों की एकता विश्व में हर जगह बेजोड़ है और जब-जब भारत या भारत सरकार के खिलाफ विदेश धरती से कोई अपना एजेंडा चलाएगा, तो उसे मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भारतीय समुदाय हमेशा सबसे आगे रहेगा।

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